Wednesday, July 16, 2025
Wednesday, July 16, 2025




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमग्राउंड रिपोर्टउत्तर प्रदेश : खाद आपूर्ति में योगी सरकार फेल, किसान बेहाल

इधर बीच

ग्राउंड रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश : खाद आपूर्ति में योगी सरकार फेल, किसान बेहाल

जालौन, हमीरपुर, महोबा, झांसी, ललितपुर, बांदा, चित्रकूट में डीएपी और यूरिया खाद की किल्लत बनी हुई है। सैकड़ों की संख्या में किसान लाइन में खड़े हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नजर नहीं आता। इन दिनों जनपद झांसी में खाद के लिए किसानों में हाहाकार मचा हुआ है।

उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड दशकों से किसान आत्महत्या, सूखा और भयावह गरीबी का केंद्र रहा है। पिछले दस दिनों से बुंदेलखंड के सातों जिलों जालौन, हमीरपुर, महोबा, झांसी, ललितपुर, बांदा, चित्रकूट में डीएपी और यूरिया खाद की किल्लत बनी हुई है। सैकड़ों की संख्या में किसान लाइन में खड़े हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नजर नहीं आता। इन दिनों जनपद झांसी में खाद के लिए किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। खाद के लिए खाद वितरण केंद्रों पर किसानों की लम्बी कतारें देखने को मिल रही है।

सुबह से शाम तक लाइन लगाने के बाद भी किसानों को खाद नसीब नहीं हो पा रही है। प्रशासन के आश्वासन के बाद किसान कल की उम्मीद लेकर लौट जाते हैं लेकिन आश्वासन और नाउम्मीदी का यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। कई पीसीएफ केंद्रों पर किसानों और अधिकारियों के बीच झड़प की खबरें भी सामने आ रही हैं।

उत्तर प्रदेश में यह लौटते मानसून का समय है जिसमें किसान रबी फसलों गेंहू, जौ, चना, मटर की बुवाई करते हैं। रबी फसल की बुवाई अक्टूबर-नवंबर महीने में होती है लेकिन दिसंबर माह तक भी बुंदेलखंड के किसान खाद की किल्लत से जूझ रहे हैं।

उत्तर प्रदेश किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शिवनारायण सिंह परिहार लगातार झांसी जिले में खाद अभाव का मुद्दा उठा रहे हैं। शिव नारायण कहते हैं, “एक सप्ताह पहले हल्की बारिश होने से बुवाई का उपयुक्त समय आ चुका है। खाद न मिलने से खेत की नमी चली जाएगी और दुबारा पलेवा करना पड़ेगा। लेकिन तबतक बुवाई का समय चला जाएगा। लेट बोने से उपज अच्छी नहीं होगी और बाद में सूखे के कारण किसान अपनी फसल को पानी नहीं दे पायेंगे?

वे आगे कहते हैं, चना और मटर के बुवाई का सीजन जा चुका है। गेंहू और जौ के लिए अधिकतम छः से सात दिन बचे हैं। निश्चित समय में बुवाई न करने से बाद का कोई मतलब नहीं है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2017 और 2021 के बीच उत्तर प्रदेश में 398 किसानों की आत्महत्याएं दर्ज की गई हैं जबकि 701 कृषि मजदूरों की आत्महत्याएं दर्ज की गई हैं।

हालांकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में किसान आत्महत्या की बात इनकार करते हुए इसी साल मार्च में कहा कि “पहले प्रदेश में गन्ना किसानों को अपनी फसल जलाने और आत्महत्या का प्रयास करने के लिए मजबूर होना पड़ा, लेकिन पिछले छह वर्षों में उत्तर प्रदेश में किसी भी किसान की आत्महत्या से मृत्यु नहीं हुई है।”

