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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

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जनता को क्या मिलेगा अयोध्या की रिकॉर्ड तोड़ दीपावली से

पर्व-त्योहार कभी आम आदमी के लिए खुशियों, उमंगों और सौहार्द के प्रतीक रहे होंगे। आज इनका रूप और मनाने का उद्देश्य समय एवं परिस्थितियों...

जितनी घातक है हिंसा की राजनीति उतनी ही घातक है हिंसा पर राजनीति

जम्मू कश्मीर में हिंसा का तांडव जारी है। बावजूद इस आंकिक सत्य के कि मारे गए लोगों में अधिकतर स्थानीय मुसलमान हैं मीडिया में...

सरकार जनता से डरी हुई है इसलिए आंदोलनों को बेरहमी से कुचल देना चाहती है

बनारस में जातिगत जनगणना और किसान आन्दोलन जैसे विभिन्न मुद्दों को लेकर जाने-माने अधिवक्ता और सामाजिक चिंतक प्रेम प्रकाश सिंह यादव बहुत दिनों से...

आधुनिक भारत में ब्राह्मणों और राजपूतों के बीच ऐसे हो रही लड़ाई  (डायरी 14 अक्टूबर, 2021)  

भारत के शासकों ने देश के अखबारों के जैसे अपनी परिभाषा बदल ली है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे इस देश के पुलिस...

सत्ता और जनसत्ता (डायरी, 13 अक्टूबर 2021)

जीवन को लेकर मेरी एक मान्यता है। यह मान्यता विज्ञान पर आधारित है। मेरी मान्यता है कि ब्रह्मांड में कुछ भी स्वतंत्र  नहीं है।...

साजिश की थ्योरी (डायरी 11 अक्टूबर 2021)

सियासत में और सियासत को समझने में आवश्यक अध्ययन में एक थ्योरी होती है। इसे मैं षडयंत्र की थ्योरी मानता हूं। इसमें होता यह...

लखीमपुर खीरी नरसंहार के मामले में सियासत के इस पेंच को आप समझते हैं?(डायरी 9 अक्टूबर 2021)

राजनीति की खासियत यह है कि इसकी दिशा एकदम से सीधी नहीं होती है। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि राजनीति का संबंध सत्ता...

क्या महत्वपूर्ण मुद्दों पर बैठकें दिशाहीन हो चुकी हैं

पूर्वांचल में किसानों की समस्याएं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की समस्याओं से कहीं ज्यादा हैं लेकिन उनका कोई मुकम्मल संगठन नहीं होने की वजह से उनका गुस्सा और उनकी तकलीफें उनके और उनके परिवार तक सीमित हो गई हैं। पूर्वांचल में किसान संगठनों के नाम पर राजनीतिक पार्टियों के आनुषांगिक संगठन ही केवल काम कर रहे हैं, इसलिए किसानों का झुकाव भी इन संगठनों के प्रति अपनापन का नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा की पूर्वांचल इकाई की संरचना भी कुछ ऐसी ही दिखाई दे रही है। शायद इस वजह से पूर्वांचल में कोई बड़ा किसान आंदोलन खड़ा नहीं हो पा रहा है। 

सुप्रीम कोर्ट का प्रेशर कुकर बन जाना ( डायरी 7 अक्टूबर, 2021)

मुझे याद नहीं है कि प्रेशर कुकर मैंने पहली बार कब देखा। मेरे घर में कुकर जैसा कोई बर्तन नहीं था। मेरा गांव बिहार...

सियासत और समाज  ( डायरी 6 अक्टूबर, 2021)  

सियासत यानी राजनीति की कोई एक परिभाषा नहीं हो सकती है। साथ ही यह कि सत्ता पाने का मतलब केवल प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बनना...

भारत के ब्राह्मणों से कम नहीं हैं पश्चिम के श्वेत (डायरी  5 अक्टूबर, 2021)  

बीता हुआ कल सिर्फ मेरे लिए ही नहीं, दुनिया भर के लोगों के लिए महत्वपूर्ण रहा। देर शाम करीब सवा नौ बजे सोशल मीडिया...

अराजकता फैलती नहीं, फैलाई जाती है… (डायरी 4 अक्टूबर, 2021)

कल उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में एक नरसंहार को अंजाम दिया गया। जैसी खबरें मुझे प्राप्त हुई हैं, उनके हिसाब से चार किसान...

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