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राजनीति

आज़ादी की लड़ाई में जिनका कोई योगदान नहीं वे गांधी की भूमिका कम करना चाहते हैं

आज सांप्रदायिक दक्षिणपंथ को लगता है कि उसकी जडें काफी गहराई तक पहुँच चुकी हैं, इसलिए उसके चिन्तक-विचारक अब गांधीजी की 'कमियों' पर बात करने लगे हैं और भारत के स्वतंत्रता हासिल करने में उनके योगदान को कम करने बताने लगे हैं। इस 30 जनवरी को जब देश राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि दे रहा था तब कुछ पोर्टल ऐसे वीडियो प्रसारित कर रहे थे जिनका केन्द्रीय सन्देश यह था कि गांधीजी केवल उन कई लोगों में से एक थे जिन्होंने भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष किया। अलग-अलग पॉडकास्टों और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के जरिये यह प्रचार किया जा रहा था कि अंग्रेजों के भारत छोड़ने के पीछे महात्मा गाँधी के प्रयासों की बहुत मामूली भूमिका थी। 

मिल्कीपुर रेप काण्ड  : राजनीतिक अश्लीलता के बीच दलित की बेटी को न्याय कैसे मिलेगा?

योगी सरकार लगातार प्रचार कर रही है कि उत्तर प्रदेश में महिलाएं पूर्णत: सुरक्षित हैं, लेकिन यहाँ रोज ही बलात्कार की अनेक घटनाएं सामने आ रही हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि 2015 से 2020 तक दलित महिलाओं के खिलाफ बलात्कार के मामलों में 45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में दलित महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ बलात्कार की 10 घटनाएं प्रतिदिन रिपोर्ट की जाती हैं। उत्तर प्रदेश राज्य लगातार उन राज्यों की एनसीआरबी सूची में शीर्ष पर है जहां दलित विरोधी घटनाएं प्रचलित हैं। उसके खिलाफ कानून जरूर बने हुए हैं लेकिन वे पर्याप्त नहीं है क्योंकि पुलिस-प्रशासन अक्सर ही अपराधी के खिलाफ मामला दर्ज करने की बजाए उन्हें संरक्षित करने का काम करती है। संविधान में भले ही समानता व धर्मनिरपेक्षता की बात कही गई है लेकिन यहाँ रहने वाले अधिकतर आज भी जातिवादी आधार पर काम कर रहे हैं। ।

गुलबर्ग सोसायटी : न्याय पाने की उम्मीद लिये विदा हो गयी जकिया जाफरी !

जकिया जाफरी न नेता थीं, न कोई सामाजिक संस्था की संचालिका थीं और न ही किसी राजनैतिक पार्टी की सदस्य थीं लेकिन उन्होंने गोधरा कांड के समय अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसाइटी में हुए 68 लोगों के नरसंहार के न्याय के लिए पिछले बीस वर्षों से संवैधानिक लड़ाई लड़ रही थीं और अंतत: 87 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस से तत्कालीन आरएसएस प्रमुख बीमारी का बहाना बनाकर क्यों नहीं मिले

आरएसएस आज़ादी की लड़ाई में हिस्से लेने के चाहे जितने दावे प्रस्तुत करे लेकिन उसका सच व झूठ सबके सामने है। देश के महान नेताओं की कमियों को सामने रख उनकी छवि बिगाड़ने का काम आरएसएस लगातार कर रहा है जबकि नेताजी सुभाषचंद्र बोस से आरएसएस के संस्थापक और प्रथम संघ प्रमुख डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने स्वस्थ्य रहते हुए बीमारी का बहाना बना उनसे मिलने से इनकार किया। मतलब आरएसएस की सत्ता और कार्यशैली हमेशा से ही झूठ पर चल रही है। आज नेताजी की 128वीं जयंती पर आरएसएस के संस्थापक हेडगेवार और नेताजी की मुलाक़ात को लेकर हुई घटना का ज़िक्र इस लेख में किया गया है।

भारत के धार्मिक विभाजन के खिलाफ थे खान अब्दुल गफ्फार खान

ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान सीमाप्रांत और बलूचिस्तान के एक महान राजनेता थे जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और अपने कार्य और निष्ठा के कारण बादशाह खान के नाम से पुकारे जाने लगे। वे भारतीय उपमहाद्वीप में अंग्रेज शासन के विरुद्ध अहिंसा के प्रयोग के लिए जाने जाते हैं। वह 1940 के लाहौर प्रस्ताव में पाकिस्तान के निर्माण का कड़ा विरोध करने वाले पहले लोगों में से एक थे, और उन्हें इस विरोध के परिणाम 15 अगस्त 1947 के बाद भी अपनी मृत्यु तक भुगतने पड़े। भारत में रहते हुए पाकिस्तान के खिलाफ बोलना और लिखना और पाकिस्तान में रहते हुए पाकिस्तान के खिलाफ बोलना और लिखना, दोनों में बहुत बड़ा अंतर है। उनकी 36वीं पुण्यतिथि पर डॉ सुरेश खैरनार की टिप्पणी।

डॉ आंबेडकर के प्रति हिकारत के पीछे संघ-भाजपा की राजनीति क्या है

एक तरफ डॉ अंबेडकर ने जहां संविधान में समानता, बंधुत्व, स्वतंत्रता को शामिल किया, वहीं आरएसएस ने देश में हिंदुत्व को बढ़ावा देते हुए फासीवाद और ब्रह्मणवाद मार्का पर काम कर रहा है, जिसके बाद अम्बेडकरवादी विचारधारा पर लगातार हमला हो रहा है। 

