इतिहास लेखन के नजरिए से डॉ. आंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस के मौके पर आरएसएस का बाबरी विध्वंस (डायरी 5 दिसंबर, 2021)
नवल किशोर कुमार
6 दिसंबर, 1956 को डॉ. आंबेडकर के निधन के बाद दलित-बहुजन दृष्टिकोण से इतिहास सृजन की दिशा ही बदल गयी। हालांकि इसका प्रयास भी बहुत पहले शुरू हो गया था और इसकी जड़ में भी डॉ. आंबेडकर ही थे। मैं तो 1916 को ही प्रस्थान वर्ष मानता हूं जब डॉ. आंबेडकर ने कोलंबिया विश्वविद्यालय में अपना शोध प्रबंध प्रस्तुत किया था और भारत में अछूत आंदोलन की नींव पड़ी। इसका प्रभाव इतना व्यापक था कि ब्राह्मणों को आरएसएस का गठन करना पड़ा।

नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस में संपादक हैं।
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