Sunday, September 15, 2024
Sunday, September 15, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमविविधप्रेमचंद को याद करते हुए सर्व सेवा संघ ने अन्याय के खिलाफ...

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

प्रेमचंद को याद करते हुए सर्व सेवा संघ ने अन्याय के खिलाफ बांटा पर्चा

वाराणसी। कथा सम्राट प्रेमचंद के गांव लमही में अनेक सरकारी और गैर सरकारी व्यक्ति, संस्थाएं जुटी हुई थीं। कहीं नाटक का मंचन हो रहा था, कहीं गीत-संगीत और कहीं चर्चा-परिचर्चा जारी थी। मेले जैसा माहौल था। मुंशी प्रेमचंद की 143वीं जयंती पर दीपांजलि मनाई गई। 5100 दीपों की रोशनी से पूरी लमही जगमगा रही थी। […]

वाराणसी। कथा सम्राट प्रेमचंद के गांव लमही में अनेक सरकारी और गैर सरकारी व्यक्ति, संस्थाएं जुटी हुई थीं। कहीं नाटक का मंचन हो रहा था, कहीं गीत-संगीत और कहीं चर्चा-परिचर्चा जारी थी। मेले जैसा माहौल था। मुंशी प्रेमचंद की 143वीं जयंती पर दीपांजलि मनाई गई। 5100 दीपों की रोशनी से पूरी लमही जगमगा रही थी। दिनभर साहित्य और कथाओं का मंथन एवं शाम को दीपांजलि ने प्रेमचंद के पैतृक निवास को गुलज़ार कर दिया। इस दौरान प्रेमचंद का पैतृक आवास काफी भव्य तरीके से सजाया गया था।

स्मारक से लेकर उनकी लाइब्रेरी और घर के ताखों, खिड़कियों और लॉन को भी दीपों और फूलों से सजा दिया गया था। बीएचयू समेत कई स्कूलों के छात्रों ने बड़ी तन्मयता के साथ प्रेमचंद की जन्मस्थली पर दीयों की सजावट की। साल भर गुमसुम रहने वाले लमही में काफी चहल-पहल दिखी। इसी के साथ दो दिवसीय मुंशी प्रेमचंद लमही महोत्सव का समापन हो गया। प्रेमचंद विद्रोही कथाकार थे। उनको जहाँ-कहीं भी समाज में या अंग्रेज सरकार द्वारा अन्याय होता हुआ दिखा, उन्होंने अपनी लेखनी से उकेरा।

हस्ताक्षर कर लोगों ने जताया विरोध

दूसरी तरफ, सर्व सेवा संघ ने आज प्रेमचंद को याद करते हुए उनके गांव में सरकार और प्रशासन द्वारा किए जा रहे अन्याय के खिलाफ मेले में पर्चा बांटा और लोगों से हस्ताक्षर करवाया। घूम-घूम कर लोगों को बताया कि भाजपा सरकार ने महात्मा गांधी, विनोबा भावे, जयप्रकाश नारायण, प्रेमचंद की किताबों को कूड़ा-गाड़ी में भरकर खेतों में डाल दिया।

विश्व गुरु बनने का नारा देने वाली हिंदूवादी सरकार ने न केवल सामाजिक सरोकार वाली किताबों को कूड़े की तरह फेंक दिया बल्कि गांधी, विनोबा, स्वामी विवेकानंद, रामतीर्थ, रामकृष्ण परमहंस, शिवानंद के आध्यात्मिक पुस्तकों को भी लावारिस कूड़े के ढेर की तरह फेंक दिया।

गीता प्रवचन, गीता माता, गीता तत्व बोध, पतंजलि योगसूत्र, महागुहा में प्रवेश आदि सैकड़ों की संख्या में आध्यात्मिक किताबें, योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा की किताबें भी सरकार ने खेतों में डाल दिया।

प्रकृति या ईश्वर की मेहरबानी कहिए कि बारिश नहीं हुई, इसलिए किताबें बच गई हैं। नहीं तो जैसे नालंदा में किताबें जल गई, ऐसे ही ये किताबें पानी में गल गई होतीं।

बची हुई किताबों को सर्व सेवा संघ ने सहेज कर सीमित मात्रा में यहां वितरित किया।

आज कार्यक्रम में अजय रोशन, नंदलाल मास्टर, धनंजय त्रिपाठी, फादर आनंद, जागृति राही, अनूप श्रमिक, जीतेंद्र, अवनीश, जय, सागर, राम धीरज आदि कार्यकर्ता वहां मौजूद थे।

राम धीरज सर्व सेवा संघ से सम्बद्ध हैं।

गाँव के लोग
गाँव के लोग
पत्रकारिता में जनसरोकारों और सामाजिक न्याय के विज़न के साथ काम कर रही वेबसाइट। इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग और कहानियाँ देश की सच्ची तस्वीर दिखाती हैं। प्रतिदिन पढ़ें देश की हलचलों के बारे में । वेबसाइट को सब्सक्राइब और फॉरवर्ड करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here