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Lok Sabha Election : बेरोजगारी, महंगाई और अग्निवीर जैसे मुद्दे पहले चरण के मतदान में हावी रहेंगे ?

आखिर क्यों नरेन्द्र मोदी की मीडिया द्वारा गढ़ित छवि को तमिलनाडु की जनता नकार देती है, इस पर उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात एवं महाराष्ट्र के युवाओं एवं आम नागरिकों को भी विचार करना चाहिए।

भारत में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) द्वारा जारी द स्टेट ऑफ़ वर्ल्ड पापुलेशन रिपोर्ट 2023 के अनुसार, ‘भारत की जनसंख्या 142.86 करोड़ हो गई है। भारत की जनसंख्या हर दस साल में 17% की दर से बढ़ रही है।

भारत में लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखें सामने आ गई हैं। यह चुनाव सात चरणों में संपन्न होगा। पहले चरण का मतदान आज (19 अप्रैल 2024) है।

देश की लगभग 140 करोड़ जनसंख्या के लिए यह चुनाव बहुत महत्त्वपूर्ण है। लोकसभा का चुनाव ही तय करता है कि देश अगले पाँच साल में कितनी तरक्की करेगा, किस दिशा में आगे बढ़ेगा एवं देश के नागरिकों के लिए कौन-कौन सी नीतियाँ बनाई जाएंगी, इसका जिक्र राजनैतिक पार्टियाँ अपने-अपने घोषणा पत्रों में करती हैं।

भारतीय निर्वाचन आयोग के अनुसार, देश में कुल मतदाताओं की संख्या 96 करोड़ 88 लाख 21 हजार 926 है, जिसमें पुरुष मतदाता 49 करोड़ 72 लाख 31 हजार 994 और महिला मतदाता 47 करोड़ 15 लाख 41 हजार 888 है।

18 से 19 साल के नौजवान जो पहली बार मतदाता बने हैं, उनकी संख्या लगभग 2 करोड़ है और उनके लिए सबसे जरूरी मुद्दा इस चुनाव में क्या है, यह जानना जरुरी है। इसकी पड़ताल हम इस आधार पर कर सकते हैं कि इस उम्र के युवा किन-किन नौकरियों की तैयारी करते हैं और वे आगे पढ़ाई के लिए किन-किन संस्थानों का दरवाजा खटखटा सकते हैं और भाजपा की सरकार ने पिछले दस साल में उनके लिए किन-किन नौकरियों की व्यवस्था की है एवं कितने सरकारी शैक्षणिक संस्थान खोले हैं ?

देश के युवाओं की चिंता

देश के गरीब, किसान एवं साधारण परिवार के बच्चे इस उम्र में देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत होकर सेना में भर्ती होने के लिए सुबह-शाम कच्ची सड़क से लेकर पक्की सड़क पर दौड़ लगाते हुए नजर आते हैं। जब वे हाईस्कूल की परीक्षा 15 वर्ष की अवस्था में पास करते हैं तभी से उनकी यह दौड़ शुरू होती है और जब तक (अर्थात 17.5 वर्ष से लेकर 21 वर्ष तक) वे चयनित नहीं होते हैं या ओवरएज नहीं होते हैं तब तक इस संघर्ष में लगे रहते हैं। उनके इस कठिन संघर्ष का अपमान करते हुए मोदी सरकार ने अग्निवीर योजना लाकर उनकी सेवा को महज चार वर्ष तक ही सीमित कर दिया है।

देश में 20 से 29 साल तक के मतदाताओं की संख्या लगभग 20 करोड़ है। यदि हम इसमें 18 से 19 साल के पहली बार के मतदाताओं को मिला दें तो यह संख्या लगभग 22 करोड़ हो जाती है, थोड़ा और आगे बढ़कर 30 से 35 साल के युवाओं को मिला दें तो यह संख्या लगभग 35 करोड़ हो जाती है।

देश में 18 से 40 साल की उम्र उच्च शिक्षा ग्रहण करने और करियर बनाने के लिए होती है। इन्हीं युवाओं को ध्यान में रखते हुए देश-विदेश की तमाम संस्थाएं बेरोजगारी के आँकड़े जारी करती हैं। अभी हाल ही में इंटरनेशनल लेबरऑर्गनाइजेशन (ILO) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में सामने आया है कि भारत के लगभग 83% युवा बेरोजगार हैं।

