उत्तराखंड के पिंगलों ‘गाँव में रोजगार का कोई साधन नहीं होने की वजह से लोग पलायन कर रहे हैं। नौजवान दिल्ली, मुंबई, सूरत, अमृतसर और अन्य शहरों के होटलों और ढाबों में काम करने को मजबूर हैं।
नायगाँव पूर्व के निवासी पिछले 18 वर्षों तक टैंकर द्वारा महंगा पानी खरीद कर पीने को मजबूर थे। इस उम्मीद में कि एक दिन सरकारी पानी जरूर मिलेगा। दो साल पहले मिला भी था। लोग बहुत खुश हुए थे। लेकिन फिर पिछले सात-आठ महीनों से सरकारी पानी की सप्लाई जान-बूझकर आधी कर दी गई है। फिर से टैंकर का पानी शुरू हो गया है। अब फ्लैट लेने वाले बेचने की फिराक में लग गए हैं, लेकिन जितने में खरीदा है, उतना दाम अब नहीं मिल पा रहा है।
सामान्य शहर में रहने वाले व्यक्ति का मुंबई जाकर सरवाइव करना मुश्किल होता है। एक तो वहाँ की भागती-दौड़ती ज़िंदगी, लोकल ट्रेन का सफर और बेतहाशा भीड़, जहां स्वयं को देख पाने की याद और फुरसत दोनों नहीं मिलती। ऐसे में घर से गया अकेला आदमी अक्सर घबरा जाता है और जल्द ही वापस अपने घर आने की सोचता है।
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एलियन-फ्रेंक नामक आनेवाली फिल्म के लेखक-निर्माता राजेश प्रसाद , निर्देशक अमर दुबे और अभिनेता लकी सिंह से बातचीत।