Saturday, July 27, 2024
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महिला खिलाड़ियों के साथ यौन उत्पीड़न सामान्य घटना नहीं है

बहुत खुशी होती है जब हमारे देश की बेटियां मेडल लाती हैं। उनसे सीख लेकर हमारे गांव-घर की तमाम लड़कियां उस ऊंचाई तक जाने का सपना देखने लगती हैं और उसके लिए परिश्रम करतीं हैं। ओलंपिक में मेडल लाने के बाद देश के प्रधानमंत्री तक उनके साथ तस्वीरें खिंचवाते हैं और गर्व महसूस करते हैं […]

बहुत खुशी होती है जब हमारे देश की बेटियां मेडल लाती हैं। उनसे सीख लेकर हमारे गांव-घर की तमाम लड़कियां उस ऊंचाई तक जाने का सपना देखने लगती हैं और उसके लिए परिश्रम करतीं हैं। ओलंपिक में मेडल लाने के बाद देश के प्रधानमंत्री तक उनके साथ तस्वीरें खिंचवाते हैं और गर्व महसूस करते हैं किंतु पिछले कुछ दिनों से यही महिलाएं बीजेपी सांसद एवं कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठी हैं तो उनके पक्ष में बोलने की हिम्मत किसी सत्ता पक्ष में नहीं हो पा रही है। मुख्यधारा की मीडिया तो एकदम से चुप्पी साध गई है। अब उनके मामले में स्वयं सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा है। दिल्ली के जंतर-मंतर पर बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ 38 संगीन अपराध मामलों के एफआईआर की सूची लगा दी गई है, फिर भी टेलीविजन के कुछ चैनल अभी भी उनकी प्रशंसा में गीत गा रहे हैं। जिन सात लड़कियों ने उनके विरुद्ध शिकायत की है अब उनके घर तक के निजी मामले में भी हस्तक्षेप किया जा रहा है, उनको धमकियां दी जा रही हैं एवं उनके नाम उजागर किए जा रहे हैं। उन लड़कियों में एक लड़की 16 वर्ष की नाबालिग है। इस प्रकार उनके प्रति पॉक्सो का भी मामला बनता है। दूसरी तरफ, भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष और राज्यसभा की मनोनीत सांसद पीटी उषा ने एक बैठक के बाद कहा था कि पहलवानों का सड़कों पर प्रदर्शन करना अनुशासनहीनता है और इससे देश की छवि ख़राब’ हो रही है। इस शर्मनाक बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए पहलवान बजरंग पुनिया ने कहा था कि ‘उनसे इतने कड़े बयान की उम्मीद नहीं थी।’

सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद 27 अप्रैल को दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज कर ली है किंतु महिला खिलाड़ियों की मांग है कि जब तक वह व्यवस्था में बना रहेगा, तब तक उनके विरुद्ध कोई जांच नहीं हो सकती। उनका कहना है कि पहले बृजभूषण से इस्तीफा लेकर उनकी गिरफ्तारी की जाए, तभी वे धरने से उठेंगी। धरने पर बैठे खिलाड़ियों में विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया समेत तमाम खिलाडी, खाप पंचायत सदस्य, किसान और राजनीतिक दलों ने समर्थन दे दिया है। अब यह मामला दबाया नहीं जा सकता है, यही महिलाएं जब चार महीने पहले जनवरी में धरने पर बैठी थीं तो उनसे यह कहकर धरना तोड़वाया गया था कि बृजभूषण के खिलाफ जांच की दो कमेटियां गठित कर दी गई हैं और जल्द ही इन पर कार्रवाई की जाएगी किंतु अब तक कोई खास असर नहीं हो सका है। न्याय मिलने की कोई असर भी नहीं दिखाई दे रहा है उस कमेटी में विनेश फोगाट की बहन बबिता फोगाट भी शामिल है। उन्होंने बयान दिया है कि इस मामले की कॉपी पर मुझसे जबरन दस्तखत ले लिया गया है तथा जब मैं कॉपी को पढ़ने की कोशिश की तो मेरे हाथ से छीन लिया गया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये जांच कमेटियां किस प्रकार से काम कर रही हैं।

जंतर-मंतर पर धरनारत भारतीय खिलाडी

महिलाओं को किसी ऊंचाई तक पहुंचने से पहले उन्हे अपने जीवन और संघर्ष के साथ बहुत कीमतें चुकानी पड़ती हैं। पितृसत्तात्मक समाज आज भी महिलाओं को चूल्हे-चौके से ज्यादा और कुछ अधिकार नहीं देता, किंतु कुछ महिलाएं उन परिवारिक, सामाजिक मर्यादाओं को लांघ कर संघर्ष करते हुए खेल के मैदान में उतरती हैं, सुबह-शाम दौड़ लगाती है, मेहनत करती हैं और देश के लिए कीर्तिमान हासिल हासिल करने का सफर तय करती है। इस बीच बृजभूषण शरण सिंह जैसे तमाम दरिंदे उनके साथ घिनौने और जघन्य अपराधिक कृत्य कर बैठते हैं। उनकी ये हरकत महिलाओं के हौसले को तोड़ने का काम करता है। ऐसे में मां-बाप को अपने बेटियों को इस क्षेत्र में भेजने से डर-सा लगने लगता है और खेल जगत की व्यवस्था पर अविश्वास प्रकट करता है। इससे खेल में अभ्यास कर रही अन्य लड़कियों के भी हौसले डगमगाने लगते हैं।

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स्त्रियों पर हिंसा का कारण पितृसत्ता ही है

जिन खिलाड़ियों ने देश की बेटियों के लिए जंतर-मंतर पर विरोध करने का ऐतिहासिक कदम उठाया है, मैं उनके जज्बे को सलाम करती हूँ और उन्हें अपना समर्थन देती हूँ। ये लोग ओलंपिक में पदक ला चुकी हैं और इनके खेल जीवन का करियर अभी बाकी है। इन्हें जहां अपने आने वाले खेलों की तैयारी के लिए अभ्यास करना चाहिए वहीं देश की अव्यवस्था, उत्पीड़न और यौन हिंसा के विरुद्ध लड़ रही हैं। उनकी यह लड़ाई आने वाली पीढ़ियों के लिए मजबूत कड़ी साबित होगी। मुझे उम्मीद है कि उनके साथ न्याय होकर रहेगा और सरकार को झुकना पड़ेगा।

दीपिका शर्मा युवा लेखिका हैं।

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