इस आंकड़े की सच्चाई है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ही कह रहा है कि केवल 39 करोड़ लोगों का दोनों डोज पूरा हो सका है। प्रधानमंत्री जिसे सफलता कर रहे हैं, वह दरअसल अपनी विफलता को छिपाने की कोशिश है। सबसे महत्वपूर्ण तो यह कि 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के दोनों डोज मिलने के आंकड़ा केवल 26 फीसदी है। मतलब यह कि 74 फीसदी अधेड़ व वृद्ध अभी भी खतरे में हैं। साथ ही, यह भी कि बच्चों को बचाने के लिए टीकाकरण की शुरुआत ही नहीं हुई है।
संज्ञेय मामलों में सबसे ऊपर रहने वाला उत्तर प्रदेश ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में भी शीर्ष पर कैसे हो सकता है? गूगल किया तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा 2019 में जारी रपट मिली। इसमें पहले नंबर पर आंध्र प्रदेश है तो दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश और तीसरे नंबर पर तेलंगाना। मेरा अपना गृह प्रदेश जहां कथित तौर पर डबल इंजन की सरकार है, वह छठे स्थान पर है। सबसे अंतिम यानी 29वें स्थान पर पूर्वोत्तर भारत के राज्य शामिल हैं। हालांकि इनमें असम नहीं है।
