कई वर्ष पूर्व यह टिप्पणी लिखी थी:
2019 तक उत्तरप्रदेश को लूट कर चोखा बना दिया जाएगा। जनता त्राहिमाम करने लगेगी कि अबकी सबक सिखाना है तब रेस्क्यू आपरेशन होगा। प्रधानमंत्री डैमेज कंट्रोल की मुद्रा में आएंगे कि जनता को परेशान नहीं देख सकता चाहे इसके लिए मुझे कोई भी बलिदान लेना या देना पड़े। मुख्यमंत्री मिलीभगत के तहत हटाए जाएंगे। जनता थपड़ी पीटते हुए पुनः मोदीमय हो जाएगी कि लो, न खाओ, न खाने दो।
पिछले सारे सांस्कृतिक भगवा आंदोलन में यही हुआ। लव जेहाद, गो रक्षा, ताजमहल ….अपने गुर्गों से अपनी बात करवाइए, उन्माद की फसल पैदा कीजिए और लम्बी सामयिक स्वार्थपरक चुप्पी के बाद अचानक सुर बदल कर गुर्गों को डांट पिलाइए। शिष्ट, शालीन, कश्मीर और मुसलमान प्रेमी, न्याय रक्षक बन जाइए। हिंदू हृदय सम्राट तो हैं ही ।……खा कर हज़ कर आइए। लूट के लाल हो जाइए और उसे ही विकास बताइए ।
अगर जनता ने नस नहीं समझी तो 2019 यही दुहराएगा। सारी योजनाएं 2022 की हैं। विकास खटाई में पड़े, भाइयों बहनों क्या आप यही चाहते हैं ? यह प्रश्न जिताऊ प्रश्न बन जाएगा।
चाहता हूं कि मेरी यह एनालिसिस कवि की भावुकता साबित हो, यथार्थ नहीं।