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नरेंद्र मोदी

सत्ता पक्ष ही संभाल रहा है संसद को ठप्प करने का जिम्मा

सुप्रीम कोर्ट के मानहानि के मामले में सजा पर रोक लगाने के बाद, राहुल गांधी की लोकसभा में वापसी के लिए, अविश्वास प्रस्ताव पर...

संघ द्वारा बोई गई नफरत की चिंगारी से जल रहा है मणिपुर

मणिपुर, मई माह की तीन तारीख से जातीय हिंसा के कारण चर्चा में है। सत्तारूढ़ पार्टी हिंसा रोक पाने में पूरी तरह से असफल...

और अब भाड़े की फौज (डायरी 15 जून, 2022) 

 शासक और व्यापारी में अंतर होता है। कहने का मतलब यह कि शासक का काम व्यापार करना नहीं है और कोई भी देश कोई...

दस मार्च के परिणाम का संभावित असर (डायरी 7 मार्च, 2022)

सूचनाओं के निहितार्थ भी कमाल के होते हैं और हर सूचना के पीछे समाजशास्त्रीय पृष्ठभूमि होती है। ये सूचनाएं आज के समय में कितनी...

किसके लिए हैं हिंदी के ‘अखबार’? (डायरी 28 फरवरी, 2022)

रांची संस्करण के जैकेट पर यूक्रेन-रूस युद्ध की खबर है और पहले पृष्ठ पर झारखंड की ‘महत्वपूर्ण’ खबरें। महत्वपूर्ण को कोट्स में रखने के पीछे आशय यह है कि हर अखबार के लिए कौन सी खबर महत्वपूर्ण है, अखबार के मालिक लोग तय करने लगे हैं। पहले यह काम संपादक करते थे। अब पटना संस्करण के जैकेट पर यूक्रेन-रूस की खबर नहीं है।

कांग्रेस ने फिर खुद को बहुजनों का वर्ग-मित्र साबित किया!

23 फ़रवरी को जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 के चौथे चरण का वोट चल रहा था, इसी दरम्यान एक ऐसी खबर राजस्थान...

आरएसएस का खिलौना बन रहे नरेंद्र मोदी, नीतीश और मायावती जैसे शूद्र (डायरी  21 फरवरी, 2022) 

सत्ता महत्वपूर्ण है। इतनी महत्वपूर्ण कि सत्ता जिसके पास जबतक रहती है, उसे इस बात का अहसास होता है कि वह सर्वशक्तिमान है और...

कथनी और करनी में फर्क (डायरी 17 जनवरी, 2022) 

बचपन से सुनता आया हूं कि कथनी और करनी में बहुत फर्क होता है। हालांकि बचपन में यह महसूस नहीं होता था। इसकी वजह...

पौराणिक ग्रन्थों पर रोक लगनी चाहिए, जिनसे समाज में डर और विद्वेष पैदा होता है..

अभी हाल ही में डॉ ओमशंकर द्वारा फेसबुक पर परशुराम को लेकर की गई टिप्पणी पर उनके खिलाफ एफआई आर दर्ज की गई। यह...

अच्छे शासक लोगों से प्यार करते हैं, डरते नहीं हैं (डायरी 6 जनवरी, 2022)

 अक्सर एक विचार आता है कि अपने गृहप्रदेश बिहार पर नाज करूं। जब यह विचार आता है तो मेरा मन खुद ही अनेकानेक सवाल...

प्रधानमंत्री की सभा (मेंहदीगंज) के लिए काटी गयी कई एकड़ फसल के नहीं मिला मुआवजा, किसानों ने एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

देश में जहां किसान अपनी कई मांगों को लेकर पिछले साल भर से आन्दोलन कर रहे हैं। सरकार द्वारा कुछ मांग पूरी होने के बाद भी किसान अपने खेत-खलिहान लौटने को तैयार नहीं हैं; वहीं प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के मेंहदीगंज में बीते 25 अक्टूबर को मोदी की सभा के लिए काटी गयी कच्ची फसलों का मुआवजा किसानों को न मिलने की वजह से जिला प्रशासन और सरकार दोनों की किरकिरी हो रही है।

क्या नेहरू की समाजवादी धर्मनिरपेक्ष विरासत अराजकता के वर्तमान दौर का मुकाबला कर पाएगी?

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की 133 वीं जयंती पर लोग उन्हें याद कर रहे हैं और अपने-अपने तरीके से उनको श्रद्धांजलि...

आधुनिक भारत में ब्राह्मणों और राजपूतों के बीच ऐसे हो रही लड़ाई  (डायरी 14 अक्टूबर, 2021)  

भारत के शासकों ने देश के अखबारों के जैसे अपनी परिभाषा बदल ली है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे इस देश के पुलिस...

विज्ञापनों के बारे में कभी ऐसे भी सोचिए डायरी (29 सितंबर, 2021)

अखबारों का संबंध राजनीति से बहुत सीधा है। इसे स्थापित करने के लिए प्रमाणों की कोई कमी नहीं है। अखबारों में विज्ञापनों का प्रकाशन...

सूर्य की पहली किरण का स्वागत करता बादलों का देश

जनवरी के महीने में गुवाहाटी से दक्षिण, मेघालय की राजधानी शिलौंग का सौ किलोमीटर का सफ़र बहुत ठंडा भी हो सकता है। गुवाहाटी में...

पत्रकारिता, संसद, न्यायपालिका और बेपरवाह हुक्मरान (डायरी, 16 अगस्त, 2021)  

प्रधानमंत्री के पद पर बैठा व्यक्ति बेहद महत्वपूर्ण होता है। उसे अपना अपना महत्व बनाए रखना चाहिए। इसके लिए उसका उदार होना, सौम्य होना...

दलित-बहुजनों के साथ जातिगत भेदभाव के लिए राष्ट्रीय शर्म दिवस की घोषणा कब? डायरी (15 अगस्त, 2021) 

साहित्य और साजिश! क्या यह संभव है कि साहित्य का सृजन साजिश के तहत किया जा सकता है? यह सवाल मेरी जेहन में अनायास...

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