जबकि भारत में पिछले दस साल से भाजपा के नेतृत्व वाली नरेन्द्र मोदी सरकार सत्ता में है जो 2014 में युवाओं को हर साल 2 करोड़ रोजगार देने एवं देश के सभी नागरिकों के खाते में काले धन से 15 लाख रुपये जमा करने का वायदा करके सत्ता हासिल की थी। देश के युवाओं को न तो रोजगार मिला और न ही आम नागरिकों के खातों में 15 लाख रुपये का काला धन आया बल्कि इसके उलट भारतीय जनता पार्टी के खाते में 6060.51 करोड़ रुपया इलेक्टोरल बांड अर्थात चुनावी चंदा के रूप में आ गया। यह वह चंदा है, जो तमाम कंपनियों को आयकर विभाग, सीबीआई, आईबी एवं ईडी से डरा-धमकाकर वसूल किया गया है।

दो बार लगातार चुनाव जीतने के बाद नरेन्द्र मोदी सरकार की तानाशाही इस रूप में देश के सामने आ गई। चुनाव ही वह समय होता है, जब जनता सरकार के पांच साल के काम-काज एवं नियम-कायदों का मूल्यांकन करती है।

भारतीय जनता पार्टी पिछले दस साल से सरकार में हैं। क्या देश की जनता उसके काम-काज का मूल्यांकन इस चुनाव में करेगी? देखना होगा कि क्या महंगाई कम हुई है ? क्या बेरोजगारी कम हुई है ? क्या मजदूरों की मजदूरी बढ़ी? क्या शिक्षा में फीस कम हुई? खोले गए विश्वविद्यालयों की स्थिति क्या है? स्वास्थ्य सुविधाएं पहले से बेहतर हुईं? किसानों को MSP मिला? सेना में सरकार पहले की तरह सैनिकों की भर्ती करेगी या अग्निवीर योजना से काम चलाएगी? इन जन-हितैषी  मुद्दों पर देश के युवाओं एवं आम-नागरिकों को विचार-विमर्श जरूर करना चाहिए।

रोजगार देने के मामले में भाजपा सरकार फेल

जब लोकसभा में कांग्रेस सांसद अनुमुलारेवंथरेड्डी ने रोजगार पर सवाल पूछा था तो उसके जवाब में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के केन्द्रीय राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने यह बताया था कि 2014 से 2022 तक 22.05 करोड़ लोगों ने सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन किया था, लेकिन इनमें से मात्र 7 लाख 22 हजार को ही नौकरी मिली है, जोकि आवेदन करने वाले छात्रों की संख्या के मुताबिक बहुत ही कम है।

2014-2015 में केंद्र सरकार 1.30 लाख भर्तियाँ निकालती है जबकि दुबारा सरकार बनाने के बाद भाजपा ने नौकरियों की संख्या में भारी कटौती की। 2021-2022 में नौकरियों की यह संख्या 38,850 पर आकर सिमट गई। मंशा स्पष्ट है कि सरकार दिन-प्रतिदिन नौकरियों की संख्या में भारी गिरावट कर रही है। इसलिए लोकसभा चुनाव 2024 में युवाओं के लिए बढ़ती बेरोजगारी और सरकारी नौकरियों की संख्या में गिरावट प्रमुख मुद्दा है।

आज पहले चरण का मतदान 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर होगा। इस पहले चरण में 11 राज्यों की 56 लोकसभा  सीटों पर मतदान पूर्ण हो जाएगा, इन 11 राज्यों के नतीजे आज ही ईवीएम में कैद हो जाएंगे। पिछली बार भाजपा इन 11 राज्यों की 56 सीटों में से मात्र 8 सीटों पर ही जीत हासिल कर पायी थी।

2019 में भाजपा 303 सीटों पर विजय हासिल करती है लेकिन वह तमिलनाडु में पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ती है और खाता भी नहीं खोल पाती है। आखिर क्यों नरेन्द्र मोदी की मीडिया द्वारा गढ़ित छवि को तमिलनाडु की जनता नकार देती है, इस पर उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात एवं महाराष्ट्र के युवाओं एवं आम नागरिकों को भी विचार करना चाहिए।

ज्ञानप्रकाश यादव
ज्ञानप्रकाश यादव
लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे हैं और सम-सामयिक, साहित्यिक एवं राजनीतिक विषयों पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र लेखन करते हैं।

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