जाति और पुरुष वर्चस्व बीच दलित स्त्री का संघर्ष

गाँव के लोग

0 564
दलित, फिर एक स्त्री और उस पर दोनों पैरों से लाचार एक स्त्री ने पुरुषवादी और मनुवादी सोच से लड़ते हुए लगातार उपेक्षा और अपमान को ख़ारिज करते हुए एक मुकाम बनाया.पंखोँ से परवाज़ तक नाम से आत्मकथा लिखने वाली सुमित्रा मेहरोल से अपर्णा की बातचीत सुनिए.

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.