Tuesday, July 2, 2024
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आरक्षण : पटना हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध सड़क पर क्यों नहीं आ रहा है विपक्ष

बिहार उच्च न्यायालय द्वारा राज्य में अतिरिक्त आरक्षण को अवैध घोषित कर दिया है। इस फैसले को लेकर विपक्ष में सुगबुगाहट तो है लेकिन इसे लेकर वह सड़क पर उतारने में हिचकिचाता दिख रहा है। यह उसकी भूमिका और नीयत पर कई सवाल खड़े करता है। खासतौर से तब जब 18वीं लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने सामाजिक न्याय और भागीदारी को स्पष्ट रूप से छोड़ दिया और यही विपक्ष का केंद्रीय मुद्दा रहा हो।

आरएसएस प्रमुख और भाजपा, आरक्षण समीक्षा की आड़ में पिछड़ों को उचित प्रतिनिधित्व से दूर रखने की मंशा रखते हैं

कुछ समय पहले तक आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ओबीसी आरक्षण के सख्त खिलाफ थे और आरक्षण को लेकर लगातार विरोध में बयान दिया करते थे लेकिन चुनाव आते ही उनके सुर बदल गए क्योंकि देश में ओबीसी का बड़ा वोट बैंक हैं।

 नफरत की राजनीति की हदें पार करती भाजपा क्या चार सौ पार पहुँचेगी या गर्त में जाएगी?

चुनावों में जब भी भाजपा के समक्ष संकट आता है तो वह सांप्रदायिकता की पनाह में चली जाती है। चूंकि कोई भी चुनाव आसान नहीं होता, इसलिए भाजपा मण्डल के उत्तरकाल के हर चुनाव में राम नाम जपने और मुस्लिम विद्वेष के प्रसार के लिए बाध्य रही।

संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर विश्वास लायक नहीं हैं संघ और मोदी  

लोकसभा चुनावी भाषणों में अराक्षण और संविधान को लेकर मोदी और संघ के सुर इधर बदले हुए सुनाई दे रहे हैं लेकिन वास्तविकता यही है कि आरएसएस और भाजपा का निर्माण हिंदुत्ववादी विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए हुआ। इस कारण संघ अपने जन्मकाल से लेकर आज तक लोकतंत्र, संविधान, सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता का स्वाभाविक हिमायती न बन सका। आज भी 400 सीट पाने का मुख्य उद्देश्य आसानी से संविधान में बदलाव करते हुए आरक्षण को पूरी तरह से खत्म करना है।

Lok Sabha Election : संविधान और आरक्षण की रक्षा बन गया है सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा, राहुल गांधी के साथ एकजुट हो रहा बहुजन...

कुछ भाजपा नेताओं द्वारा 400 पार के पीछे संविधान बदलने की मंशा जाहिर किए जाने के बाद संविधान और आरक्षण बचाना चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है, जिस कारण आरक्षित वर्ग गर्मी की परवाह किए बिना वोट देने के लिए निकल रहा है।

सामाजिक न्याय के लिए जरुरी है सबकी सहभागिता

किसी भी देश का विकास तब तक संभव नहीं है जब तक कि वहां के किसानों, मजदूरों, आदिवासियों और महिलाओं की आर्थिक उन्नति नहीं होती और उनकी आर्थिक उन्नति के लिए जरूरी है, उनकी सामाजिक सहभागिता। बहुजन डाइवर्सिटी मिशन’(बीडीएम) ने इस क्षेत्र में प्रयास शुरू किए हैं।

आरक्षण मुद्दे पर युवक ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट में लिखा- एक मराठा, लाख मराठा

छत्रपति संभाजीनगर (भाषा)। महाराष्ट्र के नांदेड़ शहर में आरक्षण के मुद्दे पर मराठा समुदाय के 23 वर्षीय एक व्यक्ति ने कथित तौर पर जहरीला...

महाराष्ट्र में गरमाया मराठा आरक्षण का मामला, अनशन पर बैठे मनोज जरांगे पाटिल

मुंबई (भाषा)। मराठा आरक्षण लागू करने के लिए महाराष्ट्र सरकार को दिए गए 40 दिनी अल्टीमेटम की सीमा समाप्त हो जाने के बाद मराठा...

चाँद को छूता अमेरिकी आरक्षण का दायरा

कुछ दिन पूर्व फेसबुक पर विचरण करते समय मेरी दृष्टि अन्तरिक्ष यात्रियों की एक तस्वीर पर अटक गई। इस तस्वीर में चार व्यक्ति थे,...

ब्राह्मणों ने आरक्षण को अपनी गरीबी उन्मूलन का कार्यक्रम बना दिया है

सर्वोच्च न्यायालय ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए नौकरियों और विभिन्न शिक्षण संस्थानों के दाखिले में 10 प्रतिशत आरक्षण के संवैधानिक संशोधन...

सवर्ण आरक्षण पर फैसले से आहत होने की बजाय वंचना के खिलाफ समग्र संघर्ष की जरूरत है

सवर्ण आरक्षण पर हिंदू जजों के अन्यायपूर्ण फैसले से ढेरों बहुजन बुद्धिजीवी आहत व विस्मित हैं, पर मैं नहीं! यही नहीं सदियों से आर्थिक,...

आरक्षण मजाक का विषय नहीं है जज महोदय (डायरी 22 अक्टूबर, 2021)

समाज को देखने-समझने के दो नजरिए हो सकते हैं। फिर चाहे वह दाता और याचक के नजरिए से देखें या फिर श्रमजीवी और परजीवी...

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