उन्होंने बाइडेन से पूछा था कि भारत आपके महत्वपूर्ण सामरिक सहयोगी देशों में से एक है, तो क्या रूस के सवाल पर वह आपके साथ पूरी प्रतिबद्धता के साथ है? ललित झा के सवाल को पहली बार में या तो बाइडेन समझ नहीं पाए या फिर उन्हें लगा होगा कि भारतीय पत्रकार ने भूलवश ऐसा सवाल किया है। उन्होंने सवाल दुहराने काे कहा। ललित झा ने फिर वही सवाल दुहराया। बाइडेन ने बिना हंसते हुए कहा कि अभी तक तो भारत हमारा महत्वपूर्ण सामरिक सहयोगी नहीं बना है, वैसे इस मामले पर आज ही भारत से बात करता हूं। बाइडेन के इतना कहते ही सब हंस पड़े।
कल सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ लाए गए अमेरिका के प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान भारत और चीन ने अनुपस्थिति दर्ज करायी। या कहिए कि दो महत्वपूर्ण एशियाई देशों ने मध्य मार्ग का रास्ता चुना। चीन के बारे में तो चीन के लोग बताएंगे, लेकिन भारत के संदर्भ में हम इतना तो कह ही सकते हैं कि आज भी भारत इतना सक्षम नहीं है कि वह रूस और अमेरिका में किसी एक का भी विरोध कर सके।
