1977 में तत्कालीन मोरारजी देसाई सरकार ने दूसरी बार पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया, जिसके अध्यक्ष बी.पी. मंडल बनाए गए। वर्ष 1990 में वीपी सिंह ने इस आयोग की अनुशंसाओं में से कुछ को लागू किया, जिसके कारण पहले सरकारी सेवाओं में 27 फीसदी आरक्षण और बाद में 2006 में उच्च शिक्षण संस्थाओं में दाखिले में 27 फीसदी आरक्षण का अधिकार ओबीसी को मिला।
ओबीसी को उसका अधिकार मिलने में 40 साल से अधिक समय क्यों लगा? कई बार आरएसएस की मानसिकता वाले लोग (पिछड़े वर्ग के लोग भी) इसके लिए डॉ. आंबेडकर को कसूरवार ठहराते हैं। वे डॉ. आंबेडकर के प्रति कृतज्ञ ही नहीं होते कि जब देश में ओबीसी के सबसे बड़े नेता सरदार वल्लभभाई पटेल आरक्षण के पक्ष में नहीं थे, तब उन्होंने अनुच्छेद 340 में ओबीसी को आरक्ष्ण मिले, इसके लिए संविधान में प्रावधान कर दिया था। वहीं अनुच्छेद 341 में उन्होंने अनुसूचित जाति और अनुच्छेद 342 में अनुसूचित जनजाति के लिए प्रावधान किया।
तथ्यपरक जानकारी भरा आलेख।
डॉक्टर अम्बेडकर और जयपाल सिंह मुंडा कपने वर्ग का प्रतिनिधित्व करके आरक्षण ले लिए किंतु ओबीसी के सबसे बड़े नेता सरकार पटेल आरक्षण के विरोध में रहें। महत्वपूर्ण जानकारी दिए खप। शायद इसीलिए आरक्षण लागू होने में इतनी देर हुई।
आरक्षण का अधिकार राज्यों को दे दिया जाय, महत्वपूर्ण विधेयक हो सकता है किंतु केंद्र सरकार की तरफ से दिए जा रहे नौकरियों का फैसला कौन करेगा? उसमें गड़बडिय़ों की सम्भावना हो सकती है।