Friday, March 29, 2024
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गंगा में डूब रहे हैं लोग, प्रशासन लापरवाह

प्रयागराज। पिछले एक पखवाड़े में जिले में तापमान ने नित नये कीर्तिमान स्थापित किये। पारा लगातार कई दिनों तक 44-45 डिग्री सेल्सियस बना रहा। गर्मी ने कहर ढाया तो बिजली कटौती बढ़ी, गर्मी से निजात पाने और स्नान के लिए लोग गंगा की ओर भागे। लेकिन गंगा काल बन गयी। एक पखवारे से गंगा में […]

प्रयागराज। पिछले एक पखवाड़े में जिले में तापमान ने नित नये कीर्तिमान स्थापित किये। पारा लगातार कई दिनों तक 44-45 डिग्री सेल्सियस बना रहा। गर्मी ने कहर ढाया तो बिजली कटौती बढ़ी, गर्मी से निजात पाने और स्नान के लिए लोग गंगा की ओर भागे। लेकिन गंगा काल बन गयी। एक पखवारे से गंगा में डूबने की लगातार घटनाओं ने लोगों में खौफ़ और गुस्सा भर दिया है।

पहले कुछ घटनाओं पर एक नज़र 

22 मई सोमवार को आदित्य कुमार (19) और दोस्त गोविंद बाल्मीकि (21) संगम में नहाते समय डूब गये। दोनों युवक मूलरूप से सतना के कोलगांव कृष्णा नगर के निवासी थे। आदित्य के पिता नन्हें और गोविंद के पिता कामता सफाईकर्मी हैं। सोमवार की सुबह दोनों परिजनों के साथ गंगा नहाने संगम पहुँचे थे। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि सुबह क़रीब 8:30 बजे सभी स्नान कर रहे थे। इसी दौरान आदित्य और गोविंद डीप वॉटर बैरिकेडिंग पार कर आगे निकल गए। गहराई में जाने के बाद आदित्य डूबने लगा तो गोविंद भी उसे बचाने के लिए गहरे पानी में चला गया।

20 मई (शनिवार) की सुबह शिवकुटी में कक्षा बारहवीं को दो छात्र रमन द्विवेदी (15) और कृष्णा मिस्रा (16) गंगा में नहाते समय डूब गये। दोनों छात्र शांतिपुरम के रहने वाले थे। रमन के पिता शिवमूर्ति पुलिस विभाग में दरोगा हैं और चंदौली में तैनात हैं। वहीं कृष्णा के पिता हाईकोर्ट में अधिवक्ता हैं। शनिवार की सुबह अपने पांच दोस्तों सार्थक, ध्रुव, अजीत, आदर्श और अभिन्न के साथ दोनों फाफामऊ कछार के पास बने मैदान में क्रिकेट खेलने गये थे। मैच खत्म होने के बाद सभी दोस्त फाफामऊ पुल के नीचे बने घाट पर नहाने पहुँच गये। वहां नहाते समय दोनों गंगा में डूब गये।

“पिछले कई महीनों से बारिश न होने और बांध के चलते गंगा का पाट इस समय बेहद संकुचित हो गया है। अधिकांश जगह गंगा घाटों को छोड़कर बह रही हैं। यानी घाटों के पास गंगा का पानी बहुत कम है, जिसमें नहाना या डुबकी लगाना संभव नहीं है। इस कारण अक्सर युवक डुबकी लगाने के लिए बीच धारा में चले जाते हैं। बीच धारा में बहाव तेज होने के चलते बह जाते हैं।”

