Saturday, July 27, 2024
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छात्रावासों में ओबीसी आरक्षण की माँग के आगे बीएचयू प्रशासन की बोलती बंद

फिर से गुजरात भागे बीएचयू कुलपति, छात्रों में बढ़ा आक्रोश

वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्रावासों में संवैधानिक प्रावधान के तहत ओबीसी का 27% आरक्षण लागू करने की माँग को लेकर छात्र-छात्राओं ने विश्वविद्यालय परिसर की सरगर्मी बढ़ा दी है। पीछले पाँच-छह वर्ष में छात्रावासों में ओबीसी आरक्षण की जायज माँग को लेकर छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन के जिम्मेदार पदाधिकारियों को दर्जनों बार ज्ञापन सौंपा है। उसके पहले छात्रावासों में ओबीसी आरक्षण की माँग को लेकर जो शिकायत पत्र, ज्ञापन या प्रार्थना पत्र दिया गया है, उसकी गिनती ही नहीं है। बीते 10 जनवरी को भी छात्र-छात्राओं ने ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर कुलपति कार्यालय (सेंट्रल ऑफिस) का घेराव करके कुलपति के नाम ज्ञापन दिया था।

जब सेंट्रल ऑफिस पहुँच गए छात्र

बतादें, उस दिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा था कि छात्रावासों में ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए बनाई गई पाँच सदस्यीय कमिटी ने अपनी संस्तुति दे दी है, जिस पर केवल कुलपति का हस्ताक्षर होना बाकी है जो एक घंटे में हो जाएगा और आरक्षण लागू हो जाएगा। छात्रों द्वारा कुलपति को सौंपे ज्ञापन को आज नौ दिन बीत गए, लेकिन आज तक विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उक्त माँग के सम्बंध में ऐसी कोई अधिसूचना जारी नहीं हुई है, जिस पर छात्रों को छात्रावासों में ओबीसी आरक्षण लागू करने की बात स्वीकार की गई हो। विश्वविद्यालय प्रशासन के ढुलमुल रवैये और लगातार वादाखिलाफी से परेशान सभी छात्र-छात्राओं ने एक बार फिर से ओबीसी आरक्षण लागू करने की अधिसूचना की जानकारी और जवाब की माँग को लेकर गुरुवार को सेंट्रल ऑफिस पहुँच गए।

[bs-quote quote=”छात्रों ने कहा कि हमारी माँग के आगे बीएचयू प्रशासन की बोलती बंद क्यों है? इस ‘क्यों’ के पीछे का कारण बीएचयू कुलपति और रजिस्ट्रार सहित तमाम पदाधिकारियों की खोंट, सोच और गंदी मानसिकता है। जिम्मेदार पदाधिकारियों को अपना दोगलापन चरित्र और नीयत को सुधारने की मंशा से छात्रों ने आज फिर एक बार छात्रावासों में ओबीसी आरक्षण लागू करने की माँग को लेकर कुलपति के नाम अनुस्मारक-पत्र सौंपा।” style=”style-2″ align=”center” color=”” author_name=”” author_job=”” author_avatar=”” author_link=””][/bs-quote]

जिम्मेदार अधिकारी बने लापरवाह

आंदोलित छात्रों को जब मालूम चला कि कुलपति सुधीर कुमार जैन फिर से गुजरात चले गए हैं तो उनमें आक्रोश भर गया और वे सब सेंट्रल ऑफिस के सामने ही धरने पर बैठ गए। करीब दो-ढाई घंटे तक छात्र सेंट्रल ऑफिस बैठे रहे, बीच-बीच में विश्वविद्यालय प्रशासन के जिम्मेदार पदाधिकारियों के सामने अपनी बातें भी रख रहे थे। नारेबाजी और क्रांतिकारी गीतों व कविताओं के माध्यम से अपना हौसला अफजाई करते रहे।

क्यों बंद है बीएचयू प्रशासन की बोलती

ज्ञापन भी सौंपा गया

छात्र बार-बार अपनी माँग के संदर्भ में विश्वविद्यालय प्रशासन के जिम्मेदार पदाधिकारियों से जवाब जवाब माँग रहे थे, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन के मुँह से एक आवाज भी नहीं निकल रही थी। छात्रों ने कहा कि हमारी माँग के आगे बीएचयू प्रशासन की बोलती बंद क्यों है? इस ‘क्यों’ के पीछे का कारण बीएचयू कुलपति और रजिस्ट्रार सहित तमाम पदाधिकारियों की खोंट, सोच और गंदी मानसिकता है। जिम्मेदार पदाधिकारियों को अपना दोगलापन चरित्र और नीयत को सुधारने की मंशा से छात्रों ने आज फिर एक बार छात्रावासों में ओबीसी आरक्षण लागू करने की माँग को लेकर कुलपति के नाम अनुस्मारक-पत्र सौंपा। छात्रों का कहना था कि यदि ये हमारी माँग को नहीं मानते हैं तो हम भी हार नहीं मानने वाले हैं। हम कमेरों के लड़ाके संतान हैं, अपनी मांग को लेकर लड़ाई को और मजबूत करेंगे। सीर और छित्तूपुर गेट पर माइक मीटिंग करेंगे। अपनी माँगों को लेकर ट्विटर पर ट्रेंड करवाएँगे। पूरे परिसर में घूम-घूमकर माइक से अपनी माँग के पक्ष में छात्र-छात्राओं, कर्मचारियों और प्रोफेसरों का समर्थन माँगेंगे। जरुरत पड़ी तो इस आंदोलन को देशव्यापी भी बनाया जाएगा, लेकिन हम हार नहीं मानेंगे, लड़ाई जारी रखेंगे।

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इनकी रही उपस्थिति

अमित, उमेश, विनय, सुमित, युगेश, संदीप, मारुति मानव, श्रवण यादव, राणा रोहित, राजेश, श्याम बाबू मौर्य, आकाश, आदर्श, उदय पाल, छेदीलाल निराला, शशिकांत, लवकेश, दिलीप कुमार चौरसिया, नितिश, राहुल देव, लकी और भुवाल यादव आदि।

गाँव के लोग
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