Sunday, May 19, 2024
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बुनकरी के काम में महिलाओं को न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिल पाती

बुनकर को जो मजदूरी मिलती है उसी में घर की स्त्री की मेहनत का मूल्य भी होता है लेकिन वह उसे कभी अलग से नहीं मिलता। अमूर्त रूप से उसका मूल्य उसके भोजन में मिला होता है। अगर बुनकर के जीवन में परिश्रम और गरीबी को देखें तो यह निस्संदेह सहानुभूति पैदा करने वाला काम है जो अर्थव्यवस्था के नकारात्मक विस्तार के कारण दयनीयता और लाचारी के चरम पर है लेकिन स्त्री इस हालत में भी पुरुषसत्ता का शिकार है।

क्या आपको पियाला के मेले की याद है?

क्या आपको याद है कि पियाला का मेला भी कभी एक जलवेदार मेला होता था? यह प्रश्न जब मैंने अपने एक सहकर्मी से किया...

मौलिक समस्याओं के बजाय गैरजरूरी बहसों में उलझने से बचना होगा

शांति सद्भाव यात्रा का सेवापुरी विकास खंड के गाँवों में हुआ शानदार स्वागत सद्भावना के रास्ते शांति के वास्ते आयोजित 9 दिवसीय शांति सद्भावना यात्रा...

वरुणा की दूसरी यात्रा

एक मंदिर पर यात्रा का थोड़ी देर के लिए ठहराव हुआ। इस मंदिर के आसपास काफी शांत माहौल था जिसे हम लोगों ने भंग कर दिया था। यह रैदास का मंदिर था। नीचे दो लोग नदी में स्नान कर रहे थे। उनमें से एक सज्जन गमछे की लुंगी बांधे ऊपर आये। उन्होंने पूछा ई का? तूफानी ने उनसे कुछ मजाक शुरु किया। उन सज्जन ने हम लोगों को सम्मान के साथ रुकने के लिए कहा।

यू पी विधानसभा चुनाव के सबक

यू पी विधानसभा चुनाव के सबक https://www.youtube.com/watch?v=w6Z57omfZGM&t=135s

2022 के चुनावी नतीजे के बाद सामाजिक आंदोलनों का कार्यभार और भविष्य

उत्तर प्रदेश समेत चार अन्य राज्यों में हुए चुनाव ने सेकुलर और सामाजिक न्याय की राजनीति करनेवाले लोगों के सामने एक निराशाजनक माहौल पैदा...

रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि और आहत मानवता का सवाल

रूस युक्रेन युद्ध ने दुनिया के सामने एक नए संकट का द्वार खोल दिया है. पूंजीवादी अंतर्विरोधों का शिकार होकर एक देश आज न...

शिक्षा एक आग है जो गुलामी को जला डालती है

तसनीम पटेल आज महाराष्ट्र शिक्षा जगत की एक महत्वपूर्ण शख्सियत हैं। कॉलेज से रिटायर होने के बाद वे फिलहाल महात्मा गाँधी मिशन विश्वविद्यालय में...

मेरा प्रयास था कि बदलाव मौलिक हो और ऊपर से थोपा हुआ न हो

जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक और चिंतक विद्या भूषण रावत का जीवन विविध अनुभवों का खज़ाना है। उन्होंने समाज के हाशिये पर रहनेवाले लोगों के...

नामदेव ढसाल ने कविता को क्रांति का पर्याय बना दिया

नामदेव ढसाल मराठी दलित कविता के जाज्ज्वल्यमान नक्षत्र हैं। उनका जीवन विकट परिस्थितियों से शुरू हुआ लेकिन अपने संघर्ष और साहस से उन्होंने इतिहास...

कबीर से सावित्रीबाई फुले वाया कुमार गन्धर्व

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के किसान परिवार में जन्मे शास्त्रीय गायक डॉ परमानन्द यादव की एक महत्वपूर्ण जीवन और संघर्षयात्रा रही है. बीएचयू...

किसान आंदोलन ने सभी सवालों के प्रति संवेदनशीलता पैदा की

  तीनों कृषि बिल सरकार ने वापस ले लिया है लेकिन अभी भी किसानों और सरकार के बीच गतिरोध बना हुआ है क्योंकि क़ानूनों की...

छोटे अंतर्विरोधों को बड़ा और बड़े अंतर्विरोधों को छोटा बना दिया गया

प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक विद्या भूषण रावत के साथ रामजी यादव के संवाद की इस आखिरी कड़ी में भारत में अस्मितावादी संकीर्णता के...

मेरा प्रयास था कि बदलाव मौलिक हो और ऊपर से थोपा हुआ न हो

जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक और चिंतक विद्या भूषण रावत का जीवन विविध अनुभवों का खज़ाना है। उन्होंने समाज के हाशिये पर रहनेवाले लोगों के...

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