रामकुमारी खाद के लिए मऊरानी केंद्र पर चार दिनों से आ रही हैं लेकिन उन्हें खाद नहीं मिल पा रही है। रामकुमारी बताती हैं, “केंद्र पर लोग कह रहे हैं आज नहीं है कल आइए और कल आइए तो कहते हैं परसों आइए। अब बताइए हम क्या करें? टाइम पे खाद नहीं मिलेगी तो आदमी भूखन मरेगा।”

प्रदेश में एक तरफ जहां खाद की किल्लत का सामना किसान कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर केंद्रों पर एक बोरी यूरिया खाद के साथ बोतल बंद डीएपी लिक्विड देने से किसानों पर अतिरिक्त भार पड़ता है। जिससे किसानों में नाराजगी की बात सामने आ रही है।

युवा किसान मुकेश खाद के इंतजार में

युवा किसान मुकेश बताते हैं, “एकतो हमें समय से खाद नहीं मिल रही है ऊपर से तीन बोरी यूरिया पर 600 रुपये का एक बोतल डीएपी दे रहे हैं, हम उसका क्या करेंगे? हमें जबरदस्ती बोतल दिया जा रहा है अब हम चाहे खेत में डालें चाहे फेंके लेकिन लेना ही पड़ेगा।”

एआर कॉपरेटिव, हिमांशु कुमार ने मीडिया से कहा कि गुजरात के मुंद्रा पोर्ट से लगभग 4 हजार मीट्रिक टन डीएपी का रैक लोड होकर शनिवार रात वहां से निकल चुका है। अनुमान है आज रात तक झांसी पहुंच जाएगा। खाद की आपूर्ति जल्द होगी।

महिला किसान अनीशा बेगम

डकरवारा गांव की रहने वाली अनीशा बेगम का सारा खेत खाली पड़ा है वे खाद के लिए केंद्रों का चक्कर लगा रही हैं। बेगम बताती हैं, “हमें दस बोरी डीएपी खाद चाहिए लेकिन मिल नहीं रही है। कुछ दिन पहले सिर्फ एक बोरी खाद मिली थी। केंद्र पर कह रहे हैं जब खाद आ ही नहीं रही है तब हम आपको कहां से खाद दें?”

झांसी पीसीएफ जिला प्रबंधक शिवपाल यादव खाद के अभाव की बात से इनकार करते हैं। यादव कहते हैं, “केंद्रों पर किसानों की जो भीड़ दिख रही है इसके लिए हमने निर्णय लिया है कि डीएपी खाद सहकारी समितियों पर और यूरिया खाद पीसीएफ केंद्रों पर बंटेगी। इससे केंद्रों पर लगी भीड़ का पार्टीशन होगा और किसानों की समस्या जल्द से जल्द खत्म होगी।”

किसान मथुरा प्रसाद तीन दिनों से केंद्रों का चक्कर लगा रहे हैं लेकिन खाद नहीं मिल रही है। प्रसाद बताते हैं, “हमारा 15 बीघा खेत खाली आपदा है, पाँच बोरी खाद चाहिए। हमें यहां आते तीन दिन हो गए लेकिन डीएपी नहीं मिला। हम सुबह 10 बजे आ जाते हैं और शाम को 6 बजे जाते हैं। खाद नहीं मिलेगी तो बुवाई नहीं कर पाएंगे फिर फसल कहां से पैदा होगी?”

किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शिवनारायण सिंह चेतावनी देते हुए कहते हैं कि “अब हमारे सब्र का बांध टूट रहा है, हम जिले के जिलाधिकारी महोदय को दो बार ज्ञापन सौंप चुके हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। समय कम बचा है किसानों के लिए करो या मरो की स्थिति बनी हुई है। अगर डीएपी खाद की आपूर्ति जल्द से जल्द नहीं की जाती है तो हम किसानों के साथ आंदोलन करने को मजबूर होंगे।”

गांव के लोग ने खाद आपूर्ति के संदर्भ में झांसी जिलाधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन संपर्क नहीं हो सका।

गौरव गुलमोहर स्वतंत्र पत्रकार हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Bollywood Lifestyle and Entertainment