नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले के सभी 11 दोषियों को रविवार तक सरेंडर करने का आदेश दिया है। अदालत ने और मोहलत दिए जाने की उनकी याचिका खारिज कर दी है। बता दें कि गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो से गैंगरेप और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले के 9 दोषियों ने शीर्ष अदालत में बृहस्पतिवार को याचिका दाखिल कर आत्मसमर्पण के लिए और वक्त दिए जाने का अनुरोध किया था।
आज दोषियों की याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की अगुवाई वाली पीठ ने दोषियों को रविवार तक जेल लौटने का आदेश दिया। पीठ ने कहा, ‘हमने आवेदकों के वरिष्ठ अधिवक्ता और वकील तथा गैर-आवेदकों के वकील की दलीलों को भी सुना है। आवेदकों द्वारा आत्मसमर्पण के लिए और वक्त दिये जाने के लिए बताये गये कारणों में कोई दम नहीं है क्योंकि ये कारण किसी भी तरह से उन्हें हमारे निर्देशों का पालन करने से नहीं रोकते हैं। इसलिए ये याचिकाएं खारिज की जाती हैं।’
इससे पहले दोषियों ने आत्मसमर्पण की समय सीमा बढ़ाने के लिए खराब स्वास्थ्य, सर्जरी, बेटे की शादी और पकी फसल की कटाई जैसे कारणों का हवाला दिया था। सभी दोषियों के आत्मसमर्पण करने की समय सीमा 21 जनवरी को समाप्त हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार पर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए बिलकिस के 11 दोषियों को सजा में छूट देने के राज्य सरकार के फैसले को आठ जनवरी को रद्द कर दिया था और दोषियों को दो सप्ताह के अंदर (21 जनवरी तक) जेल भेजने का निर्देश दिया था।
समय से पहले रिहा किए गए 11 दोषियों में बकाभाई वोहानिया, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, गोविंद नाई, जसवन्त नाई, मितेश भट्ट, प्रदीप मोरधिया, राधेश्याम शाह, राजूभाई सोनी, रमेश चांदना और शैलेश भट्ट शामिल हैं। घटना के वक्त बिलकीस बानो 21 साल की थीं और पांच माह की गर्भवती थीं। गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद 2002 में भड़के दंगों के दौरान बानो के साथ दुष्कर्म किया गया था। दंगों में मारे गए उनके परिवार के सात सदस्यों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी।
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