18 मई को शिवकुटी के महाकोटेश्वर महादेव मंदिर के पास गंगा नहाने गये बी-टेक दो छात्र गंगा में डूब गये। दीपेंद्र सिंह और विकास मौर्या मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में कंप्यूटर साइंस (द्वितीय वर्ष) के छात्र थे। और संस्थान के टंडन होस्टल के कमरे नंबर 108 में रहते थे। गुरुवार की सुबह दीपेंद्र और विकास अपने तीन अन्य साथियों भूपेंद्र, अरुण और यश के साथ गंगा स्नान के लिए सुबह होस्टल से निकले थे। बतादें कि शिवकुटी और आस-पास के इलाकों में इस समय पानी की दिक्कत चल रही है। इसलिए इस इलाके में रहने वाले अधिकांश लोग सुबह गंगा नहाने जा रहे हैं। गंगा में स्नान करते समय विकास और दीपेंद्र आगे बढ़ गये, दोस्तों ने उन्हें ज़्यादा गहरे न जाने की सलाह दी, लेकिन वह नहीं माने। अचानक दीपेंद्र गहरे पानी में डूबने लगा। उसे बचाने के लिए विकास आगे बढ़ा तो वह भी गहरे पानी में समा गया। तीनों दोस्तों ने चीख-पुकार मचाई पर सुबह के समय वहां कोई नहीं था जो मदद के लिए आता। फिर एक दोस्त ने 112 नंबर पर कॉल करके घटना की जानकारी पुलिस को दी। अगले दिन विकास मौर्या की लाश दो किमी दूर नदी में उतराती मिली। विकास मूल रूप से मऊ के भिखारीपुर का रहने वाला था। चचेरे भाई अर्जुन का कहना है कि विकास अच्छी तरह तैरना जानता था। गांव में उसके घर के पास ही नदी है वहां वो अक्सर तैराकी करता था।

6 मई को हंडिया के बाहरपुर मवईया गंगाघाट पर नहाते समय ऋषभ मिश्रा डूब गया। डूबने के 13 दिन बाद 19 मई को उसका शव लाक्षागृह श्मसान घाट के पास उतराया मिला। वो हंडिया थाना क्षेत्र के जगुआ सोंधा गांव का निवासी था। पिता संतोष मिश्रा अधिवक्ता हैं। 6 मई को ऋषभ (20) अपने छोटे भाई रजत मिश्रा (18) और अन्य साथियों के साथ गंगा नहाने गये थे। जहां गहरे पानी में उतरने के बाद जब वह डूबने लगा तो चीख सुनकर मौके पर पहुँचे गोताखोरों ने उसे खोजने की कोशिश की पर ऋषभ गंगा में बह गया।

फाफामऊ घाट

इससे पहले 17 अप्रैल, 2023 सोमवार दोपहर को को नैनी के महेवा घाट पर यमुना में नहाते समय तीन किशोरों की डूबने से मौत हो गयी। तीनों किशोर मुट्ठीगंज थानाक्षेत्र के दरियाबाद मुहल्ले के रहने वाले थे। आदित्य पुत्र सुनील आयु 12 वर्ष, मुदस्सिर पुत्र वकील 14 वर्ष और मोहम्मद सिद्दीक अंसारी पुत्र बदरूजमा अंसारी उम्र 17 साल नाव से दोस्तों के साथ नहाने के लिए महेवाघाट गये थे। जहाँ गहरे पानी में तीनों को डूबता देख बाक़ी दोस्त भाग खड़े हुए। शाम तक बच्चे घर वापस नहीं लौटे तो परिजनों ने खोजबीन की तब जाकर बच्चों के दोस्तों से पता चला कि तीनों जमुना में डूब गये। मौके पर पुलिस और गोताखोरों की टीम ने तीनों की लाश नदी से बाहर निकाला।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

संगम तट पर जल पुलिस चौकी बनी हुई है और वहां मोटरबोट पर जल पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं। फिर इन सबके बावजूद गंगा में दो युवक कैसे डूब गये? इस सवाल पर दरोगा कड़ेदीन यादव कहते हैं कि नहाने वालों को नदी में गहरे पानी में जाने से रोका जाता है। बावजूद इसके कई उत्साही युवक डीप वॉटर बैरिकेडिंग को पार कर जाते हैं। उसी में हादसे हो जाते हैं।

