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शांति, सद्भाव, सशक्त लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के संकल्प के साथ शुरू हुई पदयात्रा

समाज में शांति सद्भाव की स्थापना लोकतंत्र की मजबूती और सामाजिक न्याय का माहौल स्थापित करने के लिए संघर्ष का संकल्प लेते हुए दस दिवसीय विरासत बचाओ पदयात्रा का आगाज मार्कंडेय महादेव धाम कैथी से सोमवार दो अक्टूबर को हुआ। यह पद यात्रा वाराणसी जिले के 150 गांवों में लगभग 150 किलोमीटर भ्रमण करेगी और […]

समाज में शांति सद्भाव की स्थापना लोकतंत्र की मजबूती और सामाजिक न्याय का माहौल स्थापित करने के लिए संघर्ष का संकल्प लेते हुए दस दिवसीय विरासत बचाओ पदयात्रा का आगाज मार्कंडेय महादेव धाम कैथी से सोमवार दो अक्टूबर को हुआ। यह पद यात्रा वाराणसी जिले के 150 गांवों में लगभग 150 किलोमीटर भ्रमण करेगी और लोकनायक जय प्रकाश जी की जयंती 11 अक्टूबर को शास्त्री घाट वरुणा पुल पर सम्पन्न होगी।

कैथी में यात्रा का शुभारम्भ करते हुए वरिष्ठ गांधीवादी चिंतक राम धीरज भाई ने कहा कि शांति और सद्भाव आदमी की बुनियादी जरूरत है। आम आदमी समृद्ध और सुरक्षित तब होता है जब आसपास शांति हो, सद्भाव हो। हालांकि भारत में सभी तरह के लोगों के लिए काफी हद तक शांतिपूर्ण माहौल है लेकिन अफ़सोस, कुछ वजहों से देश की शांति और सदभाव कई बार बाधित हो जाते हैं। भारत में विविधता में एकता देखी जाती है।  पदयात्रा संयोजक नंदलाल मास्टर ने कहा कि धर्मों, जातियों और पंथों के लोग यहाँ एक साथ रहते हैं। हमारा संविधान अपने नागरिकों को समानता और स्वतंत्रता की गारंटी देता है। शांति और सद्भाव कायम रहे, इसके लिए कई कानून बनाए गए हैं। अपने शहर बनारस की बात करें, तो सभी तरह के धर्म, जाति, विचार से भरा पूरा छोटा सा अलमस्त शहर बनारस, दुनिया भर के लोगों को कैसे जुटा के रखता है, यह एक आश्चर्य और कौतूहल का विषय है।

यात्रा में लगभग 100 से अधिक।सत्याग्रही शामिल हैं जो संविधान और विरासत को बचाने का आह्वान करने वाले पोस्टर और पर्चे लेकर चल रहे हैं। भंदहा कला गांव स्थित आशा ट्रस्ट केंद्र पर यात्रा दल का स्वागत करते हुए सामाजिक कार्यकर्त्ता वल्लभाचार्य पाण्डेय ने कहा कि आज गांधी जी की विरासत पर खतरा है कुछ लोग गांधीजी के विचारों को दफन करना चाहते हैं जबकि  गांधी की स्वीकार्यता और प्रासंगिकता विश्व में तमाम देशों में बढती जा रही है। यात्रा में शामिल सामाजिक कार्यकर्ता जनवादी गीतों और नारों से लोगों को प्रेरित कर रहे थे।

गाँव के लोग
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