महिलाओं को सशक्त करने और उन्हें सुरक्षा की गारंटी देने वाली भाजपा के ऊपर नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताज़ा आंकड़े गंभीर सवाल खड़े करते हैं। बेटियों के साथ बढ़ते अपराध के मामले चौकाने वाले हैं। जिन आंकड़ों की हम बात कर रहे हैं, ये आंकड़े 2020 से 2022 यानी तीन साल के हैं, जिसे एनसीआरबी ने जारी किया है। तीन साल के आंकड़ों को देखने के बाद मध्य प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के महिला सुरक्षा के दावों की पोल खुल जाती है।
इसी साल भाईदूज के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान में महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तीकरण के लिए केंद्र की योजनाओं का हवाला देते हुए कहा था, ‘बीते दस वर्षों में केंद्र सरकार ने जितनी योजनाएं बनाई हैं, उसमें नारी सुरक्षा और नारी सशक्तीकरण को ही सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। मेरा मिशन ‘बहनों’ को समस्या से निजात दिलाने का है।’
NCRB के आंकड़ों के अनुसार, अपराध मामले में टॉप पांच राज्यों में से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में भाजपा सरकार है। भाजपा शासित प्रदेशों में महिलाओं के साथ होने वाले अपराध अपने खतरनाक स्तर पर पहुंचते जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार महिला अपराध के मामले में लगातार नंबर वन पर है। साल 2020 में 49,385, 2021 में 56,083 और 2022 में 65,743 मामले सामने आए हैं। वहीं, दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है, जहां 2020 में 31,954, 2021 में 39,526 और 2022 में 45,331 मामले सामने आए हैं।
यह भी पढ़ें…
महिलाओं के प्रति रूढ़िवादी सोच को कब बदलेगा समाज
तीसरे पायदान पर राजस्थान है, जहां 2020 में 34,535 मामले 2021 में 40,738 और 2022 में 40,058 मामले दर्ज हुए। वहीं चौथे नंबर पर पश्चिम बंगाल है। साल 2020 में 36,439 मामले 2021 में 35,884 और 2022 में 34,738 मामले सामने आए हैं।
मध्य प्रदेश महिलाओं के साथ अपराध के मामले में पूरे देश में 5वें पायदान पर हैं। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की 2020 से 2022 की रिपोर्ट मध्य प्रदेश में महिलाओं पर जुल्म के आंकड़ों को बयां कर रहा है। ये आंकड़ें साल दर साल घटने की बजाय बढ़ते ही गए हैं। 2020 से 2022 तक तीन सालों में 89 हजार 78 महिलाओं के साथ अलग-अलग तरह के अपराध दर्ज हुए हैं।
वहीं, भारत में महिलाओं के साथ हुए अपराध के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2020 में 3,71,503 मामले सामने आए थे। वहीं, 2021 के 4,28,278 मामले दर्ज किए गए। यही आंकड़ें 2022 में बढ़कर 4,45,256 तक पहुंच गए।
किस साल कितना बढ़ा अपराध
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के जारी आंकड़ों के मुताबिक, मध्यप्रदेश में साल 2020 में 25 हजार 640 महिलाओं के साथ अपराध हुए हैं। 2021 में ये आंकड़े बढ़कर 30 हजार 673 पहुंच गए। वहीं, 2022 में अपराध के आंकड़ों ने और लंबी छलांग लगाई। 2022 में 32 हजार 765 महिलाओं के साथ ऐसे अपराध हुए हैं, जो महिलाओं के नजरिए से काफी डराने वाला है।
भाजपा सरकार खुद को महिला हितैषी के रूप में प्रोजेक्ट करती आई है। तत्कालीन शिवराज सरकार में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर विज्ञापनबाजी के साथ कई बड़े-बड़े दावे भी किए थे, लेकिन एनसीआरबी के आंकड़े कुछ और ही कह रहे हैं। भाजपा शासित राज्य में अपराधियों को सजा देने के लिए बुलडोजर तक चलवाया गया। इसके बावजूद अपराधों पर लगाम लगाने में भाजपा नाकाम साबित हुई।
शिवराज सिंह चौहान ने महिला सुरक्षा को लेकर बयान देते हुए कहा था, ‘महिला अपराध के अपराधियों को छोडूंगा नहीं। मध्य प्रदेश में किसी भी महिला से अपराध करने वाले अपराधियों को मैं चैन से नहीं रहने दूंगा।’