गंगा में डूबने की एक के बाद लगातार हो रही घटनाओं के बाद अब प्रशासनिक तंत्र भी जागा है। जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री ने कहा है कि किला, अरैल, छतनाग, शिवकुटी समेत अन्य घाट चिन्हित किये गये हैं। जहां विशेष सतर्कता बरती जाएगी। गोताखोरों और जल पुलिस की ड्युटी लगायी गयी है। गहरायी वाले स्थानों पर बैरिकेडिंग करायी जाएगी। स्नान वाले घाटों को फ्लोटिंग जेटी से कवर किया जाएगा। सख्त निर्देश होगा कि लोग इसके बाहर न जायें। घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए घाटों पर चौकसी बढ़ाने के साथ ही अन्य इंतजाम किये जाएंगे। जिसमें घाटों पर बैरिकेडिंग लगाना भी शामिल है। कई घाटों पर ज़्यादा गहराई है। इसके अलावा कई घाटों पर नदी जलधारा के बीच में जगह जगह गड्ढे बन गये हैं। डूबने की घटनाओं के बीच इसे मुख्य कारण माना जा रहा है। इसीलिए ऐसे स्थानों पर विशेष सतर्कता बरतने की योजना बनायी गई है।

गोविंदपुर पानी टंकी

शिवकुटी क्षेत्र में पानी का संकट

इस समय शिवकुटी क्षेत्र में पानी का गहरा संकट चल रहा है। शिवकुटी में लगे जलनिगम की तीन पम्पिंग सेट और गोविंदपुर में बने 5 लाख लीटर का पानी का टैंक से शिवकुटी और आस-पास के पूरे इलाके में पानी की सप्लाई होती है। पिछले 10 दिनों से सप्लाई का पानी लोगों की टंकियों तक पानी नहीं चढ़ रहा है। बताया जा रहा है कि वॉटर लेवल कम होने के नाते फोर्स नहीं बन पा रहा है, जिससे टंकी तक पानी पहुँच पा रहा है। बमुश्किल 10 मिनट पानी आता है। स्थानीय लोगों ने नवनिर्वाचित पार्षद से गुहार लगायी तो उन्होंने घनी आबादी में कुछ टैंकर भिजवा दिये। लोग ज़रूरी कामों के लिए पानी बचाकर रख रहे हैं और नहाने के लिए गंगा किनारे जा रहे हैं।

प्रशासन की भारी चूक से लगातार हो रही घटनायें

पिछले कई महीनों से बारिश न होने और बांध के चलते गंगा का पाट इस समय बेहद संकुचित हो गया है। अधिकांश जगह गंगा घाटों को छोड़कर बह रही हैं। यानी घाटों के पास गंगा का पानी बहुत कम है, जिसमें नहाना या डुबकी लगाना संभव नहीं है। इस कारण अक्सर युवक डुबकी लगाने के लिए बीच धारा में चले जाते हैं। बीच धारा में बहाव तेज होने के चलते बह जाते हैं।

संगम पर लगी डीप वॉटर बैरिकेडिंग

संगम में डूबने वालों को बचाने का काम करने वाली संगठन के मुखिया हैं रूपचंद कलंदर। उनके पिता गुदुन भी पहले यही काम करते रहे हैं। संगम घाट पर गोताखोरी से पचासों लोगों की जान बचाने वाले रूपचंद बताते हैं कि परसों संगम में जब दो लड़कों के डूबने का हादसा हुआ, उस वक़्त वह मौके पर मौजूद नहीं थे। संगम में डूबे दोनों लड़कों की लाश कल मिली है, एक छतनाग घाट पर और एक महेश्वर घाट पर। अचानक डूबने की घटनायें इतनी बढ़ क्यों हैं जबकि गंगा में उतना पानी उतना बहाव भी नहीं है? पूछने पर रूपचंद बताते हैं कि नये लड़के किसी चेतावनी नियम क़ानून की परवाह नहीं करते। जो डिवाइडर लगा है वो उसे पार कर जाते हैं। वह प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि दरोगा कड़ेदीन यादव ने जिन नये गोताखोरों को रखा है वो किसी काम के नहीं हैं, सब जबर्दस्ती रखे गये हैं।

