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ग्राउंड रिपोर्ट

छत्तीसगढ़ : आदिवासी नेता सुरजू टेकाम की गिरफ्तारी पर सवाल, भाजपा सरकार पर लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करने का आरोप

आदिवासी एवं सामाजिक संगठनों का आरोप है कि राज्य की भाजपा सरकार की बस्तर में अहिंसा और सहभागी लोकतंत्र को प्रोत्साहित करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। संगठनों ने राज्य सरकार से मांग की है कि बस्तर में माओवादियों के नाम पर निर्दोष आदिवासियों का दमन और फर्जी गिरफ्तारी पर तत्काल रोक लगाई जाए।

छत्तीसगढ़ के नागरिक समाज और सामाजिक संगठनों ने आदिवासी नेता और बस्तर जन संघर्ष समन्वय समिति के संरक्षक सुरजू टेकाम की गिरफ्तारी की निंदा की है। इन संगठनों ने आम चुनाव से पहले की गई इस गिरफ्तारी पर राज्य की भाजपा सरकार की मंशा पर प्रश्न खड़े करते हुए इसकी वैधता पर भी सवाल उठाए हैं। 

विगत 2 अप्रैल को सुरजू टेकाम को गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस ने मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले के कलवर में स्थित सुरजू टेकाम के ठिकाने पर छापेमारी की थी। पुलिस ने दावा किया है कि उसे उनके घर की तलाशी के दौरान संदिग्ध सामग्री मिली है। उनके ऊपर नक्सल गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। ज्ञात जानकारी के अनुसार सुरजू टेकाम के खिलाफ यूएपीए की दमनात्मक धारा 38 और 39 के साथ-साथ विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।

इस मामले में आदिवासियों के बीच काम कर रहे अनेकों संगठनों ने राज्य सरकार की इस कार्रवाई की तीखी निंदा की है और इसे बस्तर में जल, जंगल, जमीन के मुद्दे पर चल रहे लोकतांत्रिक आंदोलनों और उनके नेताओं को कुचलने की साजिश करार दिया है।

इन संगठनों ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है, ‘भाजपा राज आने के बाद नक्सली गतिविधियों से निपटने के नाम पर बस्तर में जारी सशस्त्रीकरण की प्रक्रिया को तेज कर दिया गया है और कॉरपोरेट की लूट के खिलाफ लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण और अहिंसक धरनों का नेतृत्व करने वाले कई स्थानीय आदिवासी नेताओं की गिरफ्तारियाँ हुई हैं। यह दमन फिर से उस दौर की याद दिला रहा है जब  भाजपा के राज में 2005 में सलवा जुडूम अभियान प्रायोजित किया गया था और बड़े पैमाने पर आदिवासियों के नागरिक अधिकारों और मानवाधिकारों का हनन किया गया था। इस असंवैधानिक मुहिम पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही रोक लग पाई थी।’

आदिवासी संगठनों का आरोप है कि पिछले कुछ महीनों में बस्तर में कई स्थानों पर जहां कई वर्षों से लोकप्रिय और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन हो रहे थे, धरनास्थलों को बिना किसी चेतावनी के और अलोकतांत्रिक ढंग से जबरन उखाड़ा गया है। उनके सामुदायिक बर्तनों और अनाज को जब्त किया गया है और उनके नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लेकर यातनाएं दी हैं।  जानकारी के अनुसार 15 अक्टूबर 2023 को बेचलपाल धरना से मुन्ना ओयाम और मंगेस ओयाम को गिरफ्तार किया गया। माढ़ बचायो मंच के अध्यक्ष, लखमा कोराम को  09 दिसंबर 2023 को नारायणुपर पुलिस ने गिरफ्तार किया। इसी तरह गोरना, सिलगेर, अंबेली, बीजापुर, मढ़ोनार में चल रहे शांतिपूर्ण धरना स्थलों से विष्णु कुरसम, सुरेश अवलम, गुंडाम नैया, सुशील कुमार घोटा, शशि गोटा, सुकदेर कोर्राम और पंडरू पोयाम को गिरफ्तार किया गया।

आदिवासी संगठनों का आरोप है कि राज्य की भाजपा सरकार की बस्तर में अहिंसा और सहभागी लोकतंत्र को प्रोत्साहित करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। संगठनों ने राज्य सरकार से मांग की है कि बस्तर में माओवादियों के नाम पर निर्दोष आदिवासियों का दमन और फर्जी गिरफ्तारी पर तत्काल रोक लगाई जाए। सभी निर्दोष आदिवासियों की रिहाई की जाए। बस्तर में चल रहे सभी लोकतांत्रिक शांतिपूर्ण आंदोलनों के साथ संवाद स्थापित किया जाए।

इन संगठनों में जन संघर्ष मोर्चा दुर्ग, छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज, बस्तर जन संघर्ष समन्वयन समिति, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, छत्तीसगढ़ किसान सभा,  छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (मजदूर कार्यकर्ता समिति), जन मुक्ति मोर्चा छत्तीसगढ़, मूलवासी बचाओ मंच, नगरीय निकाय जनवादी सफ़ाई कामगार यूनियन, जिला किसान संघ राजनांदगांव आदि शामिल हैं।

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