Friday, November 22, 2024
Friday, November 22, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमसंस्कृतिजनता को क्या मिलेगा अयोध्या की रिकॉर्ड तोड़ दीपावली से

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

जनता को क्या मिलेगा अयोध्या की रिकॉर्ड तोड़ दीपावली से

पर्व-त्योहार कभी आम आदमी के लिए खुशियों, उमंगों और सौहार्द के प्रतीक रहे होंगे। आज इनका रूप और मनाने का उद्देश्य समय एवं परिस्थितियों के अनुरूप बदलता जा रहा है। धनवानों के लिए आज के समय में कुछ भी असंभव नहीं है लेकिन आम आदमी अपने परिवार में खुशियां बिखरने के लिए किस-किस प्रकार का […]

पर्व-त्योहार कभी आम आदमी के लिए खुशियों, उमंगों और सौहार्द के प्रतीक रहे होंगे। आज इनका रूप और मनाने का उद्देश्य समय एवं परिस्थितियों के अनुरूप बदलता जा रहा है। धनवानों के लिए आज के समय में कुछ भी असंभव नहीं है लेकिन आम आदमी अपने परिवार में खुशियां बिखरने के लिए किस-किस प्रकार का पापड़ बेलता है, उसे वही जानता है; जो ग़रीब है, बेरोजगार है, किसान है और महंगाई की मार झेल रहा है। सरकार में बैठे नेताओं या विपक्षी पार्टी की नेताओं की बातें निराली हैं ही; तो उद्योगपतियों की बात ही क्या। बारहो बिजन उनके आगे चुटकी बजाते हाजिर हो जाता है। भारत देश की जनता की क्या स्थिति है? यद्यपि इसे जानना है तो आप विश्व के तमाम सूचकांकों को देखिए, जिससे देश की वास्तविक स्थिति का पता चलता है। वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट-2021 में भारत 149 देशों की सूची में 139 नम्बर पर है। वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI)-2021 में भारत को 116 देशों में से 101वाँ स्थान प्राप्त हुआ है। वर्ष 2020 में भारत 94वें स्थान पर था। वैश्विक खाद्य सुरक्षा सूचकांक-2021 में 113 देशों के बीच भारत 71वां स्थान हासिल किया है। उपर्युक्त सूचकांकों में भारत के प्राप्त स्थान से आप रोजगार की स्थिति का अनुमान लगा सकते हैं।

छात्र-नौजवानों और किसानों की स्थिति की स्थिति को सरकारें किसी भी हालत में नहीं छिपा सकती हैं। पिछले लगभग एक साल से किसान अपनी समस्याओं को लेकर जहां दिल्ली में धरना दे रहे हैं, वहीं यूपी विधानसभा चुनाव-2022 को देखते हुए जब भाजपा सरकार पर दबाव बनाने के लिए 03 अक्टूबर को किसान लखीमपुर-खीरी में विरोध जता रहे थे तो राजगृह मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी का बेटा अपनी प्राइवेट गाड़ी से पांच किसानों को कुचलकर मार डाला। एक तरफ जहां यूपी सरकार अयोध्या में रिकॉर्ड तोड़ दीपावली या दीपोत्सव का आयोजन करती है, वहीं विपक्षी दलों द्वारा लखीमपुर-खीरी में हुए किसान नरसंहार के एक महीने पुरा होने पर ‘किसान स्मृति दिवस’ मनाया गया। इसके अतिरिक्त बेरोजगारी की स्थिति देश की आजादी के बाद अब तक के समय में भाजपा सरकार में सबसे खराब रही है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पिछले वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल-जून तिमाही में 24.4 प्रतिशत की गिरावट आई थी। फिर किसी पार्टी की सरकारों द्वारा ऐसे आयोजनों से क्या मतलब?

[bs-quote quote=”आम आदमी अपने परिवार में खुशियां बिखरने के लिए किस-किस प्रकार का पापड़ बेलता है, उसे वही जानता है; जो ग़रीब है, बेरोजगार है, किसान है और महंगाई की मार झेल रहा है। सरकार में बैठे नेताओं या विपक्षी पार्टी की नेताओं की बातें निराली हैं ही; तो उद्योगपतियों की बात ही क्या। बारहो बिजन उनके आगे चुटकी बजाते हाजिर हो जाता है। भारत देश की जनता की क्या स्थिति है? यद्यपि इसे जानना है तो आप विश्व के तमाम सूचकांकों को देखिए, जिससे देश की वास्तविक स्थिति का पता चलता है। वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट-2021 में भारत 149 देशों की सूची में 139 नम्बर पर है।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

आज देशभर में दीपावली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। कहीं स्वतंत्र संगठन के सदस्य दीवाली मना रहे हैं तो कहीं सरकार दीवाली मना रही है या उसकी आनुषंगिक उपक्रम। उत्तर प्रदेश में तो कायदे से सरकारी फरमान जारी हुए थे। इंडिया डॉट कॉम की 18 अगस्त, 2021 की खबर के अनुसार यूपी सरकार पिछले साल के 5.5 लाख दीपों का रिकॉर्ड तोड़ने की तैयारी में थी। इस साल 7.5 लाख (04 नवंबर को हिंदुस्तान, वाराणसी संस्करण ने 12 लाख लिखा है; तो सरकार द्वारा अखबारों को दिये गये विज्ञापन में 09 लाख लिखा गया है।) दीया जलाने की तैयारी पर्यटन विभाग को दी गयी थी, जिसे पर्यटन विभाग ने तीन चरणों में पूरा करने की बात स्वीकार किया था। अब सवाल यह उठता है कि सरकार किसी भी पार्टी की हो ऐसे आयोजनों से किसे लाभ होता है या इन आयोजनों के पीछे वह कवन व्यक्ति है जो मलाई चाभता है। इस सवाल को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के शोध छात्र और वरिष्ठ पत्रकार शिवदास अपने फेसबुक वॉल पर कुछ बदले और तेवर अंदाज में पूछे हैं-

‘अयोध्या में जनता का अरबों रुपया खर्च होने से वंचित समुदाय को क्या फायदा मिल रहा है? आयोजन के सामानों का एक ठेका भी वंचित वर्गों को नहीं मिला होगा।’

शिवदास का सवाल जायज है। ऐसे सवाल या अपनी समस्याओं को लेकर जिस दिन जनता सड़कों पर उतर जायेगी; उस दिन सरकार और देश की स्थिति कुछ और होगी। भारतीय संस्कृति में ‘आशा’ शब्द का बड़ा महत्त्व है, क्यों यहां के दर्शन आशा और विश्वास पर आधारित है। जनता भी आशान्वित है तो मैं भी उम्मीद करता हूँ  कि भविष्य में हमारे देश की जनता जरूर अपनी समस्याओं और सवालों को लेकर जनप्रतिनिधियों को घेरेगी। इसी उम्मीद के साथ आप सबको दीपावली, भैया दूज और छठ-पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।

गाँव के लोग
गाँव के लोग
पत्रकारिता में जनसरोकारों और सामाजिक न्याय के विज़न के साथ काम कर रही वेबसाइट। इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग और कहानियाँ देश की सच्ची तस्वीर दिखाती हैं। प्रतिदिन पढ़ें देश की हलचलों के बारे में । वेबसाइट को सब्सक्राइब और फॉरवर्ड करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here