प्रदेश में चल रही वर्चस्ववादी जातिवादी और अहंकारी राजनीति का परिणाम है महिलाओं पर बढ़ रही हिंसा एवं हत्या की घटनाएं
ऐपवा ने औरेया के 10वीं के दलित छात्र निखित कुमार को श्रद्धांजलि देते हुए की न्याय की मांग
उत्तर प्रदेश में लगातार महिला और दलित उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं के ख़िलाफ़ अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन( ऐपवा) ने अपने राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय कॉल के तहत बीएचयू गेट,,वाराणसी पर किया विरोध-प्रदर्शन।
ऐपवा की राज्य सचिव कुसम वर्मा ने कहा कि अपने प्रदेश सरकार के छह महीने के कार्यकाल के कसीदे गढ़ते हुए मुख्यमंत्री खुद एनसीआरबी के सरकारी आंकड़ों को नकारते हुए यूपी में विकास और कानून व्यवस्था का रिपोर्ट कार्ड जारी कर रहे हैं। साथ ही अपराध पर काबू पाने, महिलाओं पर हिंसा, हत्या, बलात्कार पर रोक लगाने एवं हर महिला के लिए यूपी को सुरक्षित करने के बजाय यह कहकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं कि यूपी पुलिस अपराधियों को 24 घण्टे में गिफ्तार कर ले रही है। जबकि सच तो यह है कि हाथरस की दलित लड़की को आज तक न्याय नहीं मिला। लखीमपुरखीरी, पीलीभीत, बदायूं, मुरादाबाद, उन्नाव आदि जिलों की शर्मनाक घटनाओं से यह बात सामने या रही है कि उत्तर प्रदेश में अपराधियों और बलात्कारियों के मंसूबे बढ़े हुए हैं, उन्हें कानून का कोई भय नहीं है।
स्वतंत्र पत्रकार एवं रंगकर्मी अपर्णा ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी यूपी में पुरुष सत्तात्मक, वर्चस्ववादी, जातिवादी, अहंकारी, बुलडोजर राजनीति के प्रतीक बन गए हैं। प्रदेश में महिला सम्मान की कोई जगह नहीं बची है। पूरे प्रदेश में गरीबों, दलितों, महिलाओं के हक-अधिकार को कुचला जा रहा हैं। राजनीतिक संरक्षण के बिना कोई भी व्यक्ति इस तरह के काम को खुले आम अंजाम नहीं दे सकता। सच यह है कि स्त्रियाँ नारे की विषय वस्तु बनकर रह गई है।
ऐपवा की जिला सचिव स्मिता बागड़े ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेश में कानून के राज की बात करते हैं लेकिन महिला उत्पीड़न के अधिकतर मामलों में थानों में एफआईआर तक दर्ज नहीं हो पा रही है। उल्टे कई थानों में रिपोर्ट लिखवाने गई महिलाओं के साथ बद्सलूकी की घटनाओं तक की खबरें आ रही हैं। इन अपराधों के लिए थाना प्रभारियों पर कोई कड़ी कार्रवाई भी नहीं की जा रही है। स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में सिर्फ महिला सशक्तीकरण का ढोंग किया जा रहा है।
ऐपवा की जिला उपाध्यक्ष विभा प्रभाकर ने कहा कि आंकड़े बता रहे हैं कि यूपी दलित उत्पीड़न में भी शर्मनाक ढंग से अव्वल है। राजस्थान के दलित छात्र इंद्र मेघवाल की ही तरह उत्तर प्रदेश के औरैया में कक्षा 10 के छात्र की पीटकर हत्या कर दी जा रही है और मुख्यमंत्री कुछ नहीं बोल रहे हैं।
स्वतंत्र घरेलू कामगार मोर्चे की सचिव धनशीला एवं विमल ने संयुक्त रूप से कहा कि हम दलित महिलाओं को समाज में दोहरी मार का शिकार होना पड़ता है। आज भाजपा राज में दलित परिवारों की बेटियां डर के साये में जिंदगी बिता रही हैं। ऐपवा सदस्य नगीना ने कहा कि बाबा साहब आम्बेडकर ने जो हक-अधिकार अपने संघर्षों एवं संविधान के माध्यम से दलितों और महिलाओं को दिए हैं, यह सरकार उसे खत्म कर रही है। कहा कि बेटी बचाओ का नारा देने वाली सरकार में आज बेटियां असुरक्षित महसूस कर रही हैं।
बीएचयू की छात्रा चंदा यादव ने कहा कि योगीराज में गरीबों के आर्थिक विकास का कोई मॉडल काम नहीं कर रहा है। आज प्रदेश में ऐसी ह्रदयविदारक घटनाएं भी घट रही हैं जहां महिलाएं आर्थिक तंगी से अपने बच्चों समेत आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रही हैं। महिलाओं के सम्मानजनक रोजगार की कोई गारंटी नहीं है बल्कि कॉलेज और विश्वविद्यालयों की महंगी फीस ने नौजवान महिलाओं के बड़े हिस्से को उच्च शिक्षा से महरूम कर दिया है।
कार्य्रकम में ऐपवा की वरिष्ठ सदस्य विभा वाही, किसान सभा से कृपा वर्मा, गांव के लोग पत्रिका के सम्पादक रामजी यादव, सामाजिक कार्यकर्ता अनिल, मिठाईलाल सहित बीएचयू के छात्र-छात्राओं एवं अन्य प्रबुद्ध लोगों ने अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में जनगीतकार यौधेश ने महिला समानता और एकता से संबंधति कई गीतों की प्रस्तुति दी। ऐपवा सदस्य अनीता और सरिता ने महिला आज़ादी और न्याय सम्बन्धी गीतों की प्रस्तुति दी। अंत में औरेया के दलित छात्र निखित कुमार के मौत पर दो मिनट का मौन रखकर उसे श्रद्धांजलि दी गई।
कुसुम वर्मा, उत्तर प्रदेश में ऐपवा की सचिव हैं।
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