विश्व के सभी आदिवासियों में जागरूकता फैलाने के साथ उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए हर वर्ष 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। संयुक्त रासत्र महासभा ने 1994 को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी वर्ष घोषित किया था। विकास के नाम पर हमने आदिवासियों के लिए मापदंड तय कर दिए हैं। यदि वे अपनी मौलिकता, अद्वितीयता और अस्मिता खोकर ब्राह्मणवादी व्यवस्था की पोषक धर्म परंपरा को स्वीकार कर लें तो हम उन्हें देश की धार्मिक-सांस्कृतिक मुख्य धारा का अंग मान लेंगे। यदि वे सहर्ष अपना जल-जंगल-जमीन त्यागकर स्वामी से सेवक बन जाएं तो हम अपनी कल्याणकारी योजनाओं द्वारा उनका उद्धार करेंगे। यह लेख राजू पांडे द्वारा लिखित है, जिसे 9 अगस्त 2022 को gaonkelog.com में छापा था। आज यह लेख पुन: प्रकाशित किया जा रहा है।
फादर ग्राहम स्टेंस और उनके मासूम बच्चों की हत्या को हिन्दू जाति-व्यवस्था के ऊपरी सतह पर रहनेवाले लोगों की धार्मिक घृणा का परिणाम मानना चाहिए। इस घृणा का राजनीतिक स्वरूप यह है कि वर्तमान समय में तथाकथित हिंदुत्ववादी धर्मसंसद खुलेआम अल्पसंख्यकों की हत्या को अपना एजेंडा बनाकर पेश करती है। वह संसद से लेकर संविधान की धज्जियाँ उड़ा रही है। इनके खिलाफ शांति-सद्भावना के साथ सर्वधर्म समभाव को मानने वाले लोगों ने इकठ्ठा होकर सक्रिय रूप से गतिशील होने की जरूरत है।
घरघोड़ा से पेलमा तक रेल लाइन बिछाने के लिए 21 गांवों में 600 किसानों की ज़मीनें जाएंगी और 3 हजार की आबादी विस्थापित होगी। इस इलाके में आदिवासियों का निवास है। जिनकी अपनी थोड़ी सी खेती-किसानी है और इनका पूरा जीवनयापन जंगलों पर निर्भर है।
आदिवासी इलाके देश के सबसे गरीब क्षेत्रों में शामिल हैं और पिछले दो दशकों में वहां आदिवासियों के विरुद्ध हिंसा में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। आंकड़ों से पता चलता है कि यह हिंसा बड़े पैमाने पर नहीं हो रही है परंतु यह लगातार जारी है
चंदौली जिले की नौगढ़ तहसील के नुनवट गाँव के मुसहर भी दूसरी जगहों के मुसहरों की ही तरह हैं। वे इस बात से खुश हैं कि उनके पास कई प्रकार के कार्ड हैं। लाल कार्ड यानी गरीबी रेखा के नीचे वाला राशन कार्ड, पीला कार्ड यानी आयुष्मान योजना का कार्ड, ई-श्रम कार्ड, जॉब कार्ड आदि। आयुष्मान कार्ड के पीछे लिखे नियम और शर्तों के अनुसार यह कार्ड सरकार द्वारा नामित अस्पतालों में मान्य होगा और इससे पाँच लाख तक के इलाज की सुविधा है। मनरेगा में उन्हें काम मिलता है लेकिन साल भर में कभी भी दो महीने से ज्यादा नहीं मिलता।
14 जुलाई, 2022 को सर्वोच्च न्यायालय ने हिमांशु कुमार द्वारा दायर याचिका पर फैसला सुनाया। उनके द्वारा दिए तथ्यों और प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा देखे हत्याकांड...