सरकार की त्वरित बुलडोजर मार्का न्याय प्रणाली आज की जरूरत है, अदालतें उपद्रवियों और दंगाइयों को संरक्षण देने के लिए बनी हैं, इसलिए सरकार इनकी उपेक्षा कर ऑन द स्पॉट जस्टिस देने का कार्य कर रही है। पत्रकार बौद्धिक उपद्रवी हैं, वे विध्वंसकारी प्रवृत्ति के शिकार हैं और नकारात्मकता फैलाने के स्रोत भी हैं इसलिए यह भी इंस्टैंट पुलिसिया न्याय के लायक हैं। मध्यम वर्गीय व्यवसायी मित्रों की बहुलता वाली मंडली ने इन तर्कों का पुरजोर समर्थन किया।
वैकल्पिक मीडिया का उदय आशा तो जगाता है किंतु 'वैकल्पिक' शब्द के साथ उसकी सीमाओं का बोध जुड़ा हुआ है और ऐसा बहुत कम होता है कि विकल्प मूल को प्रतिस्थापित कर दे। वैकल्पिक मीडिया संवेदनशील पत्रकारों और पाठकों की शरण स्थली है।


डॉ. राजू पाण्डेय स्वतंत्र लेखन करते हैं और रायगढ़ में रहते हैं।
[…] ऐसा बहुत कुछ जिसे हम पत्रकारिता समझ कर… […]
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