
हमें विद्वान ब्राह्मण कोई एक मंत्र बता दें, जो शादी के समय, आंधी-तूफान, आग, बारिश या किसी भी अन्य अनहोनी घटना से बचा सके। या फिर शादी के बाद तलाक की नौबत न आने पाए।
बुनकरी के काम में महिलाओं को न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिल पाती
कुछ लोग विकल्प की बात करते हैं। विकल्प के रूप में स्वतंत्रता के बाद संविधान लागू होते ही आर्टिकल 13 के अनुसार ऊंच-नीच की भावना से ग्रसित ब्राह्मण से शादी कराने पर प्रतिबंध लगाते हुए कोर्ट-मैरिज का प्रावधान किया गया है। जिसे आजतक संवैधानिक रूप से लागू ही नहीं किया गया है। संवैधानिक वचनबद्धता के साथ यह सबसे शुभ और अच्छा है। आपको इतना ज्ञान तो है कि शादी किसी से भी कराएं लेकिन तलाक के लिए कोर्ट में ही जाना पड़ता है।
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हे गदर्भराज, आप अपने तुक्ष्य ज्ञान से अपने पूर्ण चूतिया होने का प्रमाण देते रहते है। अध जल गगरी वाली कहावत आपके लिए ही लिखी गई होगी। हे मूर्खाधिराज कम से कम लिखने से पूर्व कुछ किताबों से पढ़ लेते कि श्लोक क्या है उसका अर्थ क्या है। हे बैशाखनन्दन, बौद्ध हो अर्थात एक क्षत्रिय के पैरों में नतमस्तक हो गए हो अर्थात एक सवर्ण राजपुत्र भगवान बुद्ध के। भगवान बुद्ध से अगर तुमको यह शिक्षा मिलती है कि लोगो मे समाज मे अपने झूठ और मक्कारी से वैमनस्यता फैलाओ तो फिर तुम बौद्ध धर्म के भी कलंक ही हो।
तो हे बौद्ध धर्म के कलंक, चूतिया शिरोमणि, अखण्ड मूर्ख नीचे जो श्लोक है उसको पढ़ और चूंकि तेरे पल्ले नही पड़ेगा अतः कुछ किताबो से उन्हें मिला कर अर्थ भी पढ़ तब सही से जानकारी होगी तुझे और उन चूतियों की फेसबुकिया या वाट्सएप्प वाला या बेसिर पैर वाले अतार्किक लोगो को पढ़ना बन्द कर। ईश्वर ने सबको दिमाक दिया है तो तू अपने दिमाक से पढ़ लिख कर स्वधय्यन कर लिखा पढ़ा कर वार्ना जीवन भर मूर्ख ही रहेगा। मेरी बात तुझे ब्राह्मणवादी लगेगी लेकिन हे मूर्ख मैं तुझी में से एक हु बस तेरी मूर्खता पर तुझे समझा रहा हु।
गणानां त्वा गणपतिं हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपतिं हवामहे निधीनां त्वा निधिपतिं हवामहे वसो मम आहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम् ।। (शु॰यजु॰ २३।१९)
इस मन्त्र का अर्थ है –
हे परमदेव गणेशजी ! समस्त गणों के अधिपति एवं प्रिय पदार्थों प्राणियों के पालक और समस्त सुखनिधियों के निधिपति ! आपका हम आवाहन करते हैं । आप सृष्टि को उत्पन्न करने वाले हैं, हिरण्यगर्भ को धारण करने वाले अर्थात् संसार को अपने-आप में धारण करने वाली प्रकृति के भी स्वामी हैं, आपको हम प्राप्त हों ।।
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आज कल जिस प्रकार से कुछ लोग पैसे ले लिए अपने बेटी और बहन का सौदा कर रहे है थी वही लोग प्रसिद्धि पाने के लिए शब्दो को अनर्थ उदाहरण देकर समाज में अपनी मौजूदगी दर्ज करवा रहे है
ज्ञानी वही है जो समाज को जोड़ने का कार्य करे ,
राक्षस रूपी अज्ञानी हर युग में पैदा हुए है और उनका नाश भी हुआ है ।
ऐसे लोग future ko फुटूरे
और nature ko नूटूरे कहते है
शब्दो ज्ञान बहुत जरूरी है ।
राधे राधे।
बिलकुल सत्य महोदय