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हमें प्रकृति से प्रतियोगिता नहीं समन्वय बनाए रखना है-डॉ.जगदीश एन सिन्हा

मोतिहारी, बिहार। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के चाणक्य परिसर में समाजशास्त्र विभाग द्वारा आज एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। आयोजन में सम्मानिय वक्ता के रूप में जेएनयू के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ. संतोष के. कर व मुख्य-वक्ता के रूप में आइएनएसएसए के शोध काउंसिल सदस्य व दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग […]

मोतिहारी, बिहार। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के चाणक्य परिसर में समाजशास्त्र विभाग द्वारा आज एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। आयोजन में सम्मानिय वक्ता के रूप में जेएनयू के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ. संतोष के. कर व मुख्य-वक्ता के रूप में आइएनएसएसए के शोध काउंसिल सदस्य व दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ.जगदीश एन सिन्हा मौजूद रहे।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. जगदीश एन सिन्हा ने कहा कि,  ‘यदि विज्ञान को इतिहास की दृष्टि से देखा जाए और पढ़ा जाए तो आम विद्यार्थीयों और नागरिकों के समझ में भी आयेगा और समाज का सर्वांगीण विकास होगा। इन सब से बढ़ कर यदि देखा जाए तो विकास की प्रक्रिया में हमें यह खास ध्यान रखना होगा कि हमें प्रकृति से प्रतियोगिता नहीं समन्वय बनाए रखना है।’
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ संतोष के. कर ने कहा कि, ‘हमारी जिंदगी कई तरह की बिमारियों से प्रभावित हो रहा है जिसमें दुनिया में सबसे अधिक जानें लेने वाले बिमारी में से एक मलेरिया है। आज भारत तेजी से विकास कर रहा है। लेकिन मच्छर -जनित बिमारियों से निजात पाना अब भी मुश्किल हो रहा है। यह हम सबों के लिए बड़ी चुनौती है।’
कार्यक्रम के संरक्षक के रूप में सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रो. सुनिल महावर, सह संरक्षक के रूप में समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुजीत कुमार चौधरी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम के समन्वयक समाजशास्त्र विभाग के सहायक प्रोफेसर मृत्युंजय कुमार यादवेन्दु ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. श्वेता ने किया।
कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों रूपों में किया गया जिसमें सैकडों की संख्या में प्रोफेसर, विद्यार्थी एवं सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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