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ग्राउंड रिपोर्ट

एक किलो राशन चूहे खा जाते हैं इसलिए बीस नहीं उन्नीस किलो लीजिये

एक किस्सा बनारस के हुकुलगंज इलाके में सामने आया है। एक वायरल वीडियों में दुकानदार पूरी दबंगई से कह रहा है कि बीस किलो में एक किलो राशन चूहे खा जाते हैं इसलिए अनाज एक किलो कम देते हैं। इससे यह समझना कोई मुश्किल नहीं रह जाता कि जनता के अधिकारों को सरकारी गल्ले के दुकानदार खैरात समझते हैं और खुलेआम खाद्य सुरक्षा अधिनियम का मज़ाक उड़ाते हैं।

जनवितरण प्रणाली की क्या हालत हो चुकी है यह उसको लेकर समय-समय पर होने वाली घटनाओं से समझा जा सकता है। प्रायः सामानों की किल्लत और घटतौली की बातें तो सामने आती ही हैं , कभी-कभी तो ऐसे किस्से सामने आते हैं कि दांतों तले उंगली दबाये भी नहीं दबती। ऐसा ही एक किस्सा बनारस के हुकुलगंज इलाके में सामने आया है। एक वायरल वीडियों में दुकानदार पूरी दबंगई से कह रहा है कि बीस किलो में एक किलो राशन चूहे खा जाते हैं इसलिए अनाज एक किलो कम देते हैं। इससे यह समझना कोई मुश्किल नहीं रह जाता कि जनता के अधिकारों को सरकारी गल्ले के दुकानदार खैरात समझते हैं और खुलेआम खाद्य सुरक्षा अधिनियम का मज़ाक उड़ाते हैं।

सतर्कता समिति के सदस्य कहते हैं – कोई शिकायत नहीं करता इसलिए हम ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते। खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत संचालित गल्ला गोदाम पर भ्रष्टाचार का मामला दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। हुकुलगंज स्थित एक सरकारी गल्ले की दुकान पर बीस किलो में एक किलो कम अनाज देने का सिलसिला कई महीने से चल रहा है। दूसरी तरफ, खरीदारों ने यह भी आरोप लगाया है कि दुकान पर राशन काफी गंदगी से रखी जाता है। यह शिकायत लगभग सभी दुकानों को लेकर है।

बता दें कि  क्षेत्र की राधा देवी, गीता, गुड़िया चौरसिया, आनंदी, राधा गुप्ता आदि महिलाओं ने आरोप लगाया है कि गल्ले की दुकान पर राशन बाँटने का कोई समय नहीं रहता है। हर महीने हम लोगों को पता करना पड़ता है कि राशन कब बंटेगा। जिस दिन राशन बाँटा भी जाता है तो मात्र तीन या चार घंटे बाद दुकानें बंद कर दी जाती हैं और अगले दिन आने को कह दिया जाता है। लाभार्थी परिवारों का यह भी आरोप है कि राशन में बहुत गंदगी रहती है। कई लीटर पानी सिर्फ गेहूँ को साफ करने में लग जाता है। ईंट-पत्थर निकलते हैं वो अलग। बताया जा रहा है कि बीस किलो राशन में एक से डेढ़ किलो सिर्फ ईंट-और काले पत्थर की रोड़ियाँ रहती हैं।

उपरोक्त महिलाओं ने बताया कि चावल पकने के बाद बदबू करता है। राशन को साफ करने में काफी समय लग जाता है तब जाकर वह पकाने और खाने लायक हो पाता है। दूसरी तरफ, राशन कम मिलने के बावत जब गल्ला गोदाम की सतर्कता समिती के एक सदस्य से बात की गई तो उन्होंने बताया कि दुकान में बड़े-बड़े चूहे होते हैं वे ही अनाज खा जाते हैं। उनका यह भी कहना है कि अभी तक किसी ने शिकायत नहीं की इसलिए इसके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है।

सतर्कता समिति के सदस्य के इस गैरजिम्मेदाराना बयान से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार की ओर से संचालित इस योजना का वास्तव में क्या हाल होगा। हमारे प्रतिनिधि की पड़ताल से यह भी मालूम हुआ है कि गल्ला की दुकानों से कई बोरी अनाज कोटेदार द्वारा निजी दुकानों पर बेचा जा रहा है। एक-एक किलो अनाज की चोरी कर कई बोरी अनाज खुद की आमदनी बढ़ाने के लिए बचाया जा रहा है।

अमन विश्वकर्मा
अमन विश्वकर्मा
अमन विश्वकर्मा गाँव के लोग के सहायक संपादक हैं।

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