Thursday, March 28, 2024
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लखीमपुर खीरी

चौथे चरण में सपा गठबंधन के सोशल इंजीनियरिंग की होगी असली अग्निपरीक्षा

सम्पूर्ण भारत के राजनीतिक गलियारे में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की चर्चा जोरों पर है, क्योंकि इस चुनाव को भाजपा के लिए सेमीफाईनल माना...

जनता को क्या मिलेगा अयोध्या की रिकॉर्ड तोड़ दीपावली से

पर्व-त्योहार कभी आम आदमी के लिए खुशियों, उमंगों और सौहार्द के प्रतीक रहे होंगे। आज इनका रूप और मनाने का उद्देश्य समय एवं परिस्थितियों...

समाजवादी कुटिया ने शहीद किसानों की स्मृति में जलाया दीप

लखीमपुर-खीरी किसान नरसंहार में शहीद किसानों की स्मृति में जलाये गये दीप। हर महीने के 03 तारीख को समाजवादी कार्यकर्ता जलायेंगे किसानों की स्मृति...

मुज़फ्फ़र अली और उनका सिनेमा

अवध की भाषा और संस्कृति को बॉलीवुड सिनेमा तक ले जाकर सम्मान दिलाने का पहला ठोस प्रयास  मुज़फ्फ़र अली साहब ने ही किया। लखीमपुर...

सत्ता और जनसत्ता (डायरी, 13 अक्टूबर 2021)

जीवन को लेकर मेरी एक मान्यता है। यह मान्यता विज्ञान पर आधारित है। मेरी मान्यता है कि ब्रह्मांड में कुछ भी स्वतंत्र  नहीं है।...

साजिश की थ्योरी (डायरी 11 अक्टूबर 2021)

सियासत में और सियासत को समझने में आवश्यक अध्ययन में एक थ्योरी होती है। इसे मैं षडयंत्र की थ्योरी मानता हूं। इसमें होता यह...

सुप्रीम कोर्ट का सहज संज्ञान और सरकार का रवैया

लखीमपुर खीरी की बर्बरतापूर्ण घटना के बाद इंटरनेट पर वायरल हुये वीडियो और मारे गए किसानों के साथ प्रदर्शन में शामिल किसानों के बयान...

क्या महत्वपूर्ण मुद्दों पर बैठकें दिशाहीन हो चुकी हैं

पूर्वांचल में किसानों की समस्याएं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की समस्याओं से कहीं ज्यादा हैं लेकिन उनका कोई मुकम्मल संगठन नहीं होने की वजह से उनका गुस्सा और उनकी तकलीफें उनके और उनके परिवार तक सीमित हो गई हैं। पूर्वांचल में किसान संगठनों के नाम पर राजनीतिक पार्टियों के आनुषांगिक संगठन ही केवल काम कर रहे हैं, इसलिए किसानों का झुकाव भी इन संगठनों के प्रति अपनापन का नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा की पूर्वांचल इकाई की संरचना भी कुछ ऐसी ही दिखाई दे रही है। शायद इस वजह से पूर्वांचल में कोई बड़ा किसान आंदोलन खड़ा नहीं हो पा रहा है। 

राज्य पोषित हिंसा का सबसे खतरानाक नमूना है लखीमपुर खीरी की घटना

लखीमपुर खीरी की घटना एक चेतावनी है- हमारे लोकतंत्र का स्वास्थ्य अच्छा नहीं है। अजय कुमार मिश्र जिनके हिंसा भड़काने वाले बयान एवं गतिविधियां...

सुप्रीम कोर्ट का प्रेशर कुकर बन जाना ( डायरी 7 अक्टूबर, 2021)

मुझे याद नहीं है कि प्रेशर कुकर मैंने पहली बार कब देखा। मेरे घर में कुकर जैसा कोई बर्तन नहीं था। मेरा गांव बिहार...

सियासत और समाज  ( डायरी 6 अक्टूबर, 2021)  

सियासत यानी राजनीति की कोई एक परिभाषा नहीं हो सकती है। साथ ही यह कि सत्ता पाने का मतलब केवल प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बनना...

अराजकता फैलती नहीं, फैलाई जाती है… (डायरी 4 अक्टूबर, 2021)

कल उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में एक नरसंहार को अंजाम दिया गया। जैसी खबरें मुझे प्राप्त हुई हैं, उनके हिसाब से चार किसान...

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