Tuesday, March 19, 2024
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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का कराची प्रस्ताव : 1931

ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की बम्बई में 6, 7, 8 अगस्त, 1931 को हुई मीटिंग में मौलिक अधिकारों और आर्थिक कार्यक्रमों पर कराची प्रस्ताव की संस्तुति की गई जो निम्नवत हैः कांग्रेस की यह राय है कि जनमत को यह समझने में समर्थ बनाने में की कांग्रेस की धारणा के अनुसार स्वराज का क्या अर्थ […]

ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की बम्बई में 6, 7, 8 अगस्त, 1931 को हुई मीटिंग में मौलिक अधिकारों और आर्थिक कार्यक्रमों पर कराची प्रस्ताव की संस्तुति की गई जो निम्नवत हैः

कांग्रेस की यह राय है कि जनमत को यह समझने में समर्थ बनाने में की कांग्रेस की धारणा के अनुसार स्वराज का क्या अर्थ है और जनता के लिए भी इसका क्या अर्थ है, कांग्रेस की स्थिति को ऐसे ढंग से लोगों तक पहुंचाना वांछनीय है जिसे वे आसानी से समझ सकें। व्यापक जनसमुदाय के शोषण को समाप्त करने के लिए राजनीतिक आजादी में लाखों-करोड़ों उत्पीड़ित लोगों की वास्तविक आर्थिक आजादी को शामिल किया ही जाना चाहिए। इसलिए कांग्रेस यह एलान करती है कि अगर इसकी ओर से किसी संविधान को मंजूरी दी जाएगी तो उसमें स्वराज वाली सरकार को इस योग्य बनाना पड़ेगा जो निम्नांकित चीजें लोगों को मुहैया करा सकेः

मूलभूत अधिकार एवं कर्तव्य

  1. भारत के प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार है कि वह अपनी राय को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करे, स्वतंत्र संगठन में शामिल हो, शांतिपूर्ण और बिना हथियार के सभा कर सके, उन उद्देश्यों के लिए जो कानून और नैतिकता के प्रतिकूल न हों।
  2. प्रत्येक नागरिक को अन्तरात्मा की स्वतंत्रता का उपयोग और उसे अपने धर्म का प्रचार और व्यवहार करने की आजादी होगी बशर्ते इससे सार्वजनिक व्यवस्था और नैतिकता को कोई चोट न पहुंचती हो।
  3. अल्पसंख्यकों तथा विभिन्न भाषाई इलाकों की संस्कृति, भाषा और लिपि को संरक्षण प्रदान किया जाएगा।
  4. कानून के समक्ष सभी नागरिक समान होंगे चाहे वे किसी धर्म, जाति, सम्प्रदाय अथवा लिंग के क्यों न हों।
  5. सरकारी नौकरी, किसी पद या सम्मान और किसी तरह का व्यापार करने में किसी भी नागरिक को उसके धर्म, जाति, मत अथवा लिंग की वजह से अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा।
  6. कुओं, तालाबों, सड़कों और सार्वजनिक मनोरंजन के क्षेत्रों में सभी नागरिकों के समान अधिकार और कर्तव्य होंगे भले ही इनकी देखरेख राज्य अथवा स्थानीय कोषों द्वारा की जा रही हो या निजी व्यक्तियों द्वारा आम जनता के इस्तेमाल के लिए इन्हें तैयार किया गया हो।
  7. प्रत्येक नागरिक को हथियार रखने और लेकर चलने का अधिकार होगा बशर्ते इनके सन्दर्भ में बनाए गए नियमों का पालन किया जाता हो।
  8. किसी भी व्यक्ति को उसकी स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा और न ही उसके घर अथवास संपत्ति को कानून के अलावा अन्य किन्हीं कारणों से जब्त किया जाएगा अथवा उससे अलग किया जाएगा।
  9. सभी धर्मों के मामले में राज्य निष्पक्षता बरतेगा।
  10. वोट देने का अधिकार सार्वभौम वयस्क मताधिकार पर आधारित होगा।
  11. राज्य निःशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा प्रदान करेगा।
  12. राज्य किसी भी प्रकार की पदवी नहीं प्रदान करेगा।
  13. मृत्युदंड का प्रावधान नहीं होगा।
  14. प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार होगा कि वह समूचे भारत में स्वतंत्रतापूर्वक आ-जा सके और देश के किसी भी हिस्से में बस सके, संपत्ति जमा कर सके और किसी भी प्रकार का व्यापार या व्यवसाय कर सके और उसे देश के सभी हिस्सों में कानून के मुताबिक दंड मिलने या संरक्षण प्राप्त करने का अधिकार होगा।

