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बलिया : उचित कीमत नही मिलने से किसानों ने कहा कि अगले साल नहीं करेंगे टमाटर की खेती

बलिया। किसान की आय का आधार खेती में उपजी फसल होती है। बीज डालने से लेकर बाजार में बेचने तक के लिए उसे कड़ी मशक्कत करना पड़ता है। रबी-खरीफ फसलों के अलावा बहुत से किसान अपने खेतों में मौसमी सब्जियों का उत्पादन करते हैं। यदि बाजार में उस फसल का अच्छा दाम मिल जाता है […]

बलिया। किसान की आय का आधार खेती में उपजी फसल होती है। बीज डालने से लेकर बाजार में बेचने तक के लिए उसे कड़ी मशक्कत करना पड़ता है। रबी-खरीफ फसलों के अलावा बहुत से किसान अपने खेतों में मौसमी सब्जियों का उत्पादन करते हैं। यदि बाजार में उस फसल का अच्छा दाम मिल जाता है तो फायदा होता है अन्यथा उस फसल को बेचने के बाद लागत तक नहीं निकल पाती है।

बलिया में टमाटर के भाव गिर जाने से वहाँ के किसान निराश हैं। बलिया के बेरिया, सोनबरछा, दलन छपरा, जमीन बढ़ी, धतुरी टोला, इब्राहिमबाद जैसे दर्जनों गाँव हैं, जहां इफ़रात में टमाटर उत्पादन होता है। यहाँ के किसान हर साल इस मौसम में टमाटर की खेती करते हैं और पिछले वर्ष तक बाजार में बेचकर अच्छा मुनाफा कमाते थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से टमाटर की खेती से मिलने वाला मुनाफा लगातार कम होता गया है। इस वर्ष मुनाफा तो क्या लागत तक वसूल नहीं हो पा रही है। इस कारण यहाँ के किसान लगातार परेशान हैं। उनका कहना है कि यदि नुकसान में टमाटर बेचना पड़े तो खेती के लिए लिया गया कर्ज कैसे चुकाएंगे। साथ ही घर चलाना मुश्किल हो जाएगा।

एक एकड़ में आने वाली लागत और बाजार की स्थिति

बेरिया गाँव में टमाटर की खेती करने वाले किसान सूबेक सिंह ने बताया कि एक एकड़ में टमाटर के उत्पादन में लगभग 40 हजार रुपये का खर्च आता है। इस खर्चे में बीज, खाद, सिंचाई और मजदूरी के साथ दिया जाने वाला लगान भी शामिल है।

हर किसान इतना सम्पन्न नहीं होता कि पूरा खर्च उठाया सके। इसके लिए कर्ज लेना पड़ता है। उत्पादन के बाद टमाटर बिकने के बाद कर्ज चुकाया जाता है। अगर 100 क्विंटल टमाटर हुआ तब हमें लागत के साथ कुछ फायदा भी मिलता है।

सोनबरसा  के किसान अजय सिंह का कहना है कि असल में इस वर्ष प्रति क्विंटल टमाटर की कीमत 700/- है। जो पिछले कई वर्षों के मुकाबले आधा ही है। पिछले कुछ वर्षों तक 1200 से 1400 रु प्रति क्विंटल कीमत थी। इस वर्ष आधी कीमत हो जाने से 100 क्विंटल का मात्र 70 हजार रुपये ही मिल पाए। इसमें से 30 हजार रु ही हाथ में आएंगे। यदि गणना के जाए तो 5 हजार रुपये प्रतिमाह। इस 5 हजार में एक माह का  खर्चा कैसे चलेगा। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, यदि कोई बीमार हो गया तो डॉक्टर-दवा का खर्चा। कितना भी हाथ खींचकर खर्च करें तब भी संभव नहीं है।

किसानों का कहना है कि वैसे तो अब साल भर टमाटर बाजार मे मिल जाता है लेकिन टमाटर की अच्छी खेती का यही मौसम होता है और इस मौसम में टमाटर का उचित दाम न मिले तो क्या फायदा होगा।

किसानों का कहना है

किसान कहते हैं कि हम टमाटर का उत्पादन तो करते हैं और उसकी अच्छी फसल भी हुई लेकिन इसके लिए कोई बाजार नहीं है बल्कि बिहार के व्यापारी गाड़ी लेकर आते हैं और कई कैरेट टमाटर लेकर जाते हैं। यहाँ के किसान चाहते हैं कि टमाटर यदि 1500/- प्रति क्विंटल बिके तो हम थोड़ा सुविधाजनक तरीके से जीवन जी सकते हैं। वे चाहते हैं कि सरकार को इसके लिए ऐसी व्यवस्था करनई चाहिए ताकि इसका यहाँ बाजार हो। बाजार न होने की वजह से और उचित दाम नहीं मिलने के वजह से परेशान है।

उनका यह भी कहना है कि यदि यही स्थिति अगले साल वे टमाटर के खेती नहीं करेंगे क्योंकि ऐसी ही स्थिति रही तो टमाटर की खेती करते हुए वे कर्ज में डूब जाएंगे।

गाँव के लोग
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