Thursday, November 21, 2024
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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

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Kumar Vijay

मण्डल मसीहा वीपी सिंह के बहाने नये विकल्प की तलाश में सामाजिक न्याय की राजनीति

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को चेन्नई में...

कितने बचे हैं मिर्ज़ापुर में काशी प्रसाद जायसवाल 

मिर्ज़ापुर। डॉ काशी प्रसाद जायसवाल के स्मृति अवशेष की तलाश में हम उनके पैतृक घर मिर्जापुर गए, जहाँ हमारे स्वागत के लिए एक प्रवेशद्वार...

अभी बसे भी नहीं थे कि आ गई उजाड़ने की धमकी, अब सफाईकर्मियों को कहाँ बसाएगी सरकार

वाराणसी। कई बार उजड़ और उखड़ कर, बस अभी पाँव थमे ही थे कि फिर से उखड़ जाने का आदेश पारित हो गया है।...

मध्य प्रदेश में चुनाव उत्तर प्रदेश में तनाव, बयानबाजी से यूपी में बिगड़ ना जाये इंडिया का समीकरण

पाँच राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित हो चुकी हैं। ज़्यादातर राज्यों में चुनाव भाजपा बनाम कांग्रेस है। इसके बीच कुछ स्थानीय पार्टियां...

मीडिया ट्रायल और एकतरफा बयानबाजी कहाँ ले जाएगी देवरिया के इंसाफ को?

राजनीति और समाज में दोनों के मुंहाने पर नजर डाली जाय तो यह समय पिछड़ी जातियों के लिए किसी संक्रमण काल की तरह है।...

मुख्यमन्त्री और राज्यपाल की प्रतिद्वंद्विता में दांव पर है पश्चिम बंगाल की उच्चशिक्षा

पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक नए तरह का संघर्ष देखने को मिल रहा है। इस बार दांव पर शिक्षा है और राज्य सरकार...

क्या भूमिहीन जातियों के लिए जमीन का बंदोबस्त कर पायेगी जाति जनगणना

  उत्तर भारत की राजनीति में जाति जनगणना की बात लंबे समय से चल रही थी। कभी लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, गोपीनाथ मुंडे और...

एक नया राजनीतिक अध्याय साबित हो सकती है बिहार की जाति जनगणना

गांधी जयंती पर बिहार सरकार ने जाति जनगणना के आंकड़े जारी करके भारतीय राजनीति और सामाजिक बदलाव के एक नए अध्याय की शुरुआत कर...

गंगा कटान पीड़ित किसान और उनके हक की लड़ाई

चंदौली। गंगा के तटवर्ती गांवों में आजकल एक अलग तरह की हलचल है जिसमें ऐसे किसानों की  माँगों को उठाया जा रहा है जिनके...

आकस्मिक श्रमिकों के हित और हक के खिलाफ चोर दरवाजा तलाशती सरकार

आकस्मिक श्रम, अनियमित रोज़गार या अंशकालिक श्रम, जिसमें उन श्रमिकों का श्रम शामिल है जिनके सामान्य रोज़गार में अल्पकालिक नौकरियों की एक श्रृंखला शामिल होती है। कैज़ुअल लेबर को आम तौर पर घंटे या दिन के हिसाब से या विशिष्ट कार्यों के प्रदर्शन के लिए काम पर रखा जाता है, जबकि अंशकालिक लेबर को आम तौर पर प्रति सप्ताह न्यूनतम घंटों के लिए निर्धारित किया जाता है। 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत का एक सामान्य आकस्मिक मजदूर गोदी कर्मचारी था।

पूर्वाञ्चल में बढ़ रहा है अपराध का ग्राफ, क्या कह रहे हैं लोग

वाराणसी। काशी की राजनीतिक तेग भले ही पूरे हिंदुस्तान पर चल रही हो पर देश को प्रधानमंत्री देने वाला उत्तर प्रदेश का यह जिला...

