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पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव: कोलकाता HC ने दी SEC को अवमानना ​​कार्यवाही की चेतावनी

हिंसा के लिए ममता ने ठहराया माकपा, SFI को दोषी पश्चिम बंगाल। कोलकत्ता उच्च न्यायालय ने संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करने और केंद्रीय बलों की तैनाती के निर्देश सहित राज्य में पंचायत चुनावों पर अदालत के आदेश को लागू करने में कथित विफलता के लिए आज राज्य चुनाव आयोग को अवमानना ​​कार्रवाई की चेतावनी दी […]

हिंसा के लिए ममता ने ठहराया माकपा, SFI को दोषी

पश्चिम बंगाल। कोलकत्ता उच्च न्यायालय ने संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करने और केंद्रीय बलों की तैनाती के निर्देश सहित राज्य में पंचायत चुनावों पर अदालत के आदेश को लागू करने में कथित विफलता के लिए आज राज्य चुनाव आयोग को अवमानना ​​कार्रवाई की चेतावनी दी है। दरअसल, पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव में हिंसा को रोकने के लिए विपक्षी दल भाजपा और कांग्रेस की याचिका पर कोलकाता उच्च न्यायालय ने मंगलवार, 13 जून को राज्य के चुनाव आयोग को संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान कर वहां केन्द्रीय बलों को तैनात करने का आदेश दिया था।

अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य चुनाव आयोग उन सभी क्षेत्रों/ जिलों में केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग करेगा, जिन्हें राज्य चुनाव आयोग की राय में संवेदनशील घोषित किया गया है। हालांकि अदालत के आदेश के बावजूद आयोग द्वारा अभी तक केंद्रीय बलों की नियुक्ति नहीं की गई है।

इसके खिलाफ बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा दायर एक याचिका पर नोटिस लेते हुए मुख्य न्यायाधीश शिवगणमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य चुनाव आयोग पर नाराजगी जताते हुए अदालत की अवमानना की चेतावनी दी है।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शिवगणमन ने मीडिया में प्रकाशित हिंसा की ख़बरों पर ध्यानाकर्षित करते हुए कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करना चुनाव आयोग का एक मात्र लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि अगर राज्य को इस आदेश से आपत्ति है, तो वे अपील करने के लिए स्वतंत्र है। हालांकि, इसके अभाव में यदि निर्देशों को लागू नहीं किया जाता है, तो न्यायालय को स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना की कार्यवाही शुरू करनी होगी।

वहीं, राज्य सरकार के अधिवक्ता ने अदालत में कहा कि याचिका में कथित हिंसा से संबंधित किसी भी एक निश्चित घटना का जिक्र नहीं है, इसलिए अदालत किसी झूठे आरोप के आधार पर कोई आदेश नहीं दे सकती। राज्य सरकार वकील ने आगे कहा कि राज्य ने पर्याप्त सुरक्षा के इंतजाम किए हैं। यहाँ तक कि पड़ोसी राज्यों के पुलिस को भी तैनात किया गया है। जहां कहीं भी हिंसा की छिटपुट घटना हुई है, वहां पुलिस ने तुरंत कार्यवाही की है।

गौरतलब है कि विपक्षी दलों का आरोप है कि सत्ताधारी दल के कार्यकर्ताओं और समर्थकों द्वारा उनके उम्मीदवारों को नामांकन नहीं भरने दिया जा रहा है और जो नामांकन भरे गए हैं, उन्हें वापस लेने के लिए अपमानजनक तरीके से हिंसा के जरिये उन पर दबाव डाला जा रहा है।

बता दें कि राज्य में पंचायत चुनाव के लिए नामांकन भरने की आज यानी 15 जून, आखिरी तारीख है। इसे ध्यान में रखते हुए नामांकन केन्द्रों के आसपास भारी संख्या में पुलिस की तैनाती के बावजूद कुछ जगहों से आज भी हिंसा कई की ख़बरें आई हैं।

उत्तर दिनाजपुर में आज तीन लोगों को गोली मारी गई है। खबर के मुताबिक, यह हमला उस वक्त हुआ जब माकपा और कांग्रेस के उम्मीदवार चोपड़ा बीडीओ ऑफिस में नामांकन पत्र दाखिल करने जा रहे थे। गोली लगने से घायल एक व्यक्ति की मौत हो गई।

सीपीआई के नेता और पूर्व सांसद मोहम्मद सलीम ने ट्वीट कर कहा है कि वाम और कांग्रेस प्रत्याशी व समर्थक अपना नामांकन पत्र जमा करने जा रहे थे, तभी टीएमसी के गुंडों ने उन पर गोलियां चला दी।

सलीम ने एक अन्य ट्वीट में लिखा है – पश्चिम बंगाल पुलिस का एक हिस्सा टीएमसी के अधिकृत गुंडों के साथ मिलकर काम कर रहा है और राज्य निर्वाचन आयोग पूरी तरह से निष्प्रभावी एवं गैर जिम्मेदार है। ममता बनर्जी के अधीन राज्य प्रशासन का गैरजिम्मेदाराना और एक तरफ़ा रवैए की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

वहीं, टीएमसी ने इस आरोप को नकार दिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पलटवार करते हुए हिंसा के लिए सीपीआई और SFI को जिम्मेदार बताया है। ममता बनर्जी ने कहा- ‘विपक्षी दल नामांकन दाखिल करते समय हिंसा को अंजाम देकर गड़बड़ी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। वे राज्य की छवि को धूमिल करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। चोपड़ा क्षेत्र (उत्तर दिनाजपुर जिले में) में आज की हिंसा के पीछे माकपा है।’ वहीं, एसएफआइ भांगोर (दक्षिण 24 परगना) में हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर हमला कर रहा है।’

नित्यानंद गायेन गाँव के लोग डॉट कॉम के संवाददाता हैं।

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