नई दिल्ली। कांग्रेस ने शनिवार को एक बार फिर मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया और भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र सरकार पर राज्य के लोगों को बुरी तरह निराश करने का आरोप लगाया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्विटर पर कहा, ‘मणिपुर में आग लगने के 52 दिन बाद गृह मंत्री ने आखिरकार आज दोपहर 3 बजे मणिपुर पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाना उचित समझा। इस बैठक की अध्यक्षता वास्तव में प्रधानमंत्री को करनी चाहिए थी, जो इतने समय तक चुप रहे। इसे इंफाल में राष्ट्रीय पीड़ा के प्रदर्शन के रूप में आयोजित किया जाना चाहिए था’।
मणिपुर को लेकर गृह मंत्री द्वारा आज बुलाई गई सर्वदलीय बैठक को महज़ दिखावा बताते हुए उन्होंने कहा है कि, यह महज औपचारिकता भर थी, बैठक में मुख्य विपक्षी दल के रूप में हमारे प्रतिनिधि मणिपुर के सबसे वरिष्ठ नेता थे। 3 बार निर्वाचित मुख्यमंत्री के रूप में राज्य में सरकार चला चुके ओकराम इबोबी सिंह को मणिपुर के लोगों के दर्द और पीड़ा को व्यक्त करते हुए अपनी बात रखने की अनुमति नहीं दी गई। यह न सिर्फ राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी का, बल्कि मणिपुर के लोगों का भी अपमान है। क्योंकि उनके प्रतिनिधि को अपनी बात पूरी तरह से रखने की अनुमति नहीं दी गई। हम बैठक में कांग्रेस की ओर से उठाए गए 8 प्वाइंट्स को आपके साथ साझा कर रहे हैं, जिसमें मणिपुर के मुख्यमंत्री को तत्काल हटाने की मांग भी शामिल है, जिसके बिना राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में कोई प्रगति नहीं हो सकती है।
मणिपुर को लेकर गृह मंत्री द्वारा आज बुलाई गई सर्वदलीय बैठक महज़ दिखावा और औपचारिकता भर थी।
बैठक में मुख्य विपक्षी दल के रूप में हमारे प्रतिनिधि मणिपुर के सबसे वरिष्ठ नेता थे। 3 बार निर्वाचित मुख्यमंत्री के रूप में राज्य में सरकार चला चुके ओकराम इबोबी सिंह को मणिपुर के लोगों के… https://t.co/cL1G5RIhtq pic.twitter.com/4mJhUhmdyW
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 24, 2023
भाजपा ने मणिपुर के लोगों को बुरी तरह निराश कर दिया है। उनकी यह टिप्पणी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा शनिवार को मणिपुर की स्थिति पर चर्चा के लिए बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद आई है।
कांग्रेस जातीय हिंसा पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठा रही है, इसमें 3 मई को पहली बार हिंसा भड़कने के बाद से अब तक 120 लोग मारे गए हैं, 400 से अधिक घायल हुए हैं और लगभग 50,650 पुरुष, महिलाएं और बच्चे विस्थापित हुए हैं।