शिवराज सिंह ने भोपाल में महिला दिवस के दिन एक योजना की शुरुआत करते हुए महिला सुरक्षा को लेकर भी बयान दिया था। शिवराज ने कहा था, ‘बहनों को अगर कोई गलत नजर से देखेगा या दुराचार करेगा तो उसे फांसी के फंदे पर लटका दिया जाएगा और उसके मकान को ध्वस्त करने के लिए बुलडोजर चलाया जाएगा।” (NDTV, 12 अगस्त 2023)
मध्य प्रदेश में दिल दहला देने वाले मामले
28 सितंबर, 2020 को मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में भी यूपी के हाथरस जैसा कांड सामने आया था, जहां एक दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था। पीड़ित महिला चार दिनों तक एफआईआर लिखवाने के लिए परिजनों के साथ थानों के चक्कर काटती रही, लेकिन पुलिस ने उल्टे पीड़ितों से ही गाली-गलौज की और पैसे मांगे थे। अंत में निराश पीड़िता ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
15 अगस्त, 2022 को सिंगरौली जिले के ग्राम झुमरिया टोला में महिला के साथ रेप की घटना घटी थी। रेप के बाद आरोपी ने महिला के साथ बुरी तरह हिंसा भी की थी।
इसी तरह विधानसभा चुनाव से चंद रोज पहले 25 सितंबर, 2023 की रात मध्यप्रदेश में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया था। उज्जैन में 12 साल की नाबालिग के साथ रेप किया गया, उसके कपड़े खून से सने हुए थे। बच्ची ने करीब आठ किमी चलकर लोगों से मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन उसकी मदद किसी ने नहीं की थी।
यह भी पढ़ें…
कर्नाटक में 2020-22 में वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराध में 86 प्रतिशत की वृद्धि : एनसीआरबी
इन आंकड़ों को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अंशु गुप्ता का कहना है, ‘NCRB का डाटा चीख-चीखकर कह रहा है कि मध्य प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराधों का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसके लिए बीजेपी सरकार दोषी है। इससे साफ है कि शिवराज सरकार महिलाओं के प्रति संवेदनशील औैर गम्भीर नहीं थी। ये लोग इसी तरह से झूठ बोलकर महिलाओं के साथ समाज को भ्रमित करते हैं।’
अंशु गुप्ता ने यह भी कहा, ‘यह शोध का विषय है कि मध्य प्रदेश ही NCRB के आंकड़ों में महिला अपराध में क्यों आगे आ रहा है? महिला अपराध की मूल समस्या क्या है? इन पर ध्यान देने की जरूरत है। प्रदेश में नशाखोरी बहुत ज्यादा बढ़ रही है, इसकी वजह से महिलाओं के साथ अपराध बढ़ रहे हैं। इन सभी चीजों की प्रॉपर मॉनिटरिंग कर तत्काल नियंत्रित करने की जरूरत है। अगर मध्य प्रदेश में ऐसे ही अपराध होते रहे तो महिलाएं और डरेंगी, हो सकता है प्रदेश से पलायन भी कर जाएँ। यह कोई स्थायी समाधान नहीं है।’
एनसीआरबी के इन आंकड़ों पर भोपाल के कमीश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा कहते हैं कि पहले पीड़ित पक्ष जागरूकता की कमी के कारण शिकायत नहीं करते थे। जबकि आज जागरूकता बढ़ी है, यही वजह है कि जो मामले पहले दबा दिए गए थे, वह अब सामने आ रहे हैं। इसलिए पहले की अपेक्षा मामले ज्यादा सामने आए हैं।’
महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराध को रोकने के सवाल पर चारी मिश्रा ने कहा, ‘अपराधियों को ज्यादा से ज्यादा सजा देनी चाहिए, जिससे उनमें खौफ बढ़ेगा और अपराध में कमी आएगी। साथ ही लगातार अभियान चलाकर महिलाओं के साथ हो रहे अपराध में कमी लाई जा सकती है।’
अब सवाल यह उठता है कि क्या सिर्फ बुलडोजर की कार्रवाई करके अपराध को नियंत्रित किया जा सकता है? या इस दिशा में सरकार महिलाओं को और सुरक्षा देने की जिम्मेदारी उठाएगी? या महिला सुरक्षा के लिए काम कर रही संस्थाओं को कोई ठोस कदम उठाना होगा?