दरअसल, शहीद शब्द एक तरह की उपाधि है। वर्तमान में जो अपनी जान शासक के हितों की रक्षा के लिए देते हैं, उन्हें ही शहीद होने का गौरव मिलता है। इस हिसाब से जो जवान नक्सलियों से अथवा पड़ोसी देशों की सेना के साथ लड़ाई में मारे जाते हैं, उन्हें शहीद कहा जाता है। बाकी जो मारे जाते हैं, वे शहीद नहीं होते। वजह यह कि उनकी मौत से शासक का कोई लेना-देना नहीं होता।