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शहीद-ए-आज़म भगत सिंह की 115वीं जयंती मनाई गई

दरभंगा। जनसंस्कृति मंच दरभंगा, आइसा, इनौस के संयुक्त तत्वावधान में शहीद-ए-आज़म भगत सिंह की जयंती जसम जिलाध्यक्ष डॉ. रामबाबू आर्य की अध्यक्षता में प्राक परीक्षा प्रशिक्षण केंद्र, दरभंगा पर मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत कॉमरेड भोलाजी के जनवादी गीतों से हुई। गीतों के बाद जनसंस्कृति मंच, आइसा, इनौस के साथियों ने साझी-शहादत, साझी-विरासत ज़िंदाबाद, फासीवाद भगाओ-लोकतंत्र […]

दरभंगा। जनसंस्कृति मंच दरभंगा, आइसा, इनौस के संयुक्त तत्वावधान में शहीद-ए-आज़म भगत सिंह की जयंती जसम जिलाध्यक्ष डॉ. रामबाबू आर्य की अध्यक्षता में प्राक परीक्षा प्रशिक्षण केंद्र, दरभंगा पर मनाई गई।

कार्यक्रम की शुरुआत कॉमरेड भोलाजी के जनवादी गीतों से हुई। गीतों के बाद जनसंस्कृति मंच, आइसा, इनौस के साथियों ने साझी-शहादत, साझी-विरासत ज़िंदाबाद, फासीवाद भगाओ-लोकतंत्र बचाओ के पोस्टर्स के साथ उत्तर प्रदेश के आदर्श इंटर कॉलेज, अछलादा में दलित छात्र की हत्या की कड़ी निंदा करते हुए दोषी शिक्षक अश्विनी सिंह की गिरफ्तारी की माँग की।

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित जसम राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. सुरेंद्र सुमन ने कहा कि भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में शोषण का प्रतिकार के प्रतीक शहीद-ए-आज़म भगत सिंह को याद करते हुए उनके बताए पथ पर चलते हुए अपनी शहादत देने वाले शंकर गुहा नियोगी की शहादत को भी सलाम।

आगे उन्होंने कहा कि भगत सिंह का सपना क्या था? मनुष्य द्वारा मनुष्य का जो शोषण है, वह जो शोषणतंत्र है, उसका नाश हो। भगत सिंह जाति और वर्ग का विनाश चाहते थे। भगत सिंह चाहते थे कि साम्राज्यवाद का नाश और समाजवाद की स्थापना हो। समाजवाद के सपनों को साकार करने के लिए भगत सिंह ने अपनी शहादत दी थी। आज दोबारा निजीकरण के द्वारा, कॉरपोरेट लूट के जरिये ‘कम्पनी राज’ हावी हो रहा है। भगत सिंह की लड़ाई आज भी जारी है। पूंजीवाद के खिलाफ, जातिवाद के खिलाफ, पितृसत्ता के खिलाफ! आज भगत सिंह की विरासत को आगे ले जाने को संकल्पित होने का समय है।

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इंक़लाबी नौजवान सभा के जिला संयोजक संदीप चौधरी ने भगत सिंह को याद करते हुए कहा कि भगवाकरण की नापाक कोशिशें आज जब पूरे जोरों से हो रही हैं तो भगत सिंह को मानने वाले तमाम लोकतांत्रिक लोगों को एकजुट होकर प्रतिकार करना होगा। भगत सिंह अपने विचार और व्यवहार से पूरी तरह साम्यवादी थे। समाज में जिस प्रकार से सत्ता प्रायोजित विष वमन जारी है उसके खिलाफ हमें हमारी क्रांतिकारी विरासत के संदेशों को लेकर जनता के बीच जाने की जरूरत दरपेश है।

भाकपा माले के वरिष्ठ नेता कॉमरेड देवेंद्रजी ने इस अवसर पर कहा कि आज भगत सिंह की जरूरत किसी भी और समय से ज्यादा महसूस की जा रही है। भगत सिंह को याद करने का यह भी अर्थ है कि धर्मांधता के खिलाफ तार्किकता, वैज्ञानिक चेतना का प्रसार हो। यह काम हमें अपने घरों से शुरू करने की जरूरत है। हमारे पूर्वजों ने अनेक बलिदानों के बाद जो लोकतंत्र हमें दिया है उसे बचाने का सतत प्रयास करना होगा।

अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. रामबाबू आर्य ने कहा कि भगत सिंह जनपक्षधरता के, देशभक्ति के पर्याय हैं। आज आजादी के 75वें वर्ष में सत्ता प्रायोजित अमृत महोत्सव के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन की क्रांतिकारी विरासत को बगल में रखकर एक नया इतिहास गढ़ने पर बल दिया जा रहा है। इसके विनाशकारी परिणामों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह तय करने का समय है कि यह देश भगत सिंह-अम्बेडकर के सपनों का भारत बनेगा या बर्बर फासिस्टों का हिन्दू राष्ट्र?

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स्वाधीनता आंदोलन के अर्जित मूल्यों की हिफाज़त करना ही भगत सिंह के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

मौके पर डॉ. मिथिलेश यादव, डॉ. संजय कुमार, विशाल माँझी आदि ने भी अपनी बातें रखी। कार्यक्रम का संचालन जसम जिला सचिव समीर ने एवं धन्यवाद ज्ञापन एसएस ठाकुर ने किया। इस अवसर पर कतिपय छात्र-छात्राओं की उपस्तिथि रही।

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