संजीव भट्ट को गिरफ्तार करने की खबर आज लगभग सभी अखबारों ने प्रमुखता से छापी है। वैसे यह बेहद दिलचस्प है कि जो व्यक्ति पूर्व में ही जेल में बंद हो, उसे कैसे गिरफ्तार किया जा सकता है। दिल्ली से प्रकाशित दैनिक जनसत्ता की खबर का शीर्षक है–बेगुनाह लोगों को फंसाने के आरोप में संजीव भट्ट गिरफ्तार। जबकि खबर के अंदर अहमदाबाद के अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त चैतन्य मांडलिक के हवाले से कहा गया है कि संजीव भट्ट को पालनपुर जेल से हिरासत में लिया गया और मंगलवार की शाम को औपचारिक तौर पर गिरफ्तार कर लिया गया।
नरेंद्र मोदी के लिए तो यही बेहतर होता कि इस मामले को बंद कर दिया जाता। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने उनके माथे से कलंक का टीका मिटा दिया था। लेकिन अब फिर से उनके उपर 'बेगुनाह' होने का धब्बा लगा दिया गया है।
ऐतिहासिक अशोक स्तंभ को विद्रूपित करने के पीछे की मंशा (डायरी 13 जुलाई, 2022)
नवल किशोर कुमार फ़ॉरवर्ड प्रेस में संपादक हैं।
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