घोसी में विफल हुई भाजपा, सफल हुआ अखिलेश का पीडीए फार्मूला

इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी सुधाकर सिंह ने घोसी के उपचुनाव में NDA प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को 42 हजार से ज्यादा वोटों से पराजित...

सनातन पर सियासी उबाल, धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश में लगी भाजपा

उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की सामाजिक विषमताओं को अन्यायपूर्ण गैर बराबरी वाली सोच से भरा मानते हुये कहा कि अब यह स्थिति आ गई है कि हमें केवल सनातन धर्म की अन्यायपूर्ण व्यवस्था का विरोध नहीं करना है बल्कि इसे समूल मिटाना होगा। उन्होंने कहा कि कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं जिनका विरोध करना काफी नहीं होता है।

फासिस्म को पराजित करने के मंसूबे में मजबूती से खड़े होते इंडिया के सामने चुनौतियों का चकव्यूह

पिछले दो महीने में भारत की राजनीति में विपक्ष ने जिस तरह से न्यूनतम शर्तों या अभी तक के परिदृश्य में बिना शर्तों के,...

घरेलू गैस ने फिर जलाई चुनावी आग, सरकार जलेगी या विपक्ष, वक्त बताएगा

बढ़ती मंहगाई के बीच गैस सिलेंडर के दाम 200 रूपये घटाए गये हैं। इस खबर को लेकर सत्ता पक्ष खुशी की लहर बनाना चाहता...

क्या मायने हो सकते हैं मायावती की असंभव शर्त के

भतीजे आनंद का रुतबा उत्तर प्रदेश की राजनीति में तभी बढ़ सकता है जब विपक्ष के सबसे मजबूत नेता का तमगा अखिलेश यादव से छिन जाये और चंद्रशेखर रावण जैसे युवा दलित स्वर कमजोर हो जाएँ। कहावत है कि कबूतर की कलाबाजी उसी आसमान में होती है जिसमें बाज के झपट्टा मारने का डर नहीं होता है।

घोसी उपचुनाव में बिना चुनाव लड़े दांव पर लग गए हैं ‘पियरका चाचा’

मऊ। जिले की घोसी विधानसभा सीट के उपचुनाव ने उत्तर प्रदेश की राजनीति का तापमान बढ़ा दिया है। घोसी विधानसभा सीट पर समाजवादी के...

सिनेमा में भारत-पकिस्तान विभाजन की त्रासदी

भारत-पाकिस्तान विभाजन को कई बार और कई-कई तरह से हिन्दी सिनेमा के साथ पाकिस्तानी सिनेमा ने भी पर्दे पर उतारा है।  इतिहास यात्रा की इस परिघटना ने हिन्दी सिनेमा को कुछ महत्वपूर्ण फिल्में दी हैं। जिनमें विस्थापन की व्यथा-कथा बहुत ही मार्मिक तरीके से दर्ज है।

दो दिन की संसदीय बहस में भी अनुत्तरित रहे राहुल गांधी के सवाल

यदि वह कांग्रेस के अतीत की गलती है, तब भी क्या देश के प्रधानमंत्री को इस विषय पर संसद में अपना पक्ष नहीं रखना चाहिए। जबकि पूरा विपक्ष और देश के तमाम नागरिक संगठन इसे पूरी तरह से सरकार की असफलता ही नहीं, बल्कि सरकार का सुनियोजित प्रयास बता रहे हैं। इस सबके बावजूद प्रधानमंत्री इस मामले पर कुछ भी कहने से लगातार बचते रहे हैं।

वंचना और गरीबी के दुष्चक्र में जी रहे दस्तकार बेलवंशी समाज के लोग

भदोही। भदोही जिला ग्राम मजारपट्टी के निवासी हैं रतन बेलवंशी। वे ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित हैं। उन्होंने अपना इलाज भदोही, जौनपुर और वाराणसी से...

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