ये एक्जिट पोल वाले एकदम्मे पगला ही गए हैं क्या जी? बताइए, जान-बूझकर पब्लिक को झूठे सब्जबाग दिखा रहे हैं। मोदीजी के दुश्मनों के जीतने की अफवाहें फैला रहे हैं। कह रहे हैं कि गांधी टोपी वाले सबसे आगे रहेेंगे, मोदीजी की पार्टी से बहुते आगे। यानी क्या? कर्नाटक में मोदीजी के दुश्मन जीत सकते हैं!
जरा सोचकर देखिए, कितनी बेतुकी बात है – कर्नाटक में मोदीजी हार सकते हैं! वन नेशन, वन फोटो की तर्ज पर, वन वोट फॉर वन फोटो बोलकर चुनाव में उतरे, तब भी मोदीजी हार सकते हैं। नौ साल में पड़ीं सारी गालियां गिनकर बताये, तब भी मोदीजी हार सकते हैं! बीच चुनाव अपने प्रचार रथ का वजन बढ़ाने के लिए रामलला के बाद अब बजरंग बली की प्रार्थनाएं किये, तब भी मोदीजी हार सकते हैं! वोट डालने से पहले बजरंग बली का जैकारा लगाने की कसमें दिलाये, तब भी मोदीजी हार सकते हैं? और जो केरला स्टोरी की फिल्में पब्लिक को बुला-बुलाकर दिखवाएं, उसका क्या? और बंगलूरु में लगातार दो-दो दिन, जो घंटों-घंटों पूरे शहर को रोक कर, महाराजाओं वाली सवारी निकलवाये, जो टनों फूलों की पंखुड़ियाँ की बारिश कराये, जो चौबीस घंटे के टीवी पर अड़तालीस घंटे वन नेशन, वन फोटो दिखाए, उन सब का क्या? और फिर लाभार्थियों को हर पल उनके लाभार्थी होने की जो याद दिलाये, उसका क्या? और कुछ भी नहीं चले तो, अपनी सरकार के चालीस परसेंट को गनीमत बताने के लिए, विरोधियों की सरकार पिचासी परसेंट वाली बताये, सोनियाजी के खिलाफ देश को तोड़कर कर्नाटक को अलग कराने की शिकायत दर्ज कराये, कम-से-कम वह तो चलेगा? कहते हैं कि खुद अपने लिए वोट मांगकर भी स्वयं मोदीजी हार सकते हैं, मजाक समझा है क्या!
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और अगर चुनाव मशीन के होते हुए भी नड्डाजी की पार्टी चुनाव हार भी गयी, तो भी वो मोदीजी की हार कैसे हो जाएगी? ऐसे तो कर्नाटक में पिछली बार भी हार हो गयी थी। पर मोदीजी ने हार मानी क्या? सरकार ज्यादा टैम किस ने चलायी? जिसके पास सरकार, वही सिकंदर। तो पब्लिक को काहे को भरमाना? महाराष्ट्र का देख लो। आएगा तो मोदी ही!
An attention-grabbing dialogue is worth comment. I believe that it’s best to write extra on this topic, it might not be a taboo topic however generally individuals are not sufficient to speak on such topics. To the next. Cheers