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पवार-ठाकरे की बैठक में मराठा आरक्षण, और चुनावों की तैयारियों पर हुई चर्चा-संजय राउत

मुंबई, भाषा)।  शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने बुधवार को कहा कि पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार की कल हुई बैठक में महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की तेज हुई मांग की वजह से उत्पन्न राजनीतिक स्थिति और आगामी लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर चर्चा हुई। […]

मुंबई, भाषा)।  शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने बुधवार को कहा कि पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार की कल हुई बैठक में महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की तेज हुई मांग की वजह से उत्पन्न राजनीतिक स्थिति और आगामी लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर चर्चा हुई।

राउत ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि कल ठाकरे और पवार की बैठक राकांपा (शरद पवार गुट) अध्यक्ष के आवास ‘सिल्वर ओक’ पर हुई और यह करीब डेढ़ घंटे तक चली। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता बैठक में शामिल नहीं थे क्योंकि वे पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के प्रचार में व्यस्त हैं। उद्धव जी और पवार साहेब ने मराठा आरक्षण की मांग को लेकर हुए प्रदर्शनों के बाद महाराष्ट्र में उत्पन्न राजनीतिक स्थिति और विपक्ष द्वारा इस पर अपनाए जाने वाले रुख को लेकर चर्चा की।

शिवसेना (यूबीटी) सांसद ने कहा कि अगर लोकसभा चुनाव के साथ ही महाराष्ट्र विधानसभा के भी चुनाव होते हैं तो उस समय विपक्ष की क्या रणनीति होनी चाहिए और सीट बंटवारे के फार्मूले पर भी चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि अंतिम बैठक दिल्ली में होगी। राउत ने कहा कि महा विकास आघाडी (एमवीए) के घटकों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर कोई असहमति नहीं है और सब कुछ सुचारु रूप से तय हो जाएगा।

एमवीए में शिवसेना (यूबीटी), शरद पवार नीत राकांपा और कांग्रेस शामिल हैं। तीनों पार्टियां (जब शिवसेना और राकांपा का विभाजन नहीं हुआ था) नवंबर 2019 में महाराष्ट्र की सत्ता में आई लेकिन एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना में जून 2022 में बगावत होने के बाद उद्धव ठाकरे नीत सरकार का पतन हो गया। शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के 39 विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर सरकार बना ली और शिंदे मुख्यमंत्री बने। राकांपा नेता अजित पवार और आठ विधायक भी इस साल जुलाई में शिंदे सरकार में शामिल हो गए।

ईडी ने अभिषेक बनर्जी को नौ नवंबर को पेश होने के लिए समन किया

कोलकाता, (भाषा)।  प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित स्कूल रोजगार घोटाले की जांच के सिलसिले में तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी को नौ नवंबर को यहां पेश होने के लिए समन किया है। तृणमूल कांग्रेस के एक नेता ने बुधवार को यह जानकारी दी।

पश्चिम बंगाल की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रवक्ता शशि पांजा ने कहा कि बनर्जी बृहस्पतिवार को ईडी के सामने पेश होंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बनर्जी ‘‘बदले की राजनीति’’ का शिकार हुए हैं।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अगले साल होने जा रहे महत्वपूर्ण लोकसभा चुनाव से पहले अपने विरोधी नेताओं को परेशान करने के लिए ऐसी प्रतिशोध की राजनीति कर रही है।  भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि पार्टी बदले की राजनीति में विश्वास नहीं करती है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों द्वारा समन अदालत की निगरानी में किया जा रहा है और अगर तृणमूल कांग्रेस को कोई दिक्कत है तो वह अदालत का रुख कर सकती है।

ईडी ने इससे पहले बनर्जी को नौ अक्टूबर को उसके सामने पेश होने के लिए समन किया था। इससे पहले वह ईडी के समन के जवाब में तीन अक्टूबर को उसके समक्ष पेश नहीं हुए थे क्योंकि वह राज्य के लिए केंद्रीय धनराशि तत्काल जारी करने की मांग को लेकर नयी दिल्ली में तृणमूल कांग्रेस की विरोध रैली में शामिल हुए थे। 13 सितंबर को शिक्षक भर्ती घोटाले में ईडी ने बनर्जी से लगभग नौ घंटे तक पूछताछ की थी। तब उन्होंने दावा किया था कि यह पूछताछ उन्हें विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) की बैठक में भाग लेने से रोकने का एक प्रयास है और यह इस बात का भी प्रमाण है कि तृणमूल कांग्रेस विपक्षी एकता बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

दो बार के तृणमूल कांग्रेस सांसद से ईडी ने कोयला चोरी मामले में भी दो बार पूछताछ की थी। एजेंसी ने उनसे एक बार 2021 में राष्ट्रीय राजधानी में अपने कार्यालय में और फिर 2022 में कोलकाता में पूछताछ की थी।

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