Wednesday, December 24, 2025
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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

साहित्य

मूँदहु आंख भूख कहुं नाहीं

अब गरज तो विश्व गुरु कहलाने से है, भूख बढ़ाने में विश्व गुरु कहलाए तो और भूख मिटाने में विश्व गुरु कहलाए तो। उसके ऊपर से 111 की संख्या तो वैसे भी हमारे यहां शुभ मानी जाती है। भारत चाहता तो पिछली बार की तरह, भूख सूचकांक पर 107वें नंबर पर तो इस बार भी रह ही सकता था। पर जब 111 का शुभ अंक उपलब्ध था, तो भला हम 107 पर ही क्यों अटके रहते? कम से कम 111 शुभ तो है। भूख न भी कम हो, शुभ तो ज्यादा होगा।

विश्वगुरु की सीख का अपमान ना करे गैर गोदी मीडिया

इन पत्रकारों की नस्ल वाकई कुत्तों वाली है। देसी हों तो और विदेशी हों तो, रहेंगे तो कुत्ते...

तुम्हारी लिखी कविता का छंद पाप है

मणिपुर हिंसा पर केन्द्रित कवितायें  हम यहाँ ख्यातिलब्ध बांग्ला कवि जय गोस्वामी की कुछ कवितायें प्रकाशित कर रहे हैं।...

हरिशंकर परसाई और शंकर शैलेंद्र की जन्मशती पर हुआ संगोष्ठी का आयोजन

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में  हरिशंकर परसाई और शंकर शैलेंद्र की जन्मशती पर संगोष्ठी का...

व्याकरण के प्रकांड विद्वान थे आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी और आरसी प्रसाद सिंह की मनाई गई जयंती दरभंगा। आज विश्वविद्यालय हिंदी विभाग, ल.ना....

उपेक्षित लोगों को सशक्त बनाने के लिए गाँवों में शिक्षा पर अधिकाधिक निवेश करें

आज हमारे सामने एक और सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हर कोई कहता है कि वह अम्बेडकर का अनुयायी है। हमें उसकी हरकतों...

लात

रामनारायण पासवान के दिमाग में जैसे चील ने झपट्टा मारा हो, वह चौंक गया.. मर्डर केस में उसका नाम?  सत्तार मियाँ की हत्या... किसने...

जाति आधारित शोषण और विद्वेष के खिलाफ लड़ती कवितायें

वर्तमान युग विमर्शों का युग है जिसमें एक ओर शोषण के प्रतिरोधी स्वर बहुत तेज और मुखर हुए हैं तो दूसरी ओर मानवाधिकार के...

कैसा फागुन, क्या बसंत है…!

कैसा फागुन क्या बसंत है, इनका आना-जाना वे क्या समझे दु:ख की जो नित जाने बोझ उठाना।चीख-चीख कुछ कहे पपीहा, कहाँ गया पी कहाँ कह रहा, कोयल की हर...

वीरेंद्र यादव बनाम ज्वालामुखी यादव

(आज आलोचक वीरेंद्र यादव अपना बहत्तरवाँ जन्मदिन मना रहे हैं। वे बहुत सधे और गंभीर अध्येता हैं। वे नई से नई किताबें पढ़ते हैं।...

साहित्य समाज ने खोया एक मौन साधक

पूरे देश में बसंत की लहर चल रही थी।  साहित्यकार बसंती रचनाओं से अपनी डायरियों के पन्ने रंग रहे थे। ऐसे में एक साहित्यकार...
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