इस साल का साहित्य अकादमी सम्मान हिन्दी साहित्य के लिए कथाकार संजीव को दिया जा रहा है। इसका ऐलान साहित्य अकादमी के सचिव डॉक्टर के. श्रीनिवासराव ने नई दिल्ली के रवींद्र भवन में किया। यह सम्मान संजीव को उनके उपन्यास मुझे पहचानो के लिए दिया जाएगा। संजीव मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर के रहने वाले हैं। यह सम्मान उन्हें 12 मार्च, 2024 को दिया जाएगा।
कथाकार शिवमूर्ति संजीव को साहित्य अकादमी सम्मान दिये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहते हैं कि, ‘यह सम्मान उन्हें बहुत पहले मिलना चाहिए था पर यह बहुत देर से मिला है। इस सम्मान को लेकर वह यह भी रेखांकित करते हैं कि इसे भी चिन्हित किया जाना चाहिए कि किन सरकारों के दौर में उन्हें यह सम्मान नहीं दिया गया और किस सरकार के समय में उन्हें यह सम्मान मिला यह विरोधाभासी है पर देर से ही सही पर दुरुस्त हुआ है।
कथाकार रामनाथ शिवेंद्र संजीव को यह सम्मान दिये जाने पर कहते हैं कि वह बेमिसाल कथाकार हैं उन्हें यह सम्मान दिया जान सरकार का स्वागतयोग्य फैसला है। मैं उन्हें समय विमर्श का सशक्त कथाकार मानता हूँ।
वरिष्ठ आलोचक वीरेंद्र यादव संजीव को इस सम्मान दिये जाने पर खुशी व्यक्त करते हुये कहा कि ‘संजीव को यह सम्मान देकर साहित्य अकादमी संस्था ने अपनी साख बचाने का काम किया है। उन्हें यह सम्मान बहुत पहले मिलना चाहिए था पर देर से ही सही उन्हें यह सम्मान मिलने पर हिन्दी साहित्य समाज को खुशी हुई है। वह कहते हैं संजीव का लेखन दलित, आदिवासी, महिला और अन्य हाशिये के समाज के संघर्ष और जीवन को सामने लाता है। देर से ही सही पर अब उन्हें यह सम्मान मिलना सुखद है।
कवि कथाकार अनीता भारती कहती हैं कि संजीव जी को साहित्य अकादमी मिलने की सूचना पाकर मुझे तो बहुत अच्छा लगा। यह बहुत पहले होना चाहिए था। विषयवस्तु के साथ उनका भाषा का कौशल भी शानदार है। साहित्य अकादमी ने इस बार सर्वथा योग्य चुनाव किया है।
उनकी कहानियों पर लिखने वाली डॉ प्रीति सिंह के अनुसार, ‘संजीव हिंदी साहित्य की गद्य विधा में दो सौ से अधिक कहानियाँ लिखने वाले यशस्वी कथाकार शब्दों के कुशल चितेरे होने के साथ ही अपनी विशिष्ट शैली, भाषा-विन्यास एवं विषय-वस्तु के लिए अलग से जाने जाते हैं। वे अपनी कहानियों में मानवीय मूल्यों एवं संवेदनाओं का ऐसा धरातल तैयार करते हैं, जहाँ जीवन के नए आयाम पाठकों को शिद्दत से उद्वेलित करते हैं। उनकी कहानियों में कथ्य और शिल्प दोनों ही बेजोड़ होते हैं। यहाँ पाठक कथ्य से केवल द्रवित ही नहीं होता अपितु शिल्प से प्रभावित भी होता है।
गाँव के लोग डॉट कॉम पर प्रकाशित रविशंकर सिंह द्वारा लिया गया साक्षात्कार भी इस क्रम में पढ़ सकते हैं। साक्षात्कार का लिंक नीचे है