सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने 21 मार्च यानी कल यूनिक बॉन्ड नंबर के साथ इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी साझा कर दी है।
एसबीआई ने पहली बार में चुनाव आयोग को इलेक्टोराल बॉन्ड की जो लिस्ट सौंपी थी उसमें यूनिक बॉन्ड नंबर यानि सीरियल नंबर छुपा लिया था। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद कल एसबीआई ने सीरियल नंबर भी आयोग को सौंप दिया है।
चुनाव आयोग ने इस जानकारी को अपनी वेबसाइट पर जारी कर दिया है जहां चंदा दाता और प्राप्तकर्ता की ठीक-ठीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
भाजपा को मिला सबसे ज्यादा चंदा
इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में सबसे ज्यादा धनराशि प्राप्त करने वाली पार्टी भाजपा है। भाजपा को मदद देने वाले कुल दानदाताओं की संख्या 487 है। भाजपा को सबसे अधिक 6,060 करोड़ रुपए का चंदा मिला है।
मेघा इंजीनियरिंग के नाम से रजिस्टर्ड कंपनी ने भाजपा को सबसे ज्यादा 600 करोड़ का चंदा दिया है। इसके अलावा क्विक सप्लाई चेन कंपनी ने भाजपा को 375 करोड़ रुपए की राशि दी है, खनन और खनिज के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी वेदांता लिमिटेड ने भाजपा को 230 करोड़ रुपए और भारती एयरटेल ने 183 करोड़ रुपए का चंदा दिया है। इसके अलावा मदनलाल लिमिटेड, केवेनटर्स फूड पार्क, DLF, TVS मोटर और बजाज जैसी कंपनियां भाजपा को सबसे ज्यादा दान देने वाली कंपनियां हैं।
दूसरे नंबर पर बंगाल की तृणमूल कांग्रेस
इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा प्राप्त करने के मामले में तृणमूल कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही है। बॉन्ड के जरिए तृणमूल कांग्रेस को 1,610 करोड़ रुपए का चंदा मिला है। फ्यूचर गेमिंग कंपनी तृणमूल कांग्रेस की सबसे बड़ी दानदाता कंपनी है। फ्यूचर गेमिंग कंपनी ने तृणमूल कांग्रेस को 542 करोड़ रुपए का चंदा दिया है।
इसके बाद हल्दिया एनर्जी ने 281 करोड़ रुपए और धारीवाल इन्फ्रास्ट्रक्चर ने 90 करोड़ रुपए का चंदा दिया है। फ्यूचर गेमिंग कंपनी इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने के मामले में सबसे आगे रही है।
तीसरे नंबर पर रही कांग्रेस
इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा प्राप्त करने के मामले में कांग्रेस पार्टी तीसरे नंबर पर है। कांग्रेस ने कुल मिलाकर 1,422 करोड़ रूपए का चंदा प्राप्त किया है। वेस्टर्न यूपी पॉवर ने कांग्रेस को 110 करोड़ रुपए , वेदांता लिमिटेड ने 104 करोड़ रुपए और एमकेजे इन्टरप्राइजेज ने 91.6 करोड़ रुपए का चंदा दिया है।
आपको बता दें कि राजनीतिक पार्टियों को चुनावी चंदा देने के लिए लाई गई इलेक्टोरल बॉन्ड व्यवस्था पारदर्शिता और निष्पक्ष चुनाव को लेकर सवालों के घेरे में रही है। चुनावी बॉन्ड की वैधता के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड व्यवस्था को असंवैधानिक बताते हुए इस पर रोक लगा दी थी।
संविधान प्रदत्त सूचना का अधिकार जनता को राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे के बारे में जानने का पूरा अधिकार देता है जबकि इलेक्टोरल बॉन्ड योजना सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है।
देश की तमाम विपक्षी पार्टियां भी इलेक्टोरल बॉन्ड योजना के विरोध में रही हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मीडिया से वार्ता करते हुए इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को दुनिया का सबसे बड़ा जबरन वसूली रैकेट बताया था।
उन्होंने 15 मार्च को ट्वीट कर प्रधानमंत्री पर आरोप लगाते हुए लिखा, ‘नरेंद्र मोदी इलेक्टोरल बॉन्ड के नाम पर दुनिया का सबसे बड़ा वसूली रैकेट चला रहे थे।’
Narendra Modi ran the world’s largest Extortion racket in the name of electoral bonds.
नरेंद्र मोदी इलेक्टोरल बॉन्ड्स के नाम पर दुनिया का सबसे बड़ा वसूली रैकेट चला रहे थे।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 15, 2024
विपक्ष के नेताओं ने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी सूची शेयर करते हुए सत्तारूढ़ भाजपा पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं।
कई कंपनियों ने ED एवं आयकर विभाग की छापेमारी होने के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। इनमें फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज़ प्राइवेट लिमिटेड, मेघा इंजीनियरिंग एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, वेदांता, औरोबिंदो फार्मा, शिरडी साईं इलेक्ट्रिकल्स और हीरो मोटोकार्प जैसी कंपनियां शामिल हैं।
इन तथ्यों के आधार पर विपक्ष सत्तारूढ़ भाजपा पर इलेक्टोरल बॉन्ड के नाम पर वसूली रैकेट चलाने का आरोप लगा रहा है।