Saturday, July 27, 2024
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वाराणसी: नेहरू मार्केट को VDA करेगा ध्वस्त, क्या नया कॉम्प्लेक्स बनने पर व्यापारियों को दुकानें मिलेंगी?

नेहरू मार्केट की बिल्डिंग और दुकानों को तोड़े जाने की खबर पर यहाँ के व्यापारी परेशान हैं। उन्हें यह भय है कि नया कॉम्प्लेक्स बनने पर नई दुकानें मिलेंगी या नहीं? अगर दुकानें नहीं मिलीं तो उसका मुआवजा कौन देगा? दुकानें टूटने से लेकर नई बिल्डिंग बनने तक वह लोग कहाँ अपनी दुकानदारी करेंगे?

वाराणसी। जिले के सबसे व्यस्ततम क्षेत्र कैंट के पास इंग्लिशिया लाइन स्थित जवाहर लाल नेहरू मार्केट में चार दशकों से दुकानदारी कर रहे  व्यापारियों की चिंता वाराणसी विकास प्राधिकरण (VDA) के उस निर्देश को लेकर बढ़ गई है, जिसमें जर्जर व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स को ध्वस्त करने की बात कही गई है।

वीडीए के सम्पत्ति अधिकारी राजीव जायसवाल के अनुसार, नेहरू कॉम्प्लेक्स में कुल 179 दुकानें हैं। इसमें 142 दुकानों का विक्रय किया जा चुका है और 37 दुकान अभी किराए पर आबंटित हैं। वहीं दुकानदारों की मानें तो यहाँ 200 से अधिक दुकानें हैं।

सन 1978 से स्थापित जवाहर लाल नेहरू मार्केट के बिल्डिंग की हालत काफी जर्जर हो चुकी है। उस पर टँगा वीडीए के बोर्ड में भी जंग लग चुका है। लोहे की खिड़कियाँ और सीढ़ियाँ भी सड़ चुकी हैं। कहीं-कहीं दीवारों पर दरारें पड़ गई हैं, इसलिए वीडीए ने उक्त बिल्डिंग के नवनिर्माण का फैसला लिया है।

नेहरू मार्केट की बिल्डिंग और दुकानों को तोड़े जाने की खबर पर यहाँ के व्यापारी परेशान हैं। उन्हें यह भय है कि नया कॉम्प्लेक्स बनने पर नई दुकानें मिलेंगी या नहीं? अगर दुकानें नहीं मिलीं तो उसका मुआवजा कौन देगा? दुकानें टूटने से लेकर नई बिल्डिंग बनने तक वह लोग कहाँ अपनी दुकानदारी करेंगे?

ऐसे कई सवालों को लेकर व्यापारी सुनील सोनकर कहते हैं कि अभी मौखिक तौर पर वीडीए अफसरों ने हम लोगों से बातचीत की है। व्यापारियों के प्रतिनिधिमंडल को दोबारा विभाग में बुलाया गया है। उस दौरान हम लोग अपनी इन्हीं समस्याओं को लेकर उन्हें अपना पत्रक भी सौंपेंगे। सुनील के अनुसार, पहली बैठक में अफसरों ने व्यावहारिक तौर पर बातचीत की है।

जवाहर लाल नेहरू मार्केट की दीवारें जर्जर हो चुकी हैं

वह बताते हैं कि ‘नेहरू मार्केट में बहुत सी दुकानें ऐसी हैं जिसका मालिक कोई और है। जब यहाँ की दुकानें टूटेंगी तो उनके सामने दुकानदारी की समस्याएँ ज़्यादा आएँगी।’ उन्होंने कहा कि ‘सबसे बड़ा सवाल यह है कि हमें यह मालूम होना चाहिए नया कॉम्प्लेक्स कब तक बन जाएगा? इस मार्केट के आसपास ऐसी कोई जगह नहीं है कि जहाँ खड़े होकर या किराए पर दुकान लेकर सामान बेचा जा सके।’

रेहड़ी-पटरी वालों को भी होगी समस्या

कैंट रेलवे स्टेशन के बाहर हजारों रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदारी कर अपनी आजीविका चलाते हैं। जवाहर लाल नेहरू मार्केट की बात की जाए तो इसके आसपास और परिसर में सैकड़ों ठेला-खोमचा वालों की दुकानदारी चलाते हैं। इनका पूरा परिवार इसी से पल-बढ़ रहा है। नेहरू मार्केट को गिराए जाने की सुगबुगाहट रेहड़ी-पटरी वालों में भी है।

मार्केट को तोड़े जाने के दौरान उनकी भी आजीविका खतरे में पड़ जाएगी। विजय पटेल इस नेहरू मार्केट के बाहर बैग की दुकान लगाते हैं। वह बताते हैं कि ‘शहर में विकास के नाम पर जब भी तोड़-फोड़ होती है तो सबसे पहले उसकी जद में हम ठेला-खोमचा वाले ही आते हैं।’ वह कहते हैं कि ‘नोटिस से मुझे क्या लेना-देना, जब पुलिस डंडा पटगेगी, जब दुकान हटा लिया जाएगा। देखा जाएगा कोई और ठौर-ठिकाना। एक-दो दिन में दुकान खोजना ही पड़ेगा नहीं तो आमदनी की दिक्कत हो जाएगी। क्योंकि नई जगह दुकान जमाने में थोड़ा समय तो लगेगा ही।’

क्यों नाम पड़ा जवाहर लाल नेहरू मार्केट

वाराणसी से वरिष्ठ व्यापारी नेता अजीत सिंह बग्गा ने कहा कि ‘1978 में कांग्रेस की सरकार थी। वाराणसी के कैंट क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पंडित कमलापति त्रिपाठी का बेहद लगाव था। 1973 से 1986 तक वे राज्यसभा के सदस्य रहे। इसी दौरान इग्लिशियालाइन में यह मार्केट बनाया गया था। उस समय यहाँ छोटी-बड़ी दुकानें लगा करती थीं। जब इस मार्केट के नामकरण की बात आई तो कांग्र्रेस नेताओं ने विमर्श कर इसका नाम जवाहर लाल नेहरू मार्केट रख दिया। यह नाम नेहरू को श्रद्धांजलि के तौर पर रखा गया था।’ अजीत सिंग बग्गा ने कहा कि ‘नेहरू मार्केट की बिल्डिंग जब ध्वस्त होगी तब व्यापारियों को दिक्कतें होंगी। इसके लिए प्रशासन ऐसी प्लानिंग बनाए, जिससे उस क्षेत्र का विकास हो जाए और व्यापारियों की विभिन्न समस्याएँ भी निस्तारित हो जाएँ।’

जवाहर लाल नेहरू मार्केट को ध्वस्त करने के मामले को लेकर नगर नियोजक मनोज कुमार ने गाँव के लोग डॉट कॉम को बताया कि ‘रि-डेवलपमेंट की योजना के तहत उक्त बिल्डिंग को ध्वस्त कराकर नया व्यावसायिक काम्प्लेक्स बनवाया जाएगा।’ एक सवाल के जवाब में वह बताते हैं कि ‘जो पुराने दुकानदार हैं, उन्हें उस कॉम्प्लेक्स में दुकानें मिलेंगी। बल्कि नई बिल्डिंग में दुकानों की संख्या में इजाफा भी होगा। उनका भी आबंटन किया जाएगा। इस पर विमर्श करने के लिए व्यापारियों को बुलाया गया है। जल्द ही मीटिंग की जाएगी।’

गाँव के लोग
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