पिछले दिनों विद्या आश्रम सारनाथ में एक नई शुरुआत हुई - बिरहा में कबीर। लोक विद्या जनांदोलन, गांव के लोग, अगोरा प्रकाशन और रामजी यादव आर्काइव द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में एकमात्र कलाकार बिरहा गायक सतीशचन्द्र यादव थे। मूल रूप से रसड़ा, बलिया के निवासी सतीश अब स्थायी रूप से बनारस में रहते हैं और यहाँ तुलसी निकेतन में शिक्षक हैं। वह नब्बे के दशक में बिरहा में सक्रिय हुये और जल्दी ही अपनी मजबूत पहचान बना ली। विगत वर्षों में उन्होंने सैकड़ों कार्यक्रमों में शिरकत किया। महात्मा बुद्ध की भूमि सारनाथ स्थित विद्या आश्रम में आयोजित ‘बिरहा में कबीर’ कार्यक्रम को देख-सुनकर यही लगा कि यह विधा अपनी सामाजिक भूमिका को एक नया अंदाज़ और आयाम देने जा रही है।