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उत्तर प्रदेश : वेतन भुगतान ना होने से आहत तदर्थ शिक्षक कल देंगे धरना

उत्तर प्रदेश में सहायता प्राप्त(एडेड) माध्यमिक विद्यालयों में तैनात  रहे दो हजार से अधिक तदर्थ शिक्षकों को शासनादेश जारी होने के एक माह बाद भी बकाया भुगतान नहीं किया गया। इससे नाराज तदर्थ शिक्षकों ने सोमवार से जिलों में जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) कार्यालयों पर धरना देने का निर्णय लिया है। इसके बाद भी भुगतान […]

उत्तर प्रदेश में सहायता प्राप्त(एडेड) माध्यमिक विद्यालयों में तैनात  रहे दो हजार से अधिक तदर्थ शिक्षकों को शासनादेश जारी होने के एक माह बाद भी बकाया भुगतान नहीं किया गया। इससे नाराज तदर्थ शिक्षकों ने सोमवार से जिलों में जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) कार्यालयों पर धरना देने का निर्णय लिया है। इसके बाद भी भुगतान न होने पर निदेशालय का घेराव करेंगे।

इन शिक्षकों के बकाया भुगतान के लिए नौ नवंबर को शासनादेश जारी किया गया था। इसके बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ महेंद्र देव ने ऑनलाइन बैठक करके तथा अपर शिक्षा निदेशक सुरेंद्र कुमार तिवारी ने आदेश जारी कर भुगतान के निर्देश दिए थे। लेकिन डीआईओएस स्तर से इस पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसे में तदर्थ शिक्षकों ने अब दोबारा आंदोलन की घोषणा की है। तदर्थ शिक्षक संघर्ष समिति के संयोजक राजमणि सिंह ने कहा कि विद्यालय स्तर पर भी शिक्षकों के  आवश्यक दस्तावेज का सत्यापन हो गया है। इसके बाद भी डीआईओएस  मनमानी कर रहे हैं। ऐसे में हमारे सामने  आंदोलन के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। भुगतान के लिए सोमवार से जिलों में डीआईओएस कार्यालय पर प्रदर्शन  किया जाएगा।

माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने कहा कि भुगतान में कोई दिक्कत नहीं है। पूर्व में भी इसके लिए निर्देश दिए गए हैं। सोमवार को फिर से बैठक की जाएगी। तदर्थ शिक्षकों के मामले में विधान परिषद की समिति ने शासन को पत्र भेजकर जानकारी मांगी है। उन्होंने कहा है कि शिक्षकों के विनियमितीकरण के संबंध में जारी 09 नवंबर के शासनादेश को निरस्त कराकर शिक्षकों के हित में अधिसूचना के तहत आने वाले शिक्षकों को नियमित करने के बारे में आख्या उपलब्ध कराएं। वहीं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के ओम प्रकाश त्रिपाठी ने इस मामले को संसदीय व सामाजिक सद्भाव समिति को संदर्भित करने पर खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि तदर्थ शिक्षकों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए।

वेतन न मिलने की बाबत जौनपुर जिले के मछली शहर के अरुआंवा गाँव निवासी तदर्थ शिक्षक तारकनाथ ने फोन पर बात करते हुये बताया कि ‘नवंबर महीने का वेतन अभी तक हमें नहीं मिला है। चूंकि हम तदर्थ शिक्षक के रूप में काम कर रहे हैं इसलिए हमारे अंदर हमेशा भय बना रहता है कि कहीं नौकरी पे आंच तो नहीं आने वाली है। रुका हुआ वेतन जब तक नहीं आ जाता तब तक मन में यह भय बना रहता है। सरकार की ओर से अगर यह आदेश भी आ जाए कि तदर्थ शिक्षकों को इसी वेतन पर 60-65 साल तक पढ़ाना है तब भी दिल को सुकून मिलेगा वरना हम तो हमेशा ही डरे से रहते हैं कि अगर सरकार ने हमें बाहर का रास्ता दिखा दिया तो बाल-बच्चों का क्या होगा।’

जौनपुर जिले के ही खेतासराय नगर पंचायत के जयगहां ग्राम के रहने वाले तदर्थ शिक्षक जयप्रकाश यादव कहते हैं, ‘नवंबर महीने में दिवाली के दिन ही अपर सचिव दीपक कुमार की तरफ से आदेश आया जिसमें सभी तदर्थ शिक्षकों की सेवा समाप्त करने की बात कही गयी थी। इस खबर से हम लोग सदमे में आ गए। एक अध्यापक जो की रिटायर होने वाले थे वो बिस्तर पकड़ लिए। उनकी तबियत खराब हो गयी,और हो भी क्यों न? जो आदमी 20-25 वर्षों से अपनी सेवा दे रहा है, इस उम्मीद के साथ कि एक दिन वह सरकारी हो जाएगा और उसकी पुरानी पेंशन बनेगी। घर परिवार ठीक से चलेगा। उसके सपनों को सरकार ने एक मिनट में एक आदेश के जरिये खत्म कर दिया। उस आदमी ने अपनी बेटी कि शादी के लिए लोन लिया है अब वह उसे कैसे भरेगा।’

जय प्रकाश आगे कहते है कि ‘हम तो पढ़ाना जारी रखेंगे क्योंकि यह बच्चों के भविष्य का सवाल है। सरकार को भले ही बच्चों के भविष्य की  चिंता न हो लेकिन एक अध्यापक होने के नाते हमारा कर्तव्य है की हम अपने स्वार्थ के लिए बच्चों का भविष्य खराब न होने दें।’

सरकार की ओर से तदर्थ शिक्षकों की सेवा समाप्ति का आदेश जारी होते ही उनका वेतन रोक दिया गया। सरकार के इस फैसले से नाराज तदर्थ शिक्षक संघ लामबंद होकर इस आदेश को वापस लेने की मांग कर रहा है। यदि सरकार शिक्षकों की मांग नहीं मानती है तो कल से लखनऊ स्थित निदेशालय पर शिक्षकों का धारना शुरू हो जाएगा। उसके बाद भी अगर उनकी मांग नहीं मानी गयी तो हर जिले के डीआईओएस कार्यालय पर धारना शुरू होगा।

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