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आज़मगढ़ हवाई अड्डा : संसद में मंत्री ने कहा केंद्र सरकार के पास न विकास का प्रस्ताव न कोई योजना

आज़मगढ़ के मंदुरी हवाई अड्डे के विस्तार से होनेवाले आठ गाँवों के विस्थापन के खिलाफ चले लम्बे आन्दोलन और कोशिशों से पता चला है कि भारत सरकार के नागर विनानन मंत्रालय के पास इसके विस्तार की कोई योजना ही नहीं है। लालगंज के सांसद दरोगा प्रसाद सरोज के एक प्रश्न के जवाब में नागर विमानन राज्यमंत्री ने कहा है कि न तो ऐसा कोई प्रस्ताव मिला और न ही विस्तार की कोई योजना है। इससे आन्दोलनकारी किसानों को राहत मिली है लेकिन सवाल उठता है कि वे कौन लोग हैं जो दो साल से इसे अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाना चाहते हैं और इसके लिए किसानों से सहमति ले रहे थे? इस विडंबनापूर्ण मामले ने कई नए सवाल खड़े कर दिए हैं।

राहुल गाँधी को बच्चा कह देने से विपक्ष के मुद्दे कमजोर नहीं पड़ सकते

केंद्र की मोदी सरकार के पिछले दो कार्यकाल संसद में विपक्ष के नेता के बिना ही चला और बीजेपी सरकार ने खूब मनमानी की। लेकिन अठारहवीं लोकसभा के चुनाव के बाद इस बार संसद में विपक्ष के नेता की बागडोर राहुल गांधी के जिम्मे है, और वे इस ज़िम्मेदारी को अच्छी तरह निभा रहे हैं। इसे उन्होंने संसद के पहले सत्र में ही दिखा दिया। इस बार सत्ता पक्ष को संसद में उन सवालों से दो-चार होना ही पड़ेगा, जिनसे वह बचता आया था।

परिवारवाद के रास्ते रोजगार का हिस्सा बनती जा रही है भारतीय राजनीति

भारतीय राजनीति में विभिन्न क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का जन्म यूँही नहीं हुआ, इसका कारण केवल और केवल यह है कि ब्राह्मणवाद के चलते पहले...

महिला आरक्षण में आरक्षण की कितनी तैयारी, क्या वंचित समाज की तय होगी हिस्सेदारी 

संसद से यह सवाल भी किया जाना चाहिए कि क्या आरक्षण के भीतर भी आरक्षण की स्थिति साफ की जाएगी या फिर सिर्फ आरक्षण महज विशिष्ट वर्ग की महिलाओं तक ही सीमित रहेगा?  यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि आरक्षण के जिस विधेयक को अब मंजूरी मिली है वह पिछले 27 साल से राजनीतिक गतिरोध का शिकार होता रहा है।

‘एक देश-एक चुनाव’ का प्रस्ताव लोकतंत्र की हत्या तो नहीं?

बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुघ ने लिखा है कि 'भारत में हर साल कोई न कोई चुनावी प्रक्रिया चलती रहती है। विभिन्न राज्यों...

खबरें केवल खबरें नहीं होतीं (डायरी, 1 अगस्त, 2022) 

खबरों की दुनिया अलग ही होती है। मतलब यह कि हर खबर के पीछे एक कहानी होती है। ऐसी कोई खबर नहीं होती है,...

एक नयी और दिलचस्प टकराहट (डायरी, 23 दिसंबर 2021) 

मैं एक बात सोच रहा हूं देश के संसद के बारे में। मेरी जेहन में राष्ट्रीय गीत की बातें हैं। दरअसल कल संसद का...

संसद में लंपटता (डायरी 21 दिसंबर, 2021)  

सियासत में संवेदनशीलता अलहदा विषय है। कौन कितना अच्छा सियासतदान है, इसके आकलन के कई मानदंड हो सकते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि...

विमल, कंवल और उर्मिलेश डायरी (11 अगस्त, 2021) (दूसरा भाग)

कल का दिन एक खास वजह से महत्वपूर्ण रहा। लोकसभा में केंद्र सरकार द्वारा लाया गया अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित 127वां संविधान...

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