Thursday, March 28, 2024
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उत्तराखंड : पिंगलों गांव के लोग बेरोजगारी के कारण अभाव में जी रहे हैं

उत्तराखंड के पिंगलों ‘गाँव में रोजगार का कोई साधन नहीं होने की वजह से लोग पलायन कर रहे हैं। नौजवान दिल्ली, मुंबई, सूरत, अमृतसर और अन्य शहरों के होटलों और ढाबों में काम करने को मजबूर हैं।

प. बंगाल में एक परिवार के चार लोगों के क्षत-विक्षत शव फ्लैट में पाए गए

बारासात/कोलकाता (पं. बंगाल)(भाषा)।  पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में एक ही परिवार के चार लोगों के क्षत-विक्षत शव उनके फ्लैट में पाए...

मुंबई में तेज रफ्तार कार ने कई वाहनों को मारी टक्कर, तीन की मौत, छह घायल

मुंबई (भाषा)। मुंबई में बांद्रा-वर्ली सी लिंक पर एक तेज रफ्तार कार ने कई वाहनों को टक्कर मार दी, जिससे दो महिलाओं सहित तीन...

दोहरे हत्याकांड मामले में आरोपी को मौत की सजा

मुंबई (भाषा)। मुंबई की एक सत्र अदालत ने 2017 में यहां एक बुजुर्ग महिला और दो साल की बच्ची को आग के हवाले कर...

पवार ने असमानता के लिए मनुस्मृति को बताया जिम्मेदार एवं मुंबई की अन्य खबरें

मुंबई (भाषा)।  राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के संस्थापक शरद पवार ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए सोमवार को कहा कि अयोध्या...

एक ऐसा उपनगर जहां भीड़ बढ़ती जा रही है लेकिन सुविधाएं कुछ भी नहीं

नायगाँव पूर्व के निवासी पिछले 18 वर्षों तक टैंकर द्वारा महंगा पानी खरीद कर पीने को मजबूर थे। इस उम्मीद में कि एक दिन सरकारी पानी जरूर मिलेगा। दो साल पहले मिला भी था। लोग बहुत खुश हुए थे। लेकिन फिर पिछले सात-आठ महीनों से सरकारी पानी की सप्लाई जान-बूझकर आधी कर दी गई है। फिर से टैंकर का पानी शुरू हो गया है। अब फ्लैट लेने वाले बेचने की फिराक में लग गए हैं, लेकिन जितने में खरीदा है, उतना दाम अब नहीं मिल पा रहा है।

भविष्य के अंदेशों के बीच बम्बइया मिठाई

सामान्य शहर में रहने वाले व्यक्ति का मुंबई जाकर सरवाइव करना मुश्किल होता है। एक तो वहाँ की भागती-दौड़ती ज़िंदगी, लोकल ट्रेन का सफर और बेतहाशा भीड़, जहां स्वयं को देख पाने की याद और फुरसत दोनों नहीं मिलती। ऐसे में घर से गया अकेला आदमी अक्सर घबरा जाता है और जल्द ही वापस अपने घर आने की सोचता है।

यह फिल्म नफ़रत की शिकार युवती और वर्तमान समय के एक युवा के बीच संवेदनाओं पर आधारित है।

https://www.youtube.com/watch?v=y0zcZgNO7OQ&t=465s एलियन-फ्रेंक नामक आनेवाली फिल्म के लेखक-निर्माता राजेश प्रसाद , निर्देशक अमर दुबे और अभिनेता लकी सिंह से बातचीत।

स्त्री-शिक्षा व राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले               

आधुनिक भारत के सामाजिक परिवर्तन के इतिहास में स्त्री-शिक्षा के लिए सबसे पहले मशाल जलाने वाली एक ऐसी महिला शख्सियत का नाम आता है।...

नफरत फैलाना, हिंसा भड़काना अब नहीं है अपराध!

सूरजपाल अमु ने अत्यंत घटिया और नफरत फैलाने वाला भाषण दिया। उसके बाद उन्हें भाजपा की राज्य इकाई का प्रवक्ता बना दिया गया। गौरक्षा-बीफ...

मन की आँखें

वह जनवरी 2018 का कोई दिन था जब हम चार साथी यानी अंगनूराम, शशांक, कृष्ण ठाकुर और मैं, कार्यालय में लंच करने के बाद...

सूपवा ब्यंग कसे तो कसे, चलनियों कसे, जिसमें बहत्तर छेद

मैं चार दिसंबर को महानगरी से स्लीपर क्लास में मुम्बई आ रहा था। हमारे सीट के पास एक परिवार सफर कर रहा था। वे...

सात समंदर पार ले जाइके, गठरी में बांध के आशा….

वर्तमान पीढ़ी का एक गंभीर संकट जड़हीनता है। ऐसा इसलिए कि अधिकांश 'राजपत्र' और 'कनेक्टिविटी' से घिरी हुई जीवन शैली का आनंद लेते हैं,...

वह चला गया मुझे आधे रास्ते पर उतारकर ….

मैं साल में कम से कम एक बार दीपावली के बाद 3-4 सप्ताह की छुट्टी लेकर गांव अवश्य जाता हूँ। इस छुट्टी में से...

स्त्री सशक्तीकरण और जागरुकता के लिए स्त्री विमर्श एक कारगर औजार है

बातचीत का दूसरा हिस्सा • अपनी कहानियों या किताबों में से आप किसे अधिक सफल मानती हैं और क्यों? एक किताब आयी है–आम औरत: ज़िदा सवाल।...

हिम्मत नगर के अच्छेलाल

‘नमस्कार, चाचा। मैं हिम्मत नगर से अच्छेलाल बोल रहा हूँ।’ हर दूसरे-तीसरे महीने किसी रविवार की सुबह मोबाइल पर यह वाक्य सुनने को मिल...

साजिश की थ्योरी (डायरी 11 अक्टूबर 2021)

सियासत में और सियासत को समझने में आवश्यक अध्ययन में एक थ्योरी होती है। इसे मैं षडयंत्र की थ्योरी मानता हूं। इसमें होता यह...

बालों के रंग से चाचाजी बनाम दादाजी

इधर कुछ वर्षों से मैंने हर साल दीपावली के बाद छुट्टी लेकर गाँव जाने का क्रम सा बना लिया क्योंकि इस समय गुलाबी ठंड...

टॉवर ट्री

जनार्दन नासपिटा टॉवर जो करावे सो कम। बेटा नौ बजे से ही टॉवर ट्री पर जमा हुआ है। इंजीनियरिंग की पढ़ाई न हुई, तपस्या हो...

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