श्रम

  1. आर्थिक जीवन को इस तरह संगठित किया जाना चाहिए जो न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप हो। जिसका लक्ष्य एक श्रेष्ठ, मानक जीवन स्तर प्राप्त करना हो।
  2. राज्य औद्योगिक मजदूरों के हितों को सुरक्षा प्रदान करेगा और उचित कानून अथवा अन्य तरीकों से उनके लिए जीवनयापन योग्य वेतन, काम की स्वस्थ स्थितियां, काम के सीमित घंटे, मालिकों और मजदूरों के बीच विवादों के निपटारे के उचित तंत्र और बुढ़ापे, बीमारी अथवा बेरोजगारी की अवस्था में पड़नेवाले आर्थिक दुष्प्रभावों से उनको सुरक्षा प्रदान करेगा।
  3. श्रम को दासता एवं दासता के करीब पहुंचानेवाली स्थितियों से मुक्त रखा जाएगा।
  4. महिला मजदूरों को सरंक्षण प्रदान किया जाएगा और गर्भावस्थ के दौरान अवकाश का उचित प्रावधान होगा।
  5. स्कूल जानेवाली उम्र के बच्चों को खदानों और कारखानों में काम पर नहीं लगाया जाएगा।
  6. किसानों और मजदूरों को यह अधिकार होगा कि वे अपने हितों की रक्षा के लिए यूनियनें बना सकें।

कर और व्यय

  1. जमीन की काश्तकारी और राजस्व और लगान की प्रणाली में सुधार किया जाएगा तथा खेतिहर भूमि पर पड़नेवाले बोझ को समानता के आधार पर समंजित किया जाएगा जिससे छोटे किसानों को तत्काल राहत मिल सके। इस काम को उनके द्वारा दिए जानेवाले लगान और राजस्व में उल्लेखनीय कमी करके पूरा किया जाएगा। अलाभकारी जोतों के मामले में उन्हें तब तक लगान से मुक्त रखा जाएगा जब तक जरूरी हो. इस तरह की छूट और लगान में कमी से प्रभावित छोटे भूस्वामियों को मिलनेवाली इस राहत पर ध्यान दिया जाएगा और इसी उद्धेश्य को ध्यान में रखते हुए खेती से होनेवाली कुल आय पर एक न्यूनतम राशि निर्धारित करने के बाद लगान के रूप में मिलनेवाली राशि को विभिन्न चरणों में बढ़ाया जाएगा।
  2. निर्धारित पैमाने पर ज्यादा अधिभार लगाकर मृत्यु राजस्व को प्राप्त किया जाएगा।
  3. सैनिक व्यय में जबरदस्त कमी की जाएगी ताकि मौजूदा राशि के मुकाबले वह कम से कम आधी हो सके।
  4. सरकारी विभागों में खर्चों और वेतनों में भारी कटौती की जाएगी. राज्य के किसी भी कर्मचारी को (विशेष रूप से रोजगार में लगे विशेषज्ञों तथा इस तरह के लोगों को छोड़कर) एक निश्चित तय राशि से अधिक वेतन नहीं दिया जाएगा और यह आमतौर पर पांच सौ रूपये प्रतिमाह से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
  5. भारत में बननेवाले नमक पर किसी भी तरह का शुल्क नहीं लगाया जाएगा।

आर्थिक और सामाजिक कार्यक्रम

  1. राज्य देशी कपड़ों को संरक्षण देगा और इसी उद्धेश्य के लिए वह विदेशी वस्त्र और विदेशी धागे को देश से बाहर रखने की नीति तैयार करेगा तथा ऐसे अन्य उपाय अपनाएगा जो इस कार्य को सपन्न करने के लिए जरूरी हों। राज्य जरूरत पड़ने पर विदेशी स्पर्धा के मुकाबले अन्य देशज उद्योगों को भी संरक्षण प्रदान करेगा।
  2. चिकित्सा संबंधी उद्धेश्यों को छोड़कर नशीले पेयों और दवाओं पर पूरी तरह प्रतिबन्ध लगाया जाएगा।
  3. करेंसी तथा मुद्रा विनिमय पर राष्ट्रीय हित में विनियमन किया जाएगा।
  4. प्रमुख उद्योगों और सेवाओं पर, खनिज साधनों, रेलवे, जलमार्गों, जहाजरानी तथा सार्वजनिक परिवहन के अन्य साधनों पर राज्य का स्वामित्व अथवा नियंत्रण होगा। कृषि के काम में लगे लोगों को कर्जदारी से राहत दी जाएगी और सूदखोरों को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से नियंत्रित किया जाएगा।
  5. खेतिहर कर्जदारी से राहत और प्रत्यक्ष या परोक्ष सूदखोरी पर नियंत्रण।
  6. राज्य नागरिकों को सैनिक प्रशिक्षण प्रदान करेगा ताकि नियमित सेना अलावा एक राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था तैयार की जा सके।

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