दलित, फिर एक स्त्री और उस पर दोनों पैरों से लाचार एक स्त्री ने पुरुषवादी और मनुवादी सोच से लड़ते हुए लगातार उपेक्षा और अपमान को ख़ारिज करते हुए एक मुकाम बनाया.पंखोँ से परवाज़ तक नाम से आत्मकथा लिखने वाली सुमित्रा मेहरोल से अपर्णा की बातचीत सुनिए.
दलित, फिर एक स्त्री और उस पर दोनों पैरों से लाचार एक स्त्री ने पुरुषवादी और मनुवादी सोच से लड़ते हुए लगातार उपेक्षा और अपमान को ख़ारिज करते हुए एक मुकाम बनाया.पंखोँ से परवाज़ तक नाम से आत्मकथा लिखने वाली सुमित्रा मेहरोल से अपर्णा की बातचीत सुनिए.