आर एस एस ने संविधान और डॉ अंबेडकर को कभी महत्व नहीं दिया

आरएसएस का संविधान 'मनुस्मृति' है। जब देश में संविधान लागू हुआ था, तभी आरएसएस के प्रमुख ने संविधान का विरोध किया था। ऐसे में कैसे उम्मीद की जा सकती है कि सत्ता में बैठे लोग, जो वास्तव में आरएसएस के धुर एजेंट हैं, वे संविधान और संविधान निर्माता डॉ अंबेडकर को वैसा सम्मान देंगे, जिसके वे हकदार हैं। स्थिति तो यहाँ तक है कि संविधान और डॉ अंबेडकर को मानने वालों का भी घोर विरोध करते हैं और आपत्तिजनक बयान देने मे भी पीछे नहीं रहते हैं। यही कारण है कि समाज के दलित, पिछड़े और आदिवासी जिन्हें संविधान के अनुसार बराबरी का दर्जा व अधिकार मिला हुआ है, उन्हें भी राजनैतिक, सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक मजबूती पाते देख परेशान हो, उनका शोषण करने में पीछे नहीं रहते। देश की संसद में गृहमंत्री अमित शाह द्वारा दिया गया आपत्तिजनक बयान इस बात का सबूत है।

मानवाधिकार दिवस : सौ वर्षों से मानवाधिकार के उल्लंघन का रिकॉर्ड बनाता आरएसएस

वर्ष 2014 के बाद मानवाधिकार पर लगातार हमले हो रहे हैं। आरएसएस लगातार हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की कवायद में मुस्लिमों पर खुले आम हमला कर रहा है। बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने के बाद संघ ने अन्य मस्जिदों का सर्वे कर मंदिर होने का दावा कर रही है। मुद्दों पर विचार न कर धार्मिक हमलों में मुस्लिमों को आरोपी बनाकर जेल में डाला जा रहा है। ऐसी घटनाएं एक या दो नहीं बल्कि अनेक हैं। मानवाधिकार दिवस पर संघ की कारास्तानी की पोल खोलता डॉ सुरेश खैरनार का यह लेख

पूजा स्थल विवाद : आरएसएस और भाजपा पूजा स्थल अधिनियम 1991 का खुला उल्लंघन कर रहे हैं

क्या कारण है कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 के पारित के बाद भी अभी हाल के समय में अनेक मस्जिद व दरगाहों के सर्वे के दावे सामने आने लगे, और इसके बाद सेवा निवृत हुए मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड लगातार निशाने पर हैं क्योंकि उन्होंने वाराणसी के ज्ञानवापी में सर्वे की अनुमति देने के बाद कहा था कि पूजा स्थल अधिनियम की धारा 3 में पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र का पता लगाने पर कोई रोक नहीं है, उनका यही बयान मस्जिदों के सर्वे की याचिकाकर्ताओं के साथ है जबकि इसी अधिनियम की धारा 4, 15 अगस्त, 1947 को मौजूद धार्मिक स्थलों के स्वरूप को बदलने पर रोक लगाती है। मस्जिदों और दरगाहों के सर्वे की अनुमति साम्प्रदायिक माहौल को बिगाड़ने की साजिश के अलावा कुछ और नहीं है।

डॉग व्हिसल के माध्यम से अल्पसंख्यकों पर निशाना साधते भाजपा नेता

वर्ष 2014 के बाद  अल्पसंख्यकों को लेकर देश की कुर्सी संभालने वाले जिस तरह की भाषा का प्रयोग लगातार कर  नफरत फैला रहे हैं। जिसका परिणाम यह हुआ कि ध्रुवीकरण की राजनीति तेज हुई और जिसका सीधा असर मतदान पैटर्न  पर दिखाई दिया। सामाजिक धारणायें भी इससे अछूती नहीं रहीं। आज हर हिंदू परिवारों के हजारों व्हाट्सएप ग्रुप और ड्राइंग रूम चैट में मुसलमानों को गुनहगार बनाकर नफरत फैलाई जा रही है। लेकिन इस विभाजनकारी भावना से कैसे निपटा जाए? लोगों के बीच वैकल्पिक आख्यान को विकसित करने की आवश्यकता है

भाजपा क्यों भारत जोड़ो यात्रा से घबराई हुई है

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले देवेन्द्र फड़णवीस का बयान आया कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी शहरी नक्सलियों और अति वामपंथी तत्वों से घिरे हुए थे और वे कांग्रेसी कम और अति वामपंथी विचारधारा वाले अधिक लग रहे थे। दक्षिणपंथी हिंदू राष्ट्रवादी अपने गुरु एमएस गोलवलकर के कथन (बंच ऑफ थॉट्स पेज 133) के अनुसार मुस्लिम, ईसाई और कम्युनिस्ट हिंदू राष्ट्र के लिए आंतरिक खतरा हैं, फडणवीस और उनके जैसे लोग हिंदू राष्ट्र के एजेंडे के खिलाफ किसी भी चीज को या तो मुस्लिमों या ईसाइयों या शहरी नक्सलियों या अति वामपंथी के रूप में प्रचारित करते हैं।