हिन्दी के प्रसिद्ध और दुलारे कथाकार हैं रामदेव सिंह जिन्होंने रेल के जीवन पर यादगार कहानियाँ लिखी है। बिहार के मधेपुरा जिले से संबंध रखने वाले रामदेव सिंह का जन्म एक सम्पन्न किसान परिवार में हुआ। रेलवे की नौकरी करते हुये वे लंबे समय तक हिन्दी साहित्य में मुगलसराय की एक पहचान बने रहे लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद फिर गाँव में जा बसे। इस प्रकार उनके अनुभव के दायरे में उस समय के गाँव से लेकर इस समय तक का गाँव बचा हुआ है। उनकी अनेक कहानियों और भाषायी संवेदना में गाँव का मन झाँकता है। रामजी यादव के साथ एक लंबी बातचीत के पहले हिस्से में उन्होंने अपनी जीवन-यात्रा और रचनात्मक दौर के बहुत से प्रसंगों और संदर्भों को साझा किया है। साथ ही बदलती हुई ग्रामीण जिंदगी के कई रंगों को भी अभिव्यक्त किया है। देखिये यह दूसरा भाग।