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बिड़ला कार्बन इकाई पर रेनू नदी में दूषित पानी छोड़े जाने पर एनजीटी ने लगाया 12 लाख का जुर्माना 

नई दिल्ली (भाषा)। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने शुक्रवार को ‘कार्बन ब्लैक’ निर्माता बिड़ला कार्बन की रेणुकूट इकाई पर 2021 में 40 दिन तक अशोधित पानी नाले में छोड़ने के लिए 12 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। यह इकाई उत्तर प्रदेश के रेणुकूट में स्थित है। नाले का पानी रेणु नदी में गिरता है जो […]

नई दिल्ली (भाषा)। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने शुक्रवार को ‘कार्बन ब्लैक’ निर्माता बिड़ला कार्बन की रेणुकूट इकाई पर 2021 में 40 दिन तक अशोधित पानी नाले में छोड़ने के लिए 12 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।

यह इकाई उत्तर प्रदेश के रेणुकूट में स्थित है। नाले का पानी रेणु नदी में गिरता है जो रेणु नदी अंत में सोन नदी में मिल जाती है।

‘कार्बन ब्लैक’ विभिन्न पेट्रोलियम उत्पादों के दहन के बाद निकलने वाला शुद्ध कार्बन होता है।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि 21 जनवरी, 2021 को एक निरीक्षण में नाले में ‘काली सामग्री’ का पता चला और कंपनी ने निरीक्षण रिपोर्ट पर न तो कोई आपत्ति जताई और न ही उसने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) को कोई स्पष्टीकरण दिया।

पीठ में न्यायिक सदस्य के रूप में न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि नौ फरवरी को किए गए दूसरे निरीक्षण में इसी तरह के उल्लंघन पाए गए।

यूपीपीसीबी की दूसरी निरीक्षण रिपोर्ट के अनुसार यह पता चला कि नाले में गंदा पानी छोड़ा गया जिसमें अशोधित कार्बन था। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषण फैक्टरी के एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) से अशोधित पानी के बाहर निकलने के कारण हुआ।

पीठ ने कहा, ‘नौ फरवरी को जो पाया गया उसे प्रस्तावक (बिड़ला कार्बन) ने स्वीकार किया है, लेकिन यह नहीं दिखा सका कि उल्लंघन केवल उसी दिन शुरू हुआ था और उससे पहले नहीं हो रहा था।’

बिड़ला कार्बन ने तर्क दिया कि दूसरे निरीक्षण के चार दिन के भीतर उपचारात्मक उपाय किए गए थे। इसे खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि यह स्थापित करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि उल्लंघनों की जांच की गई थी।

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