मल्लाहों के अधिकारों के लिए लम्बे समय तक काम किए विशम्भर पटेल बताते हैं कि लोग हर जगह तो नहीं नहा रहे हैं ना। वह खुछ खास घाटों पर ही नहाते हैं। वहां प्रशासन गोताखोरों को नहीं लगाता है। सिर्फ बिजनेस के उद्देश्य से जल पुलिस की नियक्ति की गई है। हक़ीक़त में एक ही पुलिस इंस्पेक्टर 25 साल से संगम में बना हुआ है। ये लोकल लोगों को प्रिफरेंस नहीं करते। नहाने वालों घाटों पर जहां कैजुअलिटी की संभावना ज़्यादा होती है वहां प्रशासन सेवायोजन में लगे लोकल लोगों को महत्व नहीं देते। ड्यूटी नहीं करवाते, तो जो क्षमतावान स्थानीय लोग हैं, उन्हें आपको नियमित तौर पर लगाना पड़ेगा। प्रशासन की सोशल रिस्पांसिबिलटी कहीं नज़र नहीं आती जिसकी वजह से इस तरह की घटनाएं हो रही हैं।

शिवकोटेश्वर घाट शाम को घूमते युवक

डूबने की वैज्ञानिक व्याख्या

विशम्भर पटेल कहते हैं कि बहता पानी तो हर गड्ढे को भरता चलता है फिर उसमें गड्ढा कैसे बनेगा? वह आगे कहते हैं कि दरअसल जब आप गंगा में एक जगह खड़े रह जाइए तो आहिस्ता-आहिस्ता आपके पैर की बालू कटती जाती है, ऐसे में यदि आप पैर नहीं चलाएंगे और एक ही जगह खड़े रहेंगे तो आप धँसते जाते हैं। आपके पैर के चारों ओर मिट्टी जमा होती जाएगी। वह कहते हैं कि ये बहुत आनंददायी स्थिति होती है कि पानी पहले कमर तक फिर सीने तक आता जाता है, लेकिन अगर आप तैरना नहीं जानते तो अचानक आप डूबने की स्थिति में आ जाएंगे।वह बताते हैं कि विठूर में एक उनका दोस्त बृजेंद्र जो आठवीं कक्षा में पढ़ता था। अपने दोस्तों को बचाने की कोशिश में गंगा में डूब गया था।

डूबने की वैज्ञानिक व्याख्या करते हुए विशम्भर बताते हैं कि क्रिया-प्रतिक्रिया का वैज्ञानिक नियम पानी पर बहुत लागू होता है। जब आप पानी में नाव को पीछे की ओर धकेलते हैं, तो पानी नाव को आगे बढ़ा देती है। इसी तरह यदि आप डूब रहे हैं और मैं आपको अपनी ओर खींचूंगा तो आप मेरी ओर तो आ जाएंगे, लेकिन मैं आपकी ओर आ जाऊंगा। तो एक को बचाने में दूसरा डूबता है।

शिवकुटी शिवकोटेश्वर घाट, सुबह नहाते बाप बेटी

विशम्भर कहते हैं कि दूसरा कारण ये है कि इस समय गंगा के अंदर जो बालू है वह थिर हो जाता है। पानी का नेचर एक मिरर की तरह काम करता है। उसी से पानी में इमेज बनता है। वह कहते हैं कि पानी का घनत्व हवा से ज़्यादा होता है। तो जब प्रकाश विरल से सघन में जाती है तो वो लम्ब की तरफ झुक जाती है, तो इमेज छोटी हो जाएगी और पानी का तला उठा हुआ दिखाई देगा। इससे पानी की गहराई का उथली होने का भ्रम होता है। बाहर के लड़कों को इससे भी धोखा हो जाता है।

सुशील मानव
सुशील मानव स्वतंत्र पत्रकार हैं।

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