Sunday, September 8, 2024
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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

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ग्राउंड रिपोर्ट

मिर्ज़ापुर : नहरों में पानी की जगह सूखा घास-फूस की सफाई के नाम पर खर्च हो जाता है करोड़ों का बजट

नहरें खेत के लिए जीवनदायिनी होती हैं। इनका रख-रखाव ठीक से न हो तो नहरें किसी काम की नहीं रहती हैं। यही हाल है मिर्जापुर में नहरों का जिनमें पानी की जगह सूखे और घास-फूस का बोलबाला है। इनकी साफ-सफाई के नाम पर लाखों का हेर-फेर हो जाता है। यहां वर्षों पहले किसानों ने नहरों के लिए कृषि योग्य जमीन दी थी, जिसको लेकर वे कहते हैं कि बारिश न हो तो फसल सूख जाए। जब जमीन दी थी तब उम्मीद थी कि हमें नहरों से पानी मिलने लगेगा लेकिन लगातार हमको सूखा ही मिला है। इसी तथ्य की पड़ताल करती संतोष देव गिरी की ग्राउंड रिपोर्ट।

वाराणसी : ओडीएफ के दावे साबित हुए खोखले, लोग खुले में कर रहे हैं शौच

किसी राज्य का ओडीएफ प्लस (खुले में शौच से मुक्त राज्य) का दर्जा हासिल हो जाना हमारे देश में एक बड़ी उपलब्धि है। उत्तर प्रदेश को वर्ष 2023 में सौ प्रतिशत ओडीएफ प्लस घोषित कर दिया गया था लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। सरकार के दावे लगातार गलत साबित हो रहे हैं। वाराणसी के आराजी लाइन ब्लॉक का गाँव सजोई कुछ ऐसी ही तस्वीर पेश कर रहा है। पढ़िये ओडीएफ की सच्चाई की पड़ताल करती अपर्णा की ग्राउंड रिपोर्ट

ग्राम प्रहरी उर्फ़ गोंड़इत अर्थात चौकीदार : नाम बिक गया लेकिन जीवन बदहाल ही रहा

इस सरकार ने जमीनी तौर पर कोई काम किया हो या न किया हो, कह नहीं सकते लेकिन नाम बदलने का काम बहुत किया है। इलाहाबाद का नाम प्रयागराज, योजना आयोग हो गया नीति आयोग, विकलांग हो गए दिव्याङ्ग और चौकीदार हो गए ग्राम प्रहरी। लेकिन नाम बादल देने से कुछ बदलने वाला नहीं है। ग्राम प्रहरी उर्फ़ गोंड़इत अर्थात चौकीदारों के सामने आज जीवन चलाने का बड़ा संकट खड़ा है। सरकार उन्हें कर्तव्य तो बताती है लेकिन अधिकार से महरूम रखती है। पढ़िये ग्राम प्रहरियों की वास्तविक स्थिति की पड़ताल करती संतोष देवगिरि की ग्राउंड रिपोर्ट।

मथुरा : भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन से देवकी नंदन शर्मा की मौत का ज़िम्मेदार है सरकारी तंत्र

मथुरा जिले की मांट तहसील निवासी देवकी नंदन शर्मा विगत पंद्रह वर्षों से ग्राम सभा से लेकर तहसील और जिला प्रशासन तक भ्रष्टाचार के खिलाफ़ सक्रिय थे। उन्होंने गले तक सरकारी लूट में लिप्त छोटे और बड़े अधिकारियों कर्मचारियों के अलावा ग्राम प्रधान, सचिव और दबंगों के विरुद्ध संघर्ष जारी रखा दो महीने पहले अनशन पर बैठने के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मौत की जिम्मेदारी लेने की जगह जिला और तहसील प्रशासन उस पर लीपापोती करने का प्रयास कर रहा है।

Varanasi : व्यवसाय की मंदी का बुरा असर रंगरेज़ों पर भी पड़ा है

बनारसी साड़ी, भारत के प्रमुख पारंपरिक वस्त्रों में से एक है। यह साड़ी विशेष रूप से बनारस (वाराणसी) शहर की शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण है। बनारसी साड़ी के रंगने की प्रक्रिया भी बेहद रोचक और जटिल होती है। देखिये ग्राउंड रिपोर्ट

नदियों के बहने से ही जीवन का प्रवाह अविराम होगा !

देवरिया जनपद में बिहार राज्य की सीमा पर स्थित ‘स्याही नदी’ अपने नाम और वर्तमान स्थिति के कारण एक अनोखी नदी है। सन1916-17 में अंग्रेजों के जमाने में की गयी चकबंदी में बीस किमी लम्बाई में लगभग 300 मीटर चौड़ाई वाली महानदी स्याही के समस्त प्रवाह क्षेत्र को एक राजस्व ग्राम ‘मोहाल स्याही नदी’ के रूप में दर्ज कर उसके भीतर किसानों के कृषि कार्य हेतु चक आवंटन करना आश्चर्यचकित करने वाली घटना है।

एक दिहाड़ी मजदूर का जीवन

सहरता को साल तो याद नहीं है लेकिन वो बताते हैं कि जम्मू और बाकी जगहों पर जब दिहाड़ी तीन रुपया थी तब वो बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के एक गाँव से अपने माँ-बाप के साथ जम्मू में ईंट के भट्ठे पर काम करने के लिए गए थे। घर पर खेती के लिए कोई जमीन नहीं थी इसलिए माता-पिता जम्मू और पंजाब में काम के लिए आते थे और सहरता के अनुसार अपने माता-पिता की तरह ही काम करने की उम्र होते ही उन्होंने भी ईंट भट्ठे पर काम करना शुरू कर दिया था। कुछ सालों में जब माता-पिता वापस गाँव में रहने के लिए चले गए तो सहरता भी जम्मू से चंडीगढ़ कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूरी का काम करने के लिए आ गए।

मनरेगा: रोजगारसेवक को खर्चा-पानी दिए बिना भुगतान नहीं

2010 में गाँव सैदपुर में उनका एनरोलमेंट मनरेगा में हुआ और तब से औसतन प्रतिवर्ष दो महीने का काम मिलता रहा है । 2010 में उन्हें 65 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी मिलती थी जो अब बढ़कर 120 रुपये हो गई है। मनरेगा के अपने अनुभवों को साझा करते हुए रामचंद्र बताते हैं कि उन्होंने अब तक गाँव के आस-पास पुलिया लगाने, सड़क और नाली की मरम्मत करने और नई नालियां बनाने के काम में लगे रहे। उनका अब कोई बकाया नहीं है लेकिन तमाम मनरेगा मजदूरों की तरह वे भी कहते हैं कि जब भी वे बैंक से पैसा निकालते हैं तो तुरंत ही प्रधान का आदमी आकर अपना हिस्सा